टीकाकरण के लिए श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर न्यास ने दिए दस करोड़ रुपये
December 27, 2019, Updated on : Fri Dec 27 2019 04:01:30 GMT+0000

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महाराष्ट्र में आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को निमोनिया के टीके लगाने की राज्य सरकार की योजना के लिए श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर न्यास ने दस करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

फोटो क्रेडिट: social media
न्यास के अध्यक्ष आदेश बांदेकर ने यहां गुरुवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा,
“प्रथम चरण में राज्य के सोलह आदिवासी बहुल जिलों में से नंदुरबार, पालघर, गढ़चिरौली, अमरावती और नासिक के एक साल की आयु तक के 1.41 लाख बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। नौ महीने की आयु पूरी होने से पहले बच्चे को तीन बार टीका लगाया जाना होता है। इन पांच जिलों में टीकाकरण के 4.62 लाख डोज की आवश्यकता है।”
बांदेकर ने कहा कि न्यास इसके लिए दस करोड़ रुपये प्रदान करेगा।
टीकाकरण से आदिवासी क्षेत्र के बच्चों में निमोनिया की घटनाओं में कमी लाने में सहायता मिलेगी।
आपको बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के लिए मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के ट्रस्ट ने 51 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की थी। तब ट्रस्ट ने कहा था कि हमले में सीआरपीएफ के जिन जवानों ने अपनी जिंदगियां खोई हैं, उनके परिवारों को मदद के तौर पर सिद्धिविनायक मंदिर के ट्रस्ट की और से यह राशि दी जाएगी।
गौततलब हो कि सिद्धिविनायक मन्दिर मुम्बई स्थित एक प्रसिद्ध गणेशमन्दिर है। सिद्घिविनायक, गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरन्त पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।
यूं तो सिद्घिविनायक के भक्त दुनिया के हर कोने में हैं लेकिन महाराष्ट्र में इनके भक्त सबसे अधिक हैं। समृद्धि की नगरी मुंबई के प्रभा देवी इलाके का सिद्धिविनायक मंदिर उन गणेश मंदिरों में से एक है, जहां सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
हालांकि इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के 'अष्टविनायकों ’ में गिनती होती है और न ही 'सिद्ध टेक ’ से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहां गणपति पूजा का खास महत्व है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिद्ध टेक के गणपति भी सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं और उनकी गिनती अष्टविनायकों में की जाती है।
महाराष्ट्र में गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल हैं, जो अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं। लेकिन अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।
आमतौर पर भक्तगण बाईं तरफ मुड़ी सूड़ वाली गणेश प्रतिमा की ही प्रतिष्ठापना और पूजा-अर्चना किया करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि दाहिनी ओर मुड़ी गणेश प्रतिमाएं सिद्ध पीठ की होती हैं और मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा है, वह दाईं ओर मुड़े सूड़ वाली है। यानी यह मंदिर भी सिद्ध पीठ है।
(Edited by रविकांत पारीक )
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