गरीबों की भूख मिटाने के लिए केरल के कलेक्टर का ऑपरेशन सुलेमानी
कोजिकोड (केरल) के कलेक्टर एन.प्रशांत नायर का 'ऑपरेशन सुलेमानी' मिटा रहा है लाखों लोगों की भूख।
कोजिकोड (केरल) के कलेक्टर एन.प्रशांत नायर का 'ऑपरेशन सुलेमानी' लाखों लोगों की भूख मिटा रहा है। कलेक्टर अपने फेसबुक पेज पर दो लाख से अधिक फॉलोवर्स से जुड़े हुए हैं। यूजर्स के सुझावों को भी लागू करते रहते हैं। कभी बिरयानी खिलाकर सैकड़ों लोगों से झील की सफाई करा लेते हैं तो कभी पेटिंग से पूरा शहर सजा देते हैं।
केरल के कोजिकोड जिले में कोई भूखा न रहे, इसके लिए वहां के कलेक्टर एन.प्रशांत नायर 'ऑपरेशन सुलेमानी' चला रहे हैं। यदि किसी के पास सुलेमानी कूपन है तो वह केरल के होटल-रेस्तरांओं में बिना पैसे दिए बेफिक्र खाना खा सकता है। दरअसल, 'सुलेमानी' दक्षिण भारत की एक मशहूर चाय का नाम है।
सुलेमानी नाम के बारे में प्रशांत बताते है कि हम अपनी स्कीम का किसी तरह का टिपिकल सरकारी नाम नहीं रखना चाहते थे। उनको सुलेमानी नाम कैची लगा। 'ऑपरेशन सुलेमानी' के जरिये प्रशांत नायर ने अपने तरीके से एक ऐसी मिसाल पेश की है कि मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सोशल नेटवर्क के साथ किस तरह आम लोगों के दुख-दर्द को इस तरह के सेटअप में साझा किया जा सकता है।
सिर्फ मुफ्त भोजन ही नहीं, एन.प्रशांत नायर समय-समय पर तरह-तरह के ऐसे लोकप्रिय प्रयोग करते रहते हैं, जिससे जुड़े आम लोगों को ही नहीं, प्रशासन और सरकार को भी एक झटके में फायदा मिल जाता है। मसलन, कभी सैकड़ों लोगों को बिरयानी खिलाकर झील की सफाई करा लेना तो कभी पेटिंग योजना अमल में लाकर पूरे शहर की दीवारे खूबसूरत चित्रकारी से सजा देना।
कलेक्टर खुद का एक फेसबुक पेज भी चलाते हैं, जहां वह अपने दो लाख से अधिक फॉलोवर्स से जुड़े हुए हैं। उनसे रोजाना बातचीत करते हैं। बेहतर सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में विचार-विमर्श करते हैं। उनके बेहतर सुझावों को तत्काल लागू कराने की कोशिश करते हैं। वह अपने से जुड़े हर फेसबुक यूजर की टिप्पणियों का समय से जवाब देते हैं। फेसबुक पर आम लोगों से हर बड़े मुद्दे पर वह यूजर्स की राय मांगते हैं। फिर उसे प्लानिंग के साथ अमल में ले आते हैं। बताया जाता है कि 'ऑपरेशन सुलेमानी' की दिशा भी इसी फ्रंट से सामने आई। सरकारी कार्यालयों और दुकानों पर स्वयंसेवक गरीबों को सुलेमानी कूपन वितरित करते रहते हैं।
एन.प्रशांत नायर की कोशिशों का ही प्रतिफल है कि आज उनके पूरे जिले में न कोई भूखा सोता है, न कोई भीख मांगने के लिए मजबूर है। हर सरकारी दफ्तर में बाहर से आने वाले भूखे लोगों को एक-एक कूपन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। जिसे भी भूख लगे, किसी भी नज़दीकी सरकारी दफ्तर से कूपन ले सकता है। इसमें जिले के होटल मालिक और युवा भरपूर सहयोग करते हैं। खाना खिलाने वाले होटल मालिक महीने के अंत में कलेक्टर कार्यालय में एक साथ सभी कूपन जमा कर प्रशासन के खाते से पूरा भुगतान ले लेते हैं।
कलेक्टर एन.प्रशांत नायर अपने जिले में अक्सर तरह तरह के जन-पक्षधर प्रयोग करते रहते हैं। एक बार एक झील की सफाई के लिए उन्होंने लोगों को बिरयानी खिलाने का ऑफर दिया। तुरंत साढ़े सात सौ से अधिक अधिक वॉलंटियर्स ने देखते ही देखते पूरी झील की साफ-सफाई कर दी।
उसके बाद सभी वॉलंटियर्स को सूखा राहत कोष के लिए अलॉट धनराशि से लजीज बिरयानी खिलाई गई। इसी तरह उक बार कलेक्टर ने शहर को सुंदर बनाने के लिए पेंटिंग प्रोजेक्ट शुरू किया तो आम लोगों अपने हुनर का प्रदर्शन करने का अवसर मिल गया। कुछ ही वक़्त में पूरे पूरे शहर की दीवारें खूबसूरत पेंटिंग्स से सज गईं।
पिछले साल पर्यटन के क्षेत्र में कोजिकोड की अलग पहचान देने भी कलेक्टर की अहम भूमिका रही। दुनिया की सबसे बड़ी पर्यटन व्यापार प्रदर्शनी 'आईटीबी-बर्लिन शो' ने दुनिया भर की 50 प्रेरणादायक परियोजनाओं में से 'कंपेशनेट कोजिकोड को चुना।
यद्यपि समाज के वंचित-निर्धन निचले तबकों के लोगों के लिए वर्ष 2015 में ही जिला प्रशासन और केरल के होटल-रेस्तरां एसोसिएशन के सदस्यों की भागीदारी से इसकी नींव पड़ गई थी। उस समय ये कूपन 2,000 कार्यालयों में रखवा दिए गए थे, जहाँ से उन्हे जरूरतमंद लोगों को दिया जा सके। उन दिनो इन कूपनों का ज्यादातर इस्तेमाल कुथिरावट्टम मानसिक अस्पताल के मरीजों और उनके तीमारदारों ने किया। इस मुहिम में होटल व्यवसायी भाग लेकर काफी खुश हुए। धार्मिक उपवास के दिनो में तो ये कूपन खुदा की नियामत बन गए।
पिछले साल कोट्टप्पारम्बा सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन सुलेमानी का मुफ्त भोजन कूपन एक नया काउंटर खोलकर वितरित कराया गया। उस समय जिला कलेक्टर यू.वी. जोस ने काउंटर का उद्घाटन किया था। बाद में जिले में परियोजना समन्वयकों ने वडकारा, कुटियाडी, बालुसारी आदि 13 अलग-अलग इलाकों में 15 और काउंटरों के साथ इस योजना को विस्तारित कर दिया, जिसमें 80,000 से अधिक मुफ्त भोजन कूपन वितरित किए गए। उससे पहले वर्ष 20016 में यह अनुकंपा योजना विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपनी जगह बना चुकी थी।