दूध ठंडा करने का उपकरण बनाने वाले रविप्रकाश ने जीता 18 लाख का अवॉर्ड
इस समय बेंगलुरु में पीएचडी कर रहे पश्चिमी चंपारण (बिहार) के गांव हरसरी के युवा वैज्ञानिक रविप्रकाश को ब्राजील में आयोजित सौ युवा वैज्ञानिकों के विश्व स्तरीय यंग साइंटिस्ट सम्मेलन में 18 लाख रुपए के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। सम्मेलन में फर्स्ट आए रविप्रकाश ने दूध ठंडा करने वाले उपकरण का आविष्कार किया है।
दूध को ठंडा करने के उपकरण का आविष्कार करने वाले हरियाणा के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के पीएचडी स्कॉलर रविप्रकाश को ब्राजील में आयोजित यंग साइंटिस्ट सम्मेलन में 25 हजार डॉलर (18 लाख रुपए) के अवॉर्ड से नवाज़ा गया है। उनका आविष्कार विकसित देशों के छोटे किसानों, दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए बड़े काम का हो सकता है।
रविप्रकाश ने अपने आविष्कार में नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। यंग साइंटिस्ट सम्मेलन में उन्होंने पिछले दिनो अपनी डिवाइस का प्रेजेंटेशन दिया।, जिसमें पांच देशों के सौ युवा वैज्ञानिकों ने एक साथ शिरकत की। सम्मेलन में रविप्रकाश की डिवाइस को फर्स्ट अवॉर्ड मिला।
रविप्रकाश मूलतः पश्चिमी चंपारण (बिहार) के गांव हरसरी के रहने वाले हैं। उनके पिता अरविंद कुमार पेशे से शिक्षक हैं। रविप्रकाश बताते हैं कि डी-फ्रिज दूध को आमतौर पर तीन घंटे में 10 डिग्री तक ठंडा करता है। गाय का तापमान 37 डिग्री होता है। दूध भी उतना ही गर्म होता है।
एक डिवाइस पांच से छह लीटर दूध को 37 डिग्री से 10 मिनट में 7 डिग्री तक ठंडा कर देगी। उनका उपकरण नैनो सिद्धांत के आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने अपनी डिवाइस का पेटेंट कराने के लिए भी अप्लाई कर दिया है। पेटेंट हो जाने के बाद ही यह लोगों को बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।। उन्होंने इसकी कीमत पांच हजार रुपए रखी है। डिमांड बढ़ने के बाद इसकी कीमत कम हो जाएगी।
रविप्रकाश अपनी एजुकेशन के बारे में बताते हैं कि उन्होंने करनाल (हरियाणा) से बीटेक एनडीआरआई किया। उसके बाद एनडीआरआई के रीजनल सेंटर बेंगलुरू से एमटेक की पढ़ाई पूरी की। इस समय वह बेंगलुरु से ही पीएचडी कर रहे हैं। चौथे ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट फोरम (वाईएसएफ) रियो डी जेनेरियो में वह 20 भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे। ब्रिक्स में मुख्य रूप से भारत, रूस, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और चीन के युवा वैज्ञानिकों ने शिरकत की।
दो दिन के कार्यक्रम में सभी युवा वैज्ञानिकों ने अपन-अपनी प्रेजेंटेशन दी। पहले चरण में 20 वैज्ञानिकों को चुना गया। दोबारा से प्रेजेंटेशन में तीन वैज्ञानिक चुने गए, जिनमें भारत के युवा वैज्ञानिक रूप में वह अव्वल रहे। दूसरे स्थान पर रूस और तीसरे स्थान पर ब्राजील के युवा वैज्ञानिक रहे।