पर्यावरण बचाने के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, अरावली में निर्माण के खिलाफ दिया आदेश
अभी एक दिन पहले ही अरावली और नीलगिरी रेंज में निर्माण को मंजूरी देने के लिए हरियाणा विधानसभा में एक अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम से चंडीगढ़ और हरियाणा में इस रेंज में कई निर्माण कार्यों का रास्ता साफ हो जाता। हालांकि सरकार के इस फैसले से पर्यावरण पर गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि पर्यावरण से छेड़छाड़ न करें।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा, 'यह हैरान करने वाला है। आप जंगलों को बर्बाद कर रहे हैं। इसकी अनुमति नहीं है।' जस्टिस अरुण मिश्र की अगुआई वाली पीठ ने हरियाणा सरकार को कहा कि आप सुप्रीम नहीं हैं, कानून का शासन ही सर्वोपरि है। बीते मंगलवार को हरियाणा विधानसभा में पंजाब-भू परिरक्षण अधिनियम (पीएलपी) को पारित किया गया था। इस कानून को 1900 में ब्रिटिश सरकार ने पर्यावरण को बचाने के लिए बनाया था। इसके तहत कुछ क्षेत्र निर्धारित किये गए थे जहां पर निर्माण और पेड़ों को काटने पर पाबंदी लगाई गई थी।
इतना ही नहीं इन इलाकों में खेती का कार्य भी नहीं किया जा सकता था। इस संशोधन का विपक्ष ने भी काफी विरोध किया था। इंडियन नेशनल लोकदल के एमएलए ने कहा कि इस संशोधन से अरावली इलाके की पूरी हरियाली खत्म हो जाएगी। पर्यावरणविदों का मानना है कि राजस्थान के रेगिस्तान से आने वाली धूल भरी आंधियों को ये पहाड़ियां रोकती हैं। अगर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तो पेड़ काटे जाएंगे और इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब थोड़ी राहत जरूर मिल गई है।
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