पाकिस्तान में बाढ़ से विकराल तबाही; तीस साल में नहीं हुई थी ऐसी बारिश
इन गर्मियों में भारत, यूरोप, चीन और अब पाकिस्तान में चरम मौसम के ऐसे परिणाम देखने को मिल रहे हैं जो ग्लोबल वार्मिंग की ओर इंगित करते हैं.
इस साल पाकिस्तान में अब तक बारिश औसत स्तर से 780% से अधिक हुई है. पिछले तीस साल में इतनी बारिश कभी नहीं हुई. मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि पूरे पाकिस्तान में सामान्य से दोगुनी बारिश हुई है, लेकिन बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में पिछले तीन दशकों के औसत से चार गुना अधिक बारिश हुई है. इस मानसूनी बारिश से पाकिस्तान में बाढ़ आ गई है जिससे पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया है. आंकडें डरावने हैं- 33 मिलियन लोग, देश की आबादी का 15 प्रतिशत, इस बाढ़ से पीड़ित हुए हैं, और कम से कम 184,000 लोग विस्थापित हुए हैं. देश में अबतक 1,100 से अधिक लोगों की जान चली गई है.
पाकिस्तान में हर साल मानसून के मौसम के दौरान भारी और अक्सर विनाशकारी बारिश होती है, जो कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है. लेकिन तीन दशकों से इतनी तेज बारिश नहीं देखी गई है. इस बाढ़ से आई तबाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के जलवायु मंत्री शेरी रहमान ने इस आपदा के दृश्यों की तुलना डिस्टोपियन फ़िल्मों से की है. उन्होंने कहा, "यह अभूतपूर्व अनुपात की तबाही है." प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने बाढ़ को "पाकिस्तान के इतिहास में सबसे खराब" बताया है.
जून में शुरू हुई बारिश ने देश भर में महत्वपूर्ण फसलों को बहा दिया और दस लाख से अधिक घरों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया है. अधिकारी और धर्मार्थ संस्थाएं लगातार लोगों की मदद करने में लगी हुई हैं. बाढ़ और पानी की वजह से सहायता कार्य में तेजी लाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. काफ़ी लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं जिन्हें बाहर निकालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि कई सड़कें और पुल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए है. बाढ़ के बाद जो सूखी भूमि बची है, विस्थापित लोग उसमें आश्रय, भोजन और पीने के पानी की तलाश में भटक रहे हैं.
क्या रही वजह?
पाकिस्तान पिछले दो महीनों से भीषण गर्मी की चपेट में है. रिपोर्टों के मुताबिक, कई इलाक़ों में अप्रैल में रिकॉर्ड तापमान दर्ज हुआ है. मसलन30 अप्रैल को जैकबाबाद ने दिन का सबसे गर्म तापमान 49 सेल्सियस दर्ज किया गया. इस लेवल के रिकार्ड तापमान ने ग्लेशियरों को सामान्य से अधिक तेजी से पिघलाया, जिससे पिछले शनिवार को देश के उत्तरी क्षेत्र के एक गांव में अचानक बाढ़ आ गई. बाढ़ से एक प्रमुख पुल का हिस्सा टूट गया. ग्लेशियर की बाढ़ ने न केवल पुल को बल्कि जलमग्न घरों, कृषि भूमि की सैकड़ों नहरों, पेड़ों, जल आपूर्ति चैनलों और दो जल विद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचाया है.
जलवायु परिवर्तन के मामले में सबसे संवेदनशील देशों में है पाकिस्तान
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिहाज़ से आठवां सबसे अधिक संवेदनशील देश है.
अगर हम पाकिस्तान में आई बाढ़ के पीछे की वजहों को देखेंगे तो पायेंगे कि जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाली तबाही के सभी मुख्य कारक वहां मौजूद हैं: गर्म तापमान, अधिक नमी वाली गर्म हवा, पिघलने वाले ग्लेशियर, नुक्सान के रास्ते में आबादियों का रहना और गरीबी. इन सभी कारकों ने घातक बाढ़ की स्थिति पैदा की है. कई वैज्ञानिकों ने बाढ़ की आपदा में इन सभी लक्षणों को चिन्हित किया है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को औपचारिक रूप से दोष नहीं दिया है.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @PakistanADB twitter)