महाराष्ट्र के प्राथमिक विद्यालयों में बदलाव लाने के लिए एक मौन क्रांति का नेतृत्व कर रहा है यह शिक्षक
43 वर्षीय दत्तात्रेय वारे द्वारा संचालित पुणे के समीप अन्तर्राष्ट्रीय ओजस विद्यालय विभिन्न प्रकार की सुविधाओं जैसे विज्ञान एवं कंप्यूटर प्रयोगशाला होने का दावा करता है जिससे की छात्रों को विभिन्न विषय जैसे की रोबोटिक्स सीखने में मदद मिले।
भारत में सरकारी विद्यालय हमेशा से उपेक्षित या कम आंके गए हैं। इन्हें भीड़-भाड़ वाला, जर्जर, संसाधनों से अपरिपूर्ण एवं अनुचित तरीके से वित्त पोषित इकाई के रूप में देखा गया है।
जबकि यह परिदृश्य देश के कई हिस्सो में काफी हद तक सच्चाई को धारण करती है, वहीं महाराष्ट्र का एक प्राथमिक विद्यालय छात्रों के जिज्ञासु मन की क्षुधा को अपने विभिन्न सुविधाओं से शांत करते हुए एक आदर्श विद्यालय बनने के बेहद करीब है।
43 वर्षीय दत्तात्रेय वारे द्वारा संचालित, वेवलवाड़ी जिला परिषद विद्यालय पुणे से 45 किमी की दूरी पर स्थित इस विद्यालय में 9वीं तक क्लासिज़ हैं, जिसमें शिक्षको की एक टोली के साथ तकरीबन 530 छात्र हैं।
डेक्कन क्रॉनिकल से बातचीत के दौरान दत्तात्रेय कहते हैं,
"महज 25-30 छात्रों से हमारे पूर्व-प्राथमिक संभाग में अब 130 छात्र हो गए हैं। 400 से ज्यादा छात्र हमारे प्राथमिक संभाग में एवं 1000 से ज्यादा छात्र हमारी वेटिंग लिस्ट में हैं। आसपास के 25 से 26 गाँवो के छात्र हमारे पास झुंड में आते हैं।"
तो ऐसा क्या है जो इस विद्यालय को औरों से जुदा करता है? ये विद्यालय का अनोखा तंत्र है जो नई तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता को व्यवहार में लाकर छात्रों को रोबोटिक्स, एनीमेशन, ध्वनि अभियंत्रण, संगीत, वीडियो एडिटिंग, रिकॉर्डिंग एवं और भी बहुत कुछ सीखने में मदद करता है। जैसा की 'द लॉजिकल इंडियन' ने प्रकाशित किया है।
डेक्कन क्रॉनिकल के अनुसार ये विद्यालय जिसे अब अंतरराष्ट्रीय ओजस विद्यालय के नाम से जाना जाता है, महाराष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम का अनुसरण करेगा। ये सब मानवीय मूल्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ जो कि आर्ट ऑफ लिविंग की एक इकाई है, के द्वारा सुनिश्चित समर्थन के कारण संभव हो सका। आर्ट ऑफ लिविंग ने निवेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेश कंपनी बीएनआई को अनुबन्धित किया है।
दत्तात्रेय ने भी गतिविधि आधारित शिक्षा को लाकर पूर्व प्राथमिक अनुभागों में सुधार करना शुरू कर दिया। वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के महत्व की स्वीकार्ययता को लेकर अभिभावकों से भी मिले और उनसे विद्यालय के विकास हेतु योगदान करने का आश्वासन लिया।
इसके अतिरिक्त (आईएएचभी) ने 8 शून्य ऊर्जा कक्षाओं का निर्माण किया है जो कि सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन से परिपूर्ण हैं। दत्तात्रेय कहते हैं,
"इन नौजवान प्रतिभाओं को यदि वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता, छायांकार या रोबोटिक्स अभियंता बनना है तो ये आगे बढ़ सकते हैं। इनकी पृष्ठभूमि या जहाँ ये रहते हैं इनके अपने भविष्य बनाने की राह में जरूर आएंगे।
मौजूदा परिदृश्य
वर्तमान में विद्यालय के पास एक विज्ञान एवं कंप्यूटर की प्रयोगशाला है जिसे संगीत कक्ष में तब्दील किया जा सकता है। डोनेशन की मदद से सौर ऊर्जा पैनलो को लगाया गया है ताकि बिजली की मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा सके इसके साथ ही परिसर में एक वाई- फाई सम्पर्क केंद्र भी स्थपित किया गया है।
इसके अतिरिक्त विधलाय बच्चों को सातवीं कक्षा से हीं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाता है। दत्तात्रेय कहते हैं,
"हमारा उद्देश्य बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाना है। यह आशा है कि कम से कम 40 बच्चे इस विद्यालय से अच्छे महाविद्यालयो में जाएँ।
छात्रों को बेहतर तरीके से सीखने में मदद करने के लिए और उनमें नवीनतम दृष्टिकोण लाने के लिए विद्यालय के पास एक स्वनिर्मित प्रोजोक्ट है जिसका नाम "प्रोजेक्ट आविष्कार" (Project Avishkar) है, जो एक बच्चे की रचनात्मकता, महत्वपूर्ण एवं विश्लेषणात्मक कौशल को तलाशने एवं पोषण करने पर केंद्रित रहती है। इसके अंतर्गत शिक्षको ने 10 मॉडल्स का चयन किया है जिसमें उदाहरण स्वरूप रोबोटिक्स, 3डी एनिमेशन, ध्वनि अभियांत्रिकी, भाषाएँ, कलाएँ एवं संगीत शामिल हैं।