ग्रामीण शिल्पकारों के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आई हैं इति त्यागी, स्थापित किया ‘क्राफ्ट विलेज’
ग्रामीण शिल्पकारों को प्लेटफॉर्म देकर उपलब्ध कराया रोजगार, पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी हैं इति त्यागी
"इति के अनुसार जब उन्होने गांवों में काम करते हुए हुनरमंद शिल्पकारों की मजबूरियों को देखा तो उन्हे बड़ा ही असहज महसूस हुआ। इति ने उसी वक्त तय कर लिया था कि वो इन कुशल कारीगरों के हुनर को एक नई दिशा देने का काम करेंगी जो उनके भविष्य को उजाले की तरफ लेकर जाएगा।"
इति त्यागी वो भारतीय डिजाइनर हैं जिन्होने बड़ी संख्या में ग्रामीण कारीगरों को एक उज्ज्वल भविष्य देने का काम किया है। इति अपने लगातार प्रयासों के जरिये अब देश भर के ग्रामीण शिल्पकारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती हैं।
निफ़्ट से पढ़ाई करने के बाद इति ने तमाम एक्सपोर्ट हाउस के साथ काम करना शुरू कर दिया था, इस दौरान इति को तमाम सरकारी प्रोग्राम में हिस्सा लेते हुए गांवों का भ्रमण करते हुए वहाँ पर काम करने वाले शिल्पकारों से भी मिलने का मौका मिला।
इति के अनुसार जब उन्होने गांवों में काम करते हुए हुनरमंद शिल्पकारों की मजबूरियों को देखा तो उन्हे बड़ा ही असहज महसूस हुआ। इति ने उसी वक्त तय कर लिया था कि वो इन कुशल कारीगरों के हुनर को एक नई दिशा देने का काम करेंगी जो उनके भविष्य को उजाले की तरफ लेकर जाएगा।
दिया एक प्लेटफॉर्म
इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए इति ने इन शिल्पकारों के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने का निर्णय किया, जहां तमाम क्षेत्रों में काम कर रहे ये कामगार आपस में जुड़ सकने में सक्षम हो सकते थे। इति चाहती थीं कि इसके जरिये ये सभी कारीगर अपने क्राफ्ट को शहरी ग्राहकों के सामने पेश कर सकें, जिससे उनके लिए आय के नए श्रोत खुल सकें।
इसी उद्देश्य के साथ इति सोमेश जैन के साथ मिलकर साल 2015 में दिल्ली में ‘क्राफ्ट्स विलेज’ संगठन की स्थापना की। इति अपने इस संगठन के जरिये इन कारीगरों के लिए नए मौके खोलने में सफल रहीं, जिससे इन कारीगरों ने अपनी कला को मुख्यधारा से जोड़ते हुए लोगों के सामने पेश करना शुरू कर दिया।
इति त्यागी के अनुसार उन्हें लगता है कि कहीं न कहीं आज का समाज नई चीजों को पकड़ने के चक्कर में पुरानी चीजों को छोड़ता जा रहा है।
शिल्पकारों को मिला मंच
क्राफ्ट विलेज़ में वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाता है, जहां पर लोग शिल्प तकनीक को न सिर्फ बारीकी से सीख सकते हैं, बल्कि वे देश भर से आए कुशल शिल्पकारों से मुलाक़ात कर उनके बारे में रिसर्च भी कर सकते हैं।
आज क्राफ्ट विलेज ने ग्रामीण और शहरी समुदाय के बीच एक खाई को पाटने का काम किया है, जहां शहरी ग्राहक आसानी से इन ग्रामीण शिल्पकारों की कलाकृतियों से रूबरू हो पा रहे हैं। यहाँ आज दुनिया भर के कलाकारों की कलाकृतियों का कलेक्शन मौजूद है।
‘क्राफ्ट्स विलेज’ ने देश भर के कारीगरों को यह मौका दिया कि वे यहाँ आकर अपनी मनचाही कला का प्रदर्शन कर उसे बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाने में सक्षम हो सकते हैं। ‘क्राफ्ट्स विलेज’के ही एक हिस्से में इति भी रहती हैं, जबकि यहाँ कारीगरों के रहने कमरे और खाना पकाने के लिए भी विशेष स्थान की व्यवस्था की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस खास संगठन ने 6 लाख 50 हज़ार रुपये के मुनाफे से शुरुआत करते हुए अब 50 लाख रुपये का आंकड़ा छू लिया है।
इति को उनके इन प्रयासों के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है, जबकि साल 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों उन्हें प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है।
Edited by Ranjana Tripathi