पीएम मोदी ने कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप, जैविक कृषि संकुल की रणनीति अपनाने पर बल दिया
नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत में कृषि अनुसंधान, विस्तार और शिक्षा की प्रगति की शनिवार को समीक्षा की। उन्होंने इस दौरान कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रयोग और नवोन्मेष सुनिश्चित करने के लिये स्टार्टअप तथा कृषि उद्यमियों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि उन्होंने किसानों की बेहतर आय सुनिश्चित करने के लिये खेत से उपभोक्ता के बीच की सभी कड़ियों में निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया।
मोदी ने बाद में ट्विटर पर कहा,
‘‘भारत किसानों को फायदा पहुंचाने के लिये कृषि क्षेत्र में शिक्षा को व्यापक महत्व दे रहा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत को अपने पारंपरिक कृषि ज्ञान पर गौरव है और इसे प्रौद्योगिकी के सहयोग से आगे बढ़ाया जायेगा, ताकि किसानों की आय को बढ़ा पाना सुनिश्चित हो सके।
प्रधानंमत्री ने समीक्षा के दौरान क्लस्टर आधारित रणनीति पर जैविक और प्राकृतिक कृषि प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
बयान में कहा गया कि आईसीएआर ने भू-संदर्भित ऑर्गनिक कार्बन मैप ऑफ इंडिया विकसित किया है तथा 88 जैव नियंत्रक घटकों और 22 जैव उर्वरकों की पहचान की है, जिनसे जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में नवाचार और तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए स्टार्ट-अप्स और कृषि उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये। उन्होंने किसानों की मांग पर सूचना उपलब्ध कराने में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने निर्देश दिये कि चिह्नित समस्या के समाधान और टूल्स तथा उपकरणों की डिजाइन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये वर्ष में दो बार हैकॉथन का आयोजन किया जा सकता है, जिससे कृषि कामगारों में महिलाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए खेती में काम के बोझ को कम किया जा सकता है।
उन्होंने सेहतमंद खुराक सुनिश्चित करने के लिये ज्वार, बाजरा, रागी और कई अन्य अनाज को शामिल करने के संबंध में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया।
पानी के इस्तेमाल में दक्षता बढाने के क्रम में प्रधानमंत्री ने जागरूकता और विस्तार कार्यक्रम कराये जाने की इच्छा प्रकट की।
मवेशियों, भेड़ और बकरियों की नयी प्रजातियों के विकास में आईसीएआर के योगदान की समीक्षा करते हुए प्रधानमंत्री ने कुत्तों व घोड़ों की स्वदेशी प्रजातियों पर अनुसंधान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने खुर और मुंह से संबंधित बीमारियों के लिये टीकाकरण पर एक केन्द्रित अभियान पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने पोषण मूल्य को समझने के लिये घास और स्थानीय चाराण फसलों पर अध्ययन की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने पौष्टिक औषधीय पदार्थों के व्यावसायिक प्रयोग की संभावनाओं को खंगालने के अलावा मृदा स्वास्थ्य पर समुद्री खरपतवार नाशक के उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिये कि कृषि उपकरणों की पहुंच आसान बनायी जानी चाहिये और खेत से बाजार तक के लिये ढुलाई सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिये। इस संबंध में कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने ‘किसानरथ’ ऐप पेश किया है।
उन्होंने किसानों की मांग पूरी करने के लिये कृषि शिक्षा और कृषि जलवायु आवश्यकता पर आधारित अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने की दिशा में काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारतीय किसानों के पारम्परिक ज्ञान को तकनीक और युवाओं के कौशल का लाभ मिलना चाहिये। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिये भारतीय कृषि की पूरी संभावनाओं के दोहन के लिये कृषि स्नातकों का भी समर्थन मिलना चाहिये।
समीक्षा बैठक में कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, दोनों कृषि राज्य मंत्री शामिल रहे। इसके अलावा पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि, पशु पालन और डेयरी तथा मत्स्य पालन विभागों के सचिव भी उपस्थित रहे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान एवं विस्तार विभाग में सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने प्राथमिकताओं, प्रदर्शन और विभिन्न चुनौतियों से निपटने की तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि 2014 से अब तक आईसीएआर के विभिन्न केन्द्रों के अनुसंधान के आधार पर क्षेत्रीय फसलों (1434), बागवानी फसलों (462) और जलवायु आधारित (1121) प्रजातियों का विकास किया जा चुका है। कई तरह की मुश्किलें सहने में सक्षम प्रजातियों के विकास के लिये आणविक प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया गया है। गेहूं की एचडी 3226 और टमाटर की अर्काबेड क्रमशः सात और चार बीमारियों के लिये प्रतिरोधी हैं।
गन्ने की एक प्रजाति करण-4 से चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और इसने उत्तर प्रदेश में पारंपरिक रूप से पैदा होने वाली प्रजातियों की जगह ले ली है। प्रधानमंत्री ने गन्ना और अन्य फसलों से बायो एथेनॉल बढ़ाने के तरीके तलाशने की संभावनाओं को रेखांकित किया।
Edited by रविकांत पारीक