'मन की बात' में बोले पीएम मोदी - "जल हमारे लिए जीवन, आस्था और विकास की धारा है"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए जनता को संबोधित किया। यह उनके लोकप्रिय कार्यक्रम का 74वां संस्करण था। इस एपिसोड में उन्होंने जल संरक्षण समेत कई मुद्दों पर बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए जनता को संबोधित किया। यह उनके लोकप्रिय कार्यक्रम का 74वां ऐपिसोड था। इस महीने की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने ट्विटर पर लोगों से इस ऐपिसोड के लिए मन की बात कार्यक्रम में अलग-अलग विषयों पर सुझाव मांगे थे।
इस दौरान पीएम मोदी ने लोगों को पानी की अहमियत को लेकर बात की और कहा कि पानी के संरक्षण के लिए हमें प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पानी बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहाँ और ज्यादा मिलता है।“
उन्होंने कहा, “हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति।। अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।”
भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।
पीएम मोदी ने कहा, "जल हमारे लिए जीवन, आस्था और विकास की धारा है। पानी एक तरह से पारस से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए, 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है।"
जल संरक्षण को लेकर बोलते हुए उन्होंने कहा, "पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान– ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है।"
संत रविदास को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है। आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथ प्रदर्शन करता है। उन्होंने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही। और उसे सुधारने की राह दिखाई। हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए। आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए।"
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) के अवसर पर डॉक्टर सी.वी. रमन की उपलब्धियों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आज National Science Day भी है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है। मैं जरुर चाहूँगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक - इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें। ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। हमें साइंस को Lab to Land के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा। केरल से योगेश्वरन जी ने NamoApp पर लिखा है कि Raman Effect की खोज ने पूरी विज्ञान की दिशा को बदल दिया था।"
प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी का जिक्र किया, जिन्होंने, गेहूं, चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से पेटेंट भी मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एग्रीकल्चर वेस्ट से वेल्थ क्रियेट करने के भी कई प्रयोग देशभर में सफलतापूर्वक चल रहे हैं- जैसे, मदुरै के मुरुगेसन जी ने केले के वेस्ट से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है। इस इनोवेशन से पर्यावरण के समाधान के साथ अतिरिक्त आय होगा। जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा और मुझे विश्वास है, ये देश का हर नागरिक कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जब आसमान में हम अपने देश में बने फाइटर जेट तेजस (Fighter Plane Tejas) को कलाबाजिंयां खाते देखते हैं, तब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं। जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया वैक्सीन को पहुंचाते हुए देखते हैं तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है।' उन्होंने कहा, 'गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं। सहजन को कुछ लोग सर्गवा बोलते हैं, इसे मोंगिया या ड्रम स्टीक भी कहते है।'
पीएम मोदी ने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत की पहली शर्त होती है- अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाती है। जब दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन पहुँचते हुए देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'आप हमारे मंदिरों को देखेंगे तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है। हजों में हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में उग्रतारा मंदिर के पास इस प्रकार के तालाब हैं। इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है।'