जानिए कैसे महिलाओं को नुकसान से बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए काम कर रहा है पिंक बेल्ट मिशन
मोटिवेशनल स्पीकर और इंटरनेशनल कराटे चैंपियन अपर्णा राजावत और उद्यमी मानसी चंद्रा महिलाओं को पिंक बेल्ट के जरिए सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के मिशन पर हैं।
आगरा में एक रूढ़िवादी राजपूत परिवार में पैदा हुईं अपर्णा राजावत की बचपन की यादें कुछ ऐसी थीं जहां उनके दो भाइयों की तुलना में उनकी और उनकी तीन बहनों के साथ बिल्कुल अलग व्यवहार किया जाता था। स्कूल में भी यही रवैया दिखाई दिया। वह प्राथमिक विद्यालय में एक घटना को याद करती हैं जहां लड़के लड़कियों को झूले पर बैठने की अनुमति नहीं देते थे।
अपर्णा कहती हैं, “मैं झूले पर जाने के लिए दृढ़ थी। मैं शारीरिक रूप से मजबूत थी क्योंकि मैंने अपने भाइयों के खिलाफ खुद का बचाव करना सीखा था, जो कि बदमाश थे। जब दूसरी लड़कियों ने मुझे लड़कों के सामने खड़े देखा, तो उन्होंने भी झूले पर आने की कोशिश की।"
हालाँकि, जब लड़कों ने लड़कियों को फिजिकली धक्का देकर दूर किया, तो अपर्णा ही एकमात्र थीं, जिन्हें सभी के बचाव में आना पड़ा। यह पहली बार था जब उसने महसूस किया कि लड़कियों के लिए खुद का बचाव करना और किसी और पर निर्भर न होना कितना महत्वपूर्ण था।
उस सिंगल आइडिया ने उन्हें कराटे सीखने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते।
हालांकि, एक सड़क दुर्घटना में लगी चोट ने प्रतिस्पर्धी खेलों में उनका करियर खत्म कर दिया। अंग्रेजी साहित्य और बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री रखने वाली अपर्णा फिर लंदन चली गईं, जहां उन्होंने टूर मैनेजर के रूप में काम किया।
वह कहती हैं कि समाज में जिस तरह से महिलाएं आत्मविश्वास के साथ बाहर निकल रही थीं, उसे देखना एक आंख खोलने वाला था और उन्होंने जो देखा यह उससे एकदम अलग था। दिसंबर 2012 में, दिल्ली की छात्रा ज्योति सिंह का बलात्कार - निर्भया कांड- अपर्णा के लिए एक बड़ा वेक-अप कॉल था।
वे कहती हैं, “मैंने केस को फॉलो करना शुरू कर दिया, और मेरी रिसर्च में मैंने महसूस किया कि हमारे देश में हर दिन कितनी ही महिलाओं और युवा लड़कियों का उत्पीड़न किया जाता है। 2014 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत एक महिला होने के लिए सबसे खतरनाक देश था। बलात्कार, गैंगरेप और एसिड हमलों की संख्या चौंका देने वाली थी। और ये संख्या केवल उन 20 प्रतिशत मामलों की थी रिपोर्ट किए गए थे। 80 प्रतिशत से अधिक मामले तो रिपोर्ट भी नहीं किए जाते। मैंने तय किया कि मुझे कुछ करने की ज़रूरत है।”
वह 2016 में पिंक बेल्ट मिशन (Pink Belt Mission) शुरू करने के लिए भारत लौट आई।
शक्तिशाली दृष्टिकोण
यह बताते हुए कि उन्होंने यह नाम क्यों चुना, अपर्णा कहती हैं, “परंपरागत रूप से, गुलाबी रंग लड़कियों और महिलाओं से जुड़ा हुआ है। मेरे लिए, कराटे बेल्ट हमेशा से शक्ति का प्रतीक रहा है। इसलिए पिंक बेल्ट शक्तिशाली महिलाओं का प्रतीक है।”
वह कहती हैं कि भारत में ज्यादातर महिलाओं को बार-बार कहा जाता है कि वे पुरुषों की तुलना में कमजोर और कम योग्य हैं। यदि आप इन महिलाओं को लोड की हुई बंदूक देते तो भी वे इसका इस्तेमाल करने में संकोच करतीं।
अपर्णा कहती हैं, "मैंने भारत और बाहर की कई महिलाओं से बात की और महसूस किया कि पाँच आयाम हैं जिनमें एक महिला को सशक्त होना चाहिए - कानूनी, मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और डिजिटल। यदि महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों को नहीं जानती हैं तो वे कैसे सुरक्षित रह सकती हैं?”
अपर्णा कहती हैं कि 11 साल से कम उम्र की मोबाइल फोन रखने वाली लड़कियों का ऑनलाइन सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण है। आज, अपर्णा ने 12 राज्यों में 1.5 लाख लड़कियों के साथ काम किया है, 2,000 से अधिक लोगों को छात्राओं के लिए सेल्फ डिफेंस सेशन आयोजित करने के लिए प्रशिक्षित किया है, और हजारों वर्कशॉप में भाग लिया है।
उन्होंने लड़कों और युवा पुरुषों को महिलाओं से समान सम्मान के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम भी तैयार किया है और इस कार्यक्रम को निष्पादित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ काम कर रही हैं।
19 फरवरी, 2020 को, अपर्णा दुनिया के सबसे बड़े सेल्फ डिफेंस सेशन का आयोजन करने के लिए अपने गृहनगर, आगरा लौट आईं। 7,501 से अधिक लड़कियों ने 35 मिनट के लिए अपर्णा के मार्गदर्शन में एकलव्य स्टेडियम में एक मार्शल आर्ट रूटीन (ईवेंट के लिए करीब 12,000 लोग इकट्ठा हुए थे) का सटीक प्रदर्शन किया, जिसने उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया। उन्हें हॉलीवुड की एक डॉक्यूमेंट्री में अपने जीवन और काम के बारे में भी बताया गया है।
सभी महिलाओं के लिए सुरक्षा
लेकिन अपर्णा का विजन प्रमाणपत्र और प्रतीकात्मक उपलब्धियों से कहीं अधिक है। और वह यह है कि उन्होंने और उनकी बिजनेस पार्टनर मानसी चंद्रा ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो महिलाओं और लड़कियों की मदद करेगी और उन्हें एसिड अटैक और हमले से बचाएगी।
मानसी ने अपर्णा के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह उनके साथ जुड़ने के लिए अनिच्छुक थी और उनका मानना था कि वह (अपर्णा) केवल अपने मिशन के लिए फंडिंग में दिलचस्पी रखती हैं।
लड़कियों के कॉलेजों में अपर्णा के कुछ सत्रों में भाग लेने के बाद, वह उस प्रतिक्रिया से अभिभूत थीं जो उन्हें छात्रों से मिल रही थी और फिर उन्होंने फैसला किया कि अपर्णा के साथ काम करना चाहेंगी।
पिंक बेल्ट एक जीपीएस-सक्षम डिवाइस है जो पुलिस को एक लड़की की लोकेशन के बारे में सचेत करती है।
मानसी कहती हैं, “बहुत बार लड़की के पास अपने फोन तक पहुँचने का समय नहीं होता है। और यहां तक कि अगर वह फोन का इस्तेमाल करती है, तो उसे खोजने के लिए सर्विस प्रोवाइडर को 10 मिनट लग सकते हैं। लेकिन यहां ये काम तुरंत होता है।” यदि इसे कलाई से जबरन हटा दिया जाए है तो डिवाइस ऑटोमैटिक रूप से एक सिग्नल भेजती है।
वह कहती हैं, “जब आप खतरे में होते हैं तो कलाई वह सबसे आसान जगह होती है जहां आप पहुंच सकते हैं। इससे काफी फर्क पड़ता है, यह एक लड़की को रेप होने से बचाता है या ऐसिड अटैक के मामले में समय पर मदद पहुंचाकर उसकी आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।"
बेल्ट को डिजाइन किया जा चुका है, अपर्णा और मानसी बेल्ट में रुचि पैदा करने और पर्याप्त डिमांड बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं, ताकि सही लोग नोटिस लें और इसे वास्तविकता बना सकें। आपातकालीन स्थिति में किसी के लिए भी इसके उपयोग का विस्तार करने की योजना है, खासकर बूढ़े लोग जो अकेले रह रहे हैं।
मानसी कहती हैं, "हमें आवश्यकता है कि लोग हमारी #Iwantmypinkbelt पिटीशन पर साइन करें। हमारे पास एक सरल अवधारणा है जिसे विकसित करने के लिए हमने एक कंपनी के साथ कड़ी मेहनत की है। एक बार जब हमें लोगों से इसमें रुचि मिल जाती है, तो हम बेल्ट को विकसित करने के लिए फंड जुटा सकते हैं। हम गाँवों और ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ उन्हें जरूरत है, वहाँ इनका वितरण करने में सक्षम होना चाहते हैं। हम एक ऐसी पीढ़ी के रूप में धन्य हैं, जिसके पास तकनीक की इतनी पहुंच है और हमें इसका इस्तेमाल करने की जरूरत है।"
जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए पिंक बेल्ट को वास्तविकता बनाने का क्या मतलब है, तो अपर्णा भावुक हो जाती हैं। वे कहती हैं, “मैंने उन गाँवों का दौरा किया है जहाँ मैंने छह साल से कम उम्र की लड़कियों को अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा उत्पीड़न का शिकार देखा है। मैं बहुत असहाय महसूस करती हूं। अगर मैं एक या दो लड़कियों के जीवन को बचा सकती हूं, तो मुझे लगता है कि मेरा जीवन धन्य होगा।"
वे आगे कहती हैं, “हमने इस डिवाइस को विकसित करने में नौ महीने बिताए हैं ताकि हमारे पास एक शक्तिशाली आवाज हो और कई लड़कियों को बचा सकें। और यह सिर्फ मेरे लिए नहीं है ... यह हमें ही करना है।"
आप यहां #Iwantmypinkbelt पिटीशन साइन कर सकते हैं। पिटीशन केवल भारत में महिलाओं या लोगों के लिए साइन करने के लिए नहीं है, बल्कि किसी के लिए भी खुली है जो यह मानता है कि सुरक्षा हर व्यक्ति का अधिकार है।
यहां अपर्णा पर बनीं डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर देखें