रक्षाबंधन: बहन ने भाई को दी नई जिंदगी, किडनी देकर बचाई भाई की जान
सूरत के एक भाई को उनकी बहन ने नई जिंदगी दी है। बहन ने अपनी किडनी भाई को देकर भाई की जिंदगी की डोर को कटने से बचा लिया। रक्षाबंधन से ठीक पहले भाई-बहन के प्रेम के त्योहार को इस तोहफे से नए मायने मिले हैं।
जिंदगी में तोहफे पाना हर किसी को प्रिय होता है, खासकर उन भाई-बहनों के लिए जो शुरू से ही एक-दूसरे के साथ ज्यादातर चीजें साझा करते हैं। इस भाई-बहन की जोड़ी के लिए, जैसे-जैसे उन्होंने अपनी किडनी साझा की, उनका बंधन और मजबूत होता गया।
रक्षाबंधन का त्योहार जो पहले से ही पूरे भारत में और उसके बाहर बहुत धूमधाम और प्यार के साथ भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है, इस साल एक बहन के लिए अनोखा मोड़ आया।
दरअसल, डॉक्टर सुजाता देव ने अपने भाई संदीप कुमार को किडनी डोनेट की है। संदीप भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 1989 बैच के अधिकारी हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से उन्होंने कहा, ‘मैं उसका शुक्रिया अदा करते नहीं थकता। आम तौर पर भाई रक्षाबंधन के दिन बहनों को तोहफा देते हैं। लेकिन सुजाता ने अपनी किडनी देकर मुझे नई जिंदगी दी है।’
वर्तमान में कुमार की पोस्टिंग उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रधान आयकर आयुक्त के पद पर है। उनकी बहन डॉ सुजाता देव एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं। डॉ सुजाता देव (51) ने अपने भाई के बारे में अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, "मेरे लिए, मेरा बड़ा भाई सब कुछ है। एक मेडिकल प्रोफेशनल होने के नाते, मुझे किडनी डोनेशन के बारे में पता था और एक किडनी डोनेट करने के बाद किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ये भी मुझे पता है। मुझे बेहद खुशी है कि मैं अपने भाई को नया जीवन देने में सक्षम हूं।"
किडनी रोग और अनुसंधान केंद्र (IKDRC), अहमदाबाद के संस्थान में हाल ही में बीती 14 अगस्त को गुर्दा प्रत्यारोपण (kidney transplant) हुआ। आईआरएस अधिकारी वर्तमान में स्थिर स्थिति में है और जल्द ही छुट्टी मिलने की संभावना है क्योंकि उनका क्रिएटिनिन स्तर निर्धारित सीमा के भीतर है।
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब संदीप कुमार के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण प्रक्रिया की गई। 2012 में, उनकी दोनों किडनी फेल हो गई, जिसके कारण उनका IKDRC में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। एक ब्रेन-डेड मरीज की किडनी जिसे दान कर दिया गया था, प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल की गयी थी। प्रक्रिया के बाद जब उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ, कुमार ने अपना समय गुजरात में कैडवर डोनेशन (cadaver donation) के बारे में जागरूकता फैलाने में बिताया और वर्तमान में सूरत स्थित अंग दान जागरूकता के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन डोनेट लाइफ (Donate Life) के उपाध्यक्ष हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल तक, उनका 2013 का प्रत्यारोपण उनके लिए अच्छा काम कर रहा था और वह एक स्वस्थ जीवन जी रहे थे। हालांकि, वह गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित होने लगे। कुमार ने कहा, "मैं इस साल फरवरी से डायलिसिस पर हूं। हमने दो बार कैडेवर डोनेशन की कोशिश की, लेकिन सही मैच नहीं मिला। परिवार के एक सदस्य से किडनी डोनेशन का एकमात्र विकल्प बचा था। मेरी बहन तुरंत किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हो गई। और यह मेल खाता है।"