लड़कों के लिए निजी स्कूल, जबकि लड़कियों के लिए सरकारी स्कूल चुन रहे हैं अभिभावक: रिपोर्ट
भारत में अभिभावक लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूलों का चयन कर रहे हैं। ये अभिभावक लड़के के लिए निजी स्कूल, जबकि लड़कियों के लिए सरकारी स्कूल का चयन कर रहे हैं।
वर्तमान में देश में अभिभावक अपने लड़के और लड़की के लिए अलग-अलग स्कूल को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाल ही में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभिभावक लड़के के लिए निजी स्कूल, जबकि लड़कियों के लिए सरकारी स्कूलों का चयन कर रहे हैं।
शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति (ASER) द्वारा ये आंकड़े पेश किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 4 से 5 साल की उम्र के बच्चों में 56.8 प्रतिशत लड़कियों जबकि 50.4 प्रतिशत लड़कों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराया गया था, वहीं 43.2 प्रतिशत लड़कियों और 49 प्रतिशत लड़कों का दाखिला निजी स्कूलों में कराया गया।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सभी उम्र के वर्गों में लड़कियां लड़कों के मुक़ाबले अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, निजी स्कूलों में भी लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों की तुलना में कहीं बेहतर है।
रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 में पढ़ने वाले 28.5 प्रतिशत छात्रों की उम्र 5 साल या उससे कम है, वहीं निजी स्कूलों के लिए यही आंकड़ा 20.5 प्रतिशत का है। 5 साल की उम्र में स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या 91.9 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार,
“5 साल की उम्र तक अधिकतर बच्चे किसी न किसी तरह के शिक्षण संस्थानों में दाखिला ले चुके होते हैं, इन बच्चों का प्रतिशत 91.9 है। इनमें से आंगनवाड़ी जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 28.1, निजी स्कूलों में जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 27.5 और सभी तरह के स्कूलों में जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 33.4 है।”
ASER की रिपोर्ट को देश के 24 राज्यों के 26 जिलों में सर्वे करने के बाद जारी किया गया है। इस सर्वे में 4 साल से 8 साल की उम्र वर्ग के 36 हज़ार बच्चों को शामिल किया गया था।