जब सत्यजीत रे को मिला एकेडमी अवॉर्ड और ठहाकों से गूंजने लगा डॉलबी थिएटर
जब कोलकाता के एक अस्पताल के बेड से ऑस्कर समारोह को संबोधित किया था सत्यजीत रे ने.
आज 15 दिसंबर है. 30 साल पहले 1992 में आज ही के दिन भारत के पहले और अब तक के एकमात्र फिल्मकार सत्यजीत रे को सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए एकेडमी अवॉर्ड (ऑस्कर) से सम्मानित किया गया था.
रे उस वक्त बहुत बीमार थे और अमेरिका की यात्रा करने की स्थिति में नहीं थे. एकेडमी अवॉर्ड समिति यह अवॉर्ड लेकर खुद हिंदुस्तान आई थी और अस्पताल के बेड पर उन्हें यह सम्मान दिया गया था. एकेडमी अवॉर्ड की टीम के साथ यह पुरस्कार हिंदुस्तान लेकर आई थीं प्रसिद्ध अभिनेत्री ऑड्रे हपबर्न. ऑड्रे तब खुद 62 साल की थीं और एक ही साल बाद 1993 स्विटजरलैंड में उनका निधन हो गया था.
अमेरिका में आयोजित 64वें एकेडमी अवॉर्ड समारोह में भी सत्यजीत रे के नाम की घोषणा मंच से ऑड्रे हपबर्न ने की थी. सत्यजीत रे का नाम अनाउंस करते हुए हपबर्न ने कहा, “एकेडमी बोर्ड ऑफ गवर्नस ने सत्यजीत रे को ऑनरेरी ऑस्कर सम्मान से सम्मानित करने के लिए एकमत से वोट किया है. सत्यजीत रे पिछले चार दशकों से फिल्में बना रहे हैं. वह एक ऐसे महान फिल्मकार हैं, जिनके मानवतावाद की मिसाल दुर्लभ है, जिनके सिनेमा ने पूरी दुनिया में फिल्म निर्माताओं और दर्शकों पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है.”
यह कहने के बाद हपबर्न ने बताया कि दुर्भाग्य से खराब स्वास्थ्य के चलते आज वो हमारे बीच यहां उपस्थित नहीं है. कोलकाता में हॉस्प्टिल से वो सीधे हमारे साथ जुड़ रहे हैं.
इस घोषणा के बाद एक बड़े से स्क्रीन पर वीडियो चलाया गया. वीडियो में सत्यजीत रे अस्पताल के बेड पर लेटे हैं. उनके हाथों में ऑस्कर अवॉर्ड है. उन्होंने हल्के भूरे रंग का सिल्क का कुर्ता पहन रखा है. एक झक सफेद तकिए पर सिर रख वो लेटे हैं और बीमारी और कमजोरी की वजह से थोड़ी थरथराती जबान में बोल रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह शानदार पुरस्कार और आज रात यहां आप सबके बीच होना मेरे लिए एक असाधारण अनुभव है. निश्चित ही यह मेरे फिल्म निर्माण के समूचे कॅरियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है."
वे बोले, “जब मैं छोटा था, स्कूल का लड़का, तब भी फिल्मों में मेरी गहरी रुचि थी. मैं एक फिल्म फैन था. मैंने उस समय डिआना डरबिन, जिंजर रॉजर्स को चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर एक आर्ट फॉर्म के रूप में सिनेमा में मेरी रुचि जागी. मैंने बिली वाइल्डर्स को 12 पन्नों की लंबी चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया.”
यह सुनकर पूरा हॉल ठहाकों से गूंजने लगा.
रे ने फिर कहा, “मैंने सिनेमा की कला और शिल्प के बारे में जो कुछ भी सीखा है, अमेरिकी फिल्मों से ही सीखा है. मैं बरसों से अमेरिकी फिल्मों को बहुत ध्यान से देखता रहा हूं. मुझे अमेरिकी सिनेमा दो कारणों से बहुत प्रिय है, एक तो जिस तरह वो मनोरंजन करता है और दूसरे उससे मैंने जो कुछ सीखा है. इस कारण मैं उससे बहुत प्यार करता हूं. इसलिए इस मौके पर मैं मोशन पिक्चर एसोसिएशन के प्रति और अमेरिकी सिनेमा के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं, जिसने मुझे यह सम्मान देकर इतना गौरवान्वित महसूस कराया है.”
बहुत कम लोग जानते हैं कि सत्यजीत रे को एकेडमी अवॉर्ड मिलने का बहुत सारा श्रेय मार्टिन स्कॉरसेसे को भी जाता है. उन्होंने ही मानद ऑस्कर के लिए रे का नाम प्रस्तावित किया था और अपने समर्थन में बहुत सारे वोट भी जुटा लिए थे.
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ को दिए एक इंटरव्यू में एक बार स्कॉरसेसे ने सत्यजीत रे के बारे में कहा था, “हम सभी को सत्यजीत रे की फिल्में देखने और उन्हें बार-बार देखने की जरूरत है. रे की सारी फिल्मों को एक जगह रखा जाए तो यह विश्व सिनेमा का एक बड़ा खजाना होगी. रे की फिल्मों की छवियां एक सरल कविता की मानिंद हैं. उनकी फिल्में और उसका भावनात्मक प्रभाव हमेशा मेरे साथ रहेगा."
15 दिसंबर, 1991 को सत्यजीत रे को यह अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा हुई थी. उसके बाद ऑस्कर की एक टीम हिंदुस्तान आई थी रे को निजी तौर पर यह सम्मान देने. वास्तविक समारोह का आयोजन 30 मार्च, 1992 को लॉस एंजेल्स के प्रसिद्ध डॉलबी थिएटर में हुआ और उसके सिर्फ 22 दिन बाद 23 अप्रैल, 1992 को रे का कोलकाता में निधन हो गया. वे 70 वर्ष के थे.
सत्यजीत रे के बाद और किसी भारतीय फिल्मकार को इस सम्मान से नहीं नवाजा गया है.