आ गया पायलट लेस ड्रोन ‘वरुणा’, जानिए कैसे करेगा भारतीय नौसेना की मदद
वरुणा ड्रोन को सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने डिजाइन और डेवलप किया है और इसमें एक व्यक्ति को ले जाने की क्षमता है. सागर डिफेंस इंजीनियरिंग के फाउंडर और CEO निकुंज परासर ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री ने यहां नई दिल्ली में हमारे प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन देखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की उपस्थिति में दिल्ली में देश के पहले ऐसे पायलट लेस ड्रोन को पेश किया गया जो कि एक इंसान को भी ले जाने में सक्षम होगा.
स्वदेशी पायलट लेस वरुणा ड्रोन को बनाने वाले स्टार्टअप सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में उसकी क्षमता का प्रदर्शन किया.
प्रधानमंत्री मोदी नई दिल्ली के डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में नेवल इनोवेशन एंड इंडीजेनाइजेशन ऑर्गेनाइजेशन (NIIO) सेमिनार 'स्वावलंबन' को संबोधित करने के लिए मौजूद थे.
वरुणा ड्रोन को सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने डिजाइन और डेवलप किया है और इसमें एक व्यक्ति को ले जाने की क्षमता है.
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग के फाउंडर और CEO निकुंज परासर ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री ने यहां नई दिल्ली में हमारे प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन देखा.
प्रदर्शन के दौरान पायलट लेस ड्रोन जमीन से दो मीटर ऊपर हवा में उड़ा और उसके बाद वापस जमीन पर लैंड किया. परासर ने कहा कि इस ड्रोन को खासतौर पर भारतीय नौसेना के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है. वरुणा को दो हिस्सों में बनाया गया है. एक वह तकनीक है जो इसे चलते-फिरते युद्धपोतों से लैंडिंग और टेक ऑफ में मदद करती है और दूसरी तकनीक इसका प्लेटफॉर्म ही है.
लैंडिंग और टेक ऑफ तकनीक को भारतीय नौसेना के डीएसआर के साथ मिलकर विकसित किया गया है और वरुणा को वर्तमान में एनटीडीएसी (नौसेना प्रौद्योगिकी विकास त्वरण सेल) के साथ विकसित किया जा रहा है.
इसके साथ ही नौसेना को ऐसे कम से कम 30 ड्रोंस मुहैया कराए गए हैं जो कि वारशिप्स पर लैंड और टेक ऑफ कर सकते हैं. यह पहली बार है जबकि भारतीय नौसेना युद्धपोतों में ड्रोंस को शामिल कर रही है.
शुरुआत में इसका उपयोग सामान को लाने-ले जाने के लिए किया जा सकता है. इसमें चार ऑटो-पायलट मॉडल हैं जो कुछ पंखों के खराब होने की स्थिति में भी ड्रोन को उड़ान जारी रखने में मदद करते हैं. 130 किमी की विस्फोटक युद्धक सामग्री के साथ यह 25 किमी तक दूरी तय करने में सक्षम है.
अभी लैंड आधारित ट्रायल चल रहा है और अगले तीन महीने में ड्रोन को समुद्र के लिए ट्रायल होगा. एक शिप से दूसरी शिप पर सामान भेजने के अलावा इसका इस्तेमाल मेडिकल बचाव के लिए भी किया जा सकता है. इसका मतलब है कि आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों को समुद्र से बचाकर तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सकता है.
पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के गोवा में INS हंसा की यात्रा के दौरान सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने अपने नए पर्सनल एयर मोबिलिटी व्हिकल का प्रदर्शन किया था.