गंभीर बीमारी से लड़कर बचाया अपना पैशन, आज देश के चहेते 'वन मैन बैंड' बन चुके हैं ग्लैडसन
फेफड़ों की बीमारी ने दी थी भारी निराशा, लेकिन डट कर लड़े ग्लैडसन और बन गए 'वन मैन बैंड'
"सफलता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे ग्लैडसन अब तक दिल्ली, पुणे और मुंबई के साथ ही शंघाई जैसे शहरों में भी परफॉर्म कर चुके हैं। आज ग्लैडसन अपना एक म्यूजिक स्कूल भी चलाते हैं,जहां वे बच्चों और युवाओं को वाद्ययंत्र बजाना सिखाते हैं।"
एक समय ऐसा भी था जब उनके फेफड़े इतने कमजोर थे कि डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि अब वो कभी बांसुरी तक नहीं बजा पाएंगे, लेकिन ग्लैडसन पीटर आज एक ऐसे संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं जो एक साथ 14 तरह के वाद्ययंत्र बजा सकते हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान ग्लैडसन इन वाद्ययंत्रों को बजाते हुए पूरे सुर में गाने भी गाते हैं।
मीडिया से बात करते हुए ग्लैडसन ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया है कि वो एक खास तरह की बीमारी से पीड़ित थे, जिसे चिकित्सीय भाषा में प्लूरल एफ्यूशन कहते हैं। इसे टीबी जैसी बीमारी के लिए शुरुआती चरण भी माना जाता है।
आधे से अधिक फेफड़े थे खराब
ग्लैडसन तब 18 साल के थे और कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रहे थे। अपने भविष्य को लेकर भी ग्लैडसन ने बड़े सपने देखे हुए थे, लेकिन इस बीमारी ने जैसे उनके उन सभी सपनों पर एक ग्रहण सा लगा दिया था। ग्लैडसन तब तमाम तरह के वाद्य यंत्र बजाया करते थे, हालांकि डॉक्टरों ने ग्लैडसन को बताया कि अब वह एक सामान्य सी बांसुरी भी नहीं बजा सकेंगे। डॉक्टरों के अनुसार ग्लैडसन ने अपने 66 प्रतिशत से अधिक फेफड़े गंवा दिये थे।
कभी शराब और सिगरेट को हाथ भी न लगाने वाले ग्लैडसन के लिए यह सब उनके मनोबल को तोड़ने वाला था। 19 साल की उम्र में ग्लैडसन के फेफड़ों की सर्जरी हुई और उस दौरान सभी को यह लगने लगा था कि ग्लैडसन अब संगीत के प्रति अपने पैशन को जीवित नहीं रख सकेंगे, लेकिन ग्लैडसन आसानी से हार मान लेने वालों में से नहीं थे।
खोज निकाला अनूठा तरीका
अपनी रिकवरी के दौरान ही ग्लैडसन ने कुछ ऐसे तरीके खोज निकाले थे जिनसे वो ऐसे वाद्य यंत्रों को भी बजा सकने में सक्षम थे, जिनके लिए मुँह से हवा की जरूरत पड़ती है। ग्लैडसन दरअसल अपने वाद्ययंत्रों को बजाने के तरीकों को बदलने की दिशा में काम करने लगे, ग्लैडसन के अनुसार इस प्रक्रिया ने उनका सबसे अधिक समय लिया है।
इसके लिए ग्लैडसन को अपने वाद्ययंत्रों को सेटिंग्स में भी बदलाव करने पड़े, जिससे वो उन वाद्ययंत्रों को अधिक सहजता के साथ बजा पा रहे थे। ग्लैडसन ने इस दौरान अपने सभी वाद्ययंत्रों को अपने शरीर पर फिट किया और इस तरह अब वे इन वाद्ययंत्रों को एक साथ बजा पाने में सक्षम हो चुके थे। ये वाद्ययंत्र उनके शरीर के लिए मुश्किल ना बनें इसके लिए ग्लैडसन ने इन वाद्ययंत्रों के कुछ हिस्सों को हटा कर उन्हें हल्का बनाने का भी काम किया है।
बन गए ‘वन मैन बैंड’
ग्लैडसन की यह नई तकनीक उनके लिए एक नया अवसर साबित हुई, जहां अब वे एक बार फिर से अपने संगीत के साथ आगे बढ़ने में सक्षम हो सके हैं। आगे बढ़ते हुए अब ग्लैडसन ने स्टेज पर भी परफॉर्म करना शुरू कर दिया है, जहां लोग उन्हें 'वन मैन बैंड' के नाम से जानते हैं।
सफलता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे ग्लैडसन अब तक दिल्ली, पुणे और मुंबई के साथ ही शंघाई जैसे शहरों में भी परफॉर्म कर चुके हैं। आज ग्लैडसन अपना एक म्यूजिक स्कूल भी चलाते हैं,जहां वे बच्चों और युवाओं को वाद्ययंत्र बजाना सिखाते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi