पहाड़ काटकर रास्ता बना रहे हैं मध्य प्रदेश के लोग, मांझी जैसी है इनकी भी कहानी
मध्यप्रदेश के आलीराजपुर में दशरथ मांझी की कहानी एक बार से पनप रही है। बच्चों के स्कूल जाने के लिए 35 किलोमीटर लंबे रास्ते की दूरी को कम करने के लिए लोगों ने पहाड़ को काटना शुरू कर दिया है।
आपने बिहार के दशरथ मांझी के बारे में जरूर सुना होगा, जिन्होने लगातार 22 वर्षों के कठिन परिश्रम से महज एक छेनी और हथौड़े के साथ पूरे पहाड़ को काट कर 55 किलोमीटर लंबे रास्ते को 15 किलोमीटर का बना डाला था।
ऐसी ही कहानी मध्यप्रदेश के आलीराजपुर में पनप रही है, जहां स्कूल जाने के रास्ते को कम करने के लिए पहाड़ लोग काटने में जुटे हैं। मामला कुछ यूं है कि आलीराजपुर जिले के अंजनवाड़ा में बच्चों को स्कूल जाने के लिए लिए पहले नर्मदा नदी को नाव से पार करते हुए 15 किलोमीटर दूर सकरजा जाना पड़ता है, फिर वहाँ से ये बच्चे स्कूल जाने के लिए 25 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता तय करते हैं।
बच्चे भी कर रहे हैं मदद
इसके अलावा ये बच्चे अंजनवाड़ा से 35 किलोमीटर दूरी तय करते हुए पहाड़ी रास्ते को तय कर सकते हैं, अब क्षेत्र के आदिवासी समुदाय ले लोगों ने इस समस्या को जड़ से ख़त्म करने का इरादा कर लिया है।
क्षेत्र के लोग अब पहाड़ को काटकर रास्ता बना रहे हैं, इसके जरिये अंजनवाड़ा को सकरजा से सीधे जोड़ा जा सकेगा। पहाड़ काटने में ग्रामीणों के साथ बच्चे भी उनकी मदद कर रहे हैं।
बारी-बारी से करते हैं काम
इस काम को पूरा करने के लिए लोगों के एक समिति का गठन किया है, जिसके जरिये लोग बारी-बारी से श्रमदान करते हैं। इस पहल के लिए सरकार की तरफ से अभी तक किसी भी तरह की मदद मुहैया नहीं कराई गई है, इस वजह से लोगों ने अभी पगडंडी के निर्माण को लेकर काम आगे बढ़ाया है।
बिना रास्ते के लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के लिए ही परेशान होना पड़ रहा है। क्षेत्र के बच्चों के लिए सिर्फ एक ही प्राथमिक स्कूल है, ऐसे में सड़क का निर्माण हो जाने के बाद इन बच्चों को स्कूल जाने में सुविधा हो सकेगी।