Philips ने मुनाफे की उम्मीद में 6,000 नौकरियों पर चलाई कैंची
नामचीन टेक कंपनी फिलिप्स (Philips) ने सोमवार को कहा कि वह अपनी लाभप्रदता को बहाल करने के लिए 6,000 नौकरियों की कटौती करेगी.
कंपनी ने कहा कि आधी नौकरियों में कटौती इस साल की जाएगी और बाकी की आधी कटौती 2025 तक हो जाएगी.
कंपनी ने बीते साल, अक्टूबर महीने में अपनी वर्कफोर्स के 5% यानि की 4,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था. कंपनी का कहना है कि यह स्लीप एपनिया का इलाज करने के लिए उपयोग किए जाने वाले लाखों वेंटिलेटरों को वापस बुलाने से होने वाले नुकसान से जूझ रही है. कंपनी ने चिंता जताई थी कि मशीनों में फोम का उपयोग किया जाता है, जोकि विषैला हो सकता है.
कंपनी के सीईओ रॉय जैकब्स ने कहा, "फिलिप्स मजबूत बाजार स्थिति की पूरी क्षमता का लाभ नहीं उठा रही है क्योंकि यह कई महत्वपूर्ण परिचालन चुनौतियों का सामना कर रही है."
उन्होंने कहा कि कंपनी को रोगी सुरक्षा और गुणवत्ता और आपूर्ति श्रृंखला की विश्वसनीयता में भी सुधार करना चाहिए.
एम्स्टर्डम स्थित फिलिप्स ने भी 651 मिलियन यूरो (707.18 मिलियन डॉलर) की ब्याज, करों और परिशोधन (EBITA) से पहले चौथी तिमाही में समायोजित आय दर्ज की, जो एक साल पहले 647 मिलियन यूरो से लगभग स्थिर थी.
वहीं, विश्लेषकों ने औसतन अनुमान लगाया था कि कंपनी का लाभ 428 मिलियन यूरो तक गिर जाएगा.
कंपनियां क्यों कर रही हैं छंटनी?
दुनिया भर की बड़ी टेक कंपनियां हमेशा खबरों में रहती हैं. आमतौर पर वह नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग को लेकर खबरों में रहती हैं. हालाँकि, हाल ही में टेक न्यूज इंडस्ट्री में किसी नये गैजेट या इनोवेशन की बजाय, बड़ी टेक कंपनियों में भारी छंटनी की खबरें सुर्खियों में बनीं रही हैं. पिछले साल बिग टेक कंपनियों द्वारा वैश्विक स्तर पर 70,000 से अधिक लोगों को नौकरी से निकाला गया है . इसमें उन कंपनियों और अन्य ऑर्गेनाइजेशन को शामिल नहीं किया गया है, जो बजट में कमीं होने के कारण अपना बिजनेस बंद कर रहे हैं और कर्मचारियों को निकाल रहे हैं. आखिर इतने बड़े पैमाने पर इस हलचल का कारण क्या था? और इंडस्ट्री के साथ-साथ आपके लिए इसका क्या मतलब है. और इससे क्या नुकसान है, यह जानना जरूरी है.
एडवरटाइजमेंट कॉस्ट और रेवेन्यू में कमी होने से कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है. कई कंपनियां एडवरटाइजमेंट के जरिए मोटा पैसा कमाती हैं. इसलिए जब तक उनके पास फंड आने का रास्ता खुला होता है तब तक तो वह अपने कर्मचारियों पर खुलकर पैसे खर्च करती हैं. जो कि विशेष रूप से कोरोना महामारी से पहले देखा जा रहा था. लेकिन पिछले साल एडवरटाइजमेंट रेवेन्यू में भारी कमी आई. जिसका कारण आंशिक रूप से कोरोना महामारी से उत्पन्न वैश्विक मंदी की आशंकाएं थी. वैश्विक मंदी की आशंकाओं को देखते हुए कंपनियों ने भारी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की.
हालांकि, टेक कंपनियों के बीच जारी छंटनी के सिलसिले के बीच एप्पल इस लिस्ट से बाहर रहा है. आईफोन बनाने वाले कंपनी एप्पल ने हाल के वर्षों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से परहेज जरूर किया है. जिसके परिणामस्वरूप उसे कर्मचारियों की संख्या को कम नहीं करना पड़ा. यहां तक कि ट्विटर ने अब तक के पूर्वानुमान के उलट अपने रेवेन्यू के स्रोतों में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है. इसका मतलब है कि कुछ परियोजनाएं, जैसे मार्क जुकरबर्ग की मेटावर्स उस रफ्तार से विकसित नहीं होंगी, जैसी कारोबार के दिग्गजों ने शुरू में उम्मीद की थी.