NSE में लिस्टेड टॉप 500 कंपनियों में से 18 फीसदी की डायरेक्टर हैं महिलाएं : स्टडी
सलाहकार फर्म इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) की यह रिपोर्ट है-‘कॉरपोरेट इंडिया: वुमेन ऑन बोर्ड्स’.
आर्थिक उत्पादन, नौकरियों और टॉप लीडरशिप पदों पर दशकों से चला आ रहा पुरुषों का एकछत्र प्रभुत्व अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. जेंडर डायवर्सिटी के लिए जगह बन रही है. महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. हालांकि रफ्तार अब भी बहुत धीमी है, लेकिन गुजरे दशकों से तुलना करें तो बेहतर हो रहा परिदृश्य और आने वाले समय में उसके और बेहतर होते जाने की उम्मीद साफ नजर आती है.
एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया) में रजिस्टर्ड 500 टॉप कंपनियों में से 18 फीसदी कंपनियों की डायरेक्टर महिलाएं हैं. यह रिपोर्ट सलाहकार फर्म इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने जारी की है, जिसका शीर्षक है ‘कॉरपोरेट इंडिया: वुमेन ऑन बोर्ड्स’.
इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च तक NSE में लिस्टेड 18 फीसदी टॉप कंपनियां ऐसी थीं, जिसके निदेशक के पद पर महिलाएं बैठी हैं और कंपनी की बागडोर संभाल रही हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में कॉरपोरेट डायरेक्टर बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी और प्रतिनिधित्व 24 फीसदी है. पिछले सालों के आंकड़ों से तुलना करते हुए यह रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व पदों पर उनके प्रतिनिधित्व में लगातार सुधार हो रहा है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. 2014 में जहां यह संख्या छह फीसदी थी, वहीं अब यह बढ़कर 14 फीसदी हो गई है. इस समय निफ्टी में रजिस्टर्ड 500 कंपनियों में से 17.6 फीसदी कंपनियों की निदेशक महिलाएं हैं.
इस साल मार्च में निफ्टी में रजिस्टर्ड टॉप 500 कंपनियों में कुल 4,694 निदेशक थे, जिनमें से 827 निदेशक महिलाएं थीं यानी 17.6 फीसदी.
यह रिपोर्ट महिलाओं की बढ़ती संख्या के आंकड़े तो पेश करती है, लेकिन साथ ही यह भी कहती है कि पिछले एक दशक में बेहतरी की यह रफ्तार बहुत धीमी है. पिछले तीन सालों में सिर्फ एक फीसदी की दर से महिला डायरेक्टर्स की संख्या में इजाफा हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक यदि विकास की यही रफ्तार रही तो बोर्ड रूम में 30 फीसदी महिला प्रतिनिधित्व का लक्ष्य हासिल करने में हमें तकरीबन 4 दशक और लगेंगे और 2058 तक जाकर कहीं यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा.
सनद रहे कि यह लक्ष्य भी सिर्फ 30 फीसदी का रखा गया है. आधी आबादी को देखते हुए लक्ष्य पूरा आधा यानी 50 फीसदी नहीं है.
Edited by Manisha Pandey