जानें इन सामाजिक कार्यकर्ताओं से कि कैसे आप अपने छोटे से छोटे प्रयास से भी ला सकते हैं समाज में बड़ा बदलाव
सात वर्षीय लिसिप्रिया से लेकर दलित कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी तक, जानिए कैसे समाज में बदलाव ला रहे हैं ये 5 सामाजिक कार्यकर्ता।
जैसा कि वे कहते हैं, परिवर्तन का रहस्य अपनी सारी ऊर्जा पुराने से लड़ने पर नहीं, बल्कि नए निर्माण पर केंद्रित करना है। सामाजिक परिवर्तन एक व्यक्ति के साथ शुरू होता है, और धीरे-धीरे एक समाज की रचना को बदल सकता है। आज भले ही हम भारत में कई जमीनी हकीकत को जानते हों, लेकिन तथ्य यह है कि भारत में कई ऐसे व्यक्ति हैं जो इस तरह के परिवर्तन ला रहे हैं जो वे दुनिया में देखना चाहते हैं।
और धीरे-धीरे, समय के साथ, वे एक परिवर्तन को दिशा दे रहे हैं। युवाओं के प्यार, रिश्ते और सेक्स को देखने के तरीके को बदलने का उद्देश्य रखने वाली विथिका यादव से लेकर शारदा मेनन तक जिन्होंने भारत के पहले सिजोफ्रेनिया अनुसंधान केंद्रों में से एक की स्थापना की और सात वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम तक हम आपको ऐसे पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिला रहे हैं जो समाज पर एक बड़ा प्रभाव डाल रहे हैं।
विथिका यादव
मानवाधिकार कार्यकर्ता विथिका यादव का मानना है कि दुनिया भर के युवा वयस्कों के लिए प्यार, सेक्स और रिश्तों जैसे विषयों पर बातचीत शुरू करना आवश्यक है। न केवल सेक्स एजुकेशन अहम है, बल्कि यह सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन पर भी अंकुश लगा सकती है, और यौन हिंसा और उत्पीड़न के कारण होने वाले बहुत सारे दुखों को खत्म कर सकती है
विथिका द्वारा शुरू किया गया एक ऑनलाइन मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म लव मैटर्स (Love Matters) इन विषयों पर जानकारी प्रदान करता है। विथिका ने भारत में बड़े होने के दौरान अपने स्वयं के व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर इसे स्थापित किया था। वह बहुत सारे युवाओं से मिलीं, जो यौन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी चाहते थे, और चाहते थे कि यह गोपनीय रहे। इसलिए इस जरूरत को देखते हुए उन्हें एक ऑनलाइन मंच सबसे अच्छा तरीका लगा।
वेबसाइट एक नॉन-जजमेंटल रवैये के साथ सेक्स को अप्रोच करती है, और ऐसा कंटेंट ऑफर करती है जो लोगों को आहत नहीं करता है। केन्या, चीन, लैटिन अमेरिका और मिस्र में इसकी वैश्विक उपस्थिति है।
2013 में प्लेटफॉर्म ने वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ सेक्शुअल हेल्थ से दुनिया में सबसे इनोवेटिव सेक्सुअल हेल्थ प्रोजेक्ट होने का पुरस्कार जीता था। 2016 में, यह प्लेटफॉर्म फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन अवार्ड के हिस्से के रूप में दुनिया की शीर्ष पांच डिजिटल सक्रियता परियोजनाओं में से एक था।
कृति भारती
कृति भारती ने भारत में बाल विवाह को समाप्त करने और महिलाओं को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए 2011 की शुरुआत में सारथी ट्रस्ट (Saarthi Trust) की स्थापना की थी। संगठन न केवल बाल विवाह को समाप्त करने में मदद करता है, बल्कि बच्चों और परिवारों को परामर्श भी प्रदान करता है, और इन बच्चों को पुनर्वास प्रदान करता है।
यह ट्रस्ट टू-स्टेप अप्रोच को फॉलो करता है। वॉलंटियर्स की एक टीम सक्रिय रूप से बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनी प्रणाली अर्थात लीगल सिस्टम के साथ काम करती है, जबकि दूसरा उद्देश्य बच्चे का पुनर्वास करना और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करना है। इसके लिए वे बच्चे को शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर देकर उसका समर्थन करते हैं। ट्रस्ट जागरूकता फैलाने के लिए शैक्षिक और सूचनात्मक शिविरों का आयोजन करता है, और लोगों को बाल विवाह की सूचना देने के लिए एक ऑनलाइन हेल्पलाइन चलाता है।
लेनिन रघुवंशी
लेनिन रघुवंशी एक दलित अधिकार कार्यकर्ता हैं, और उन्हें नव-दलित आंदोलन (Neo-Dalit Movement) की स्थापना के लिए जाना जाता है जिसका लक्ष्य जाति व्यवस्था को खत्म करना, और सभी के लिए समान समाज की स्थापना करना है।
वे 'जस्टिस, लिबर्टी, इक्वलिटी: दलित इन इंडिपेंडेंट इंडिया' नामक पुस्तक के लेखक हैं। उनकी ये पुस्तक देश में हुए दलित अत्याचार के मामलों को उजागर करती है, और हमारे समाज में गरीब और कमजोर लोगों की रक्षा के लिए प्रशासनिक प्रणाली की अक्षमता पर प्रकाश डालती है।
PVCHR के संस्थापक सदस्यों में से एक, लेनिन रघुवंशी समाज के हाशिए के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करते हैं।
लेनिन अशोका फेलो (Ashoka fellow) हैं। देश में यातना की घटनाओं पर PVCHR द्वारा प्रकाशित उनकी रिपोर्टों के लिए पहचाने जाने के बाद 2006 में उन्हें यूरोपियन यूनियन द्वारा फंडेड नेशनल प्रोजेक्ट ऑन प्रिवेंशन ऑफ टॉर्चर के लिए राज्य निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें सामाजिक न्याय के लिए उनकी लड़ाई के लिए भी जाना जाता है और जिसके लिए उन्हें इरोम शर्मिला के साथ 2007 में ग्वांगजू मानवाधिकार पुरस्कार (Gwangju Human Rights Award) से सम्मानित किया गया था।
मंबलिकलातिल शारदा मेनन
मंबलिकलातिल शारदा मेनन एक सामाजिक कार्यकर्ता और मनोचिकित्सक हैं जिन्होंने सिजोफ्रेनिया रिसर्च फाउंडेशन (एससीएआरएफ इंडिया) की स्थापना की। शारदा मेनन को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में समाज में योगदान के लिए 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
SCARF, चेन्नई स्थित एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है जो एक बहु-विषयक (multidisciplinary), मनोचिकित्सा देखभाल और पुनर्वास सेवाओं की व्यापक रेंज ऑफर करता है। फाउंडेशन का उद्देश्य उन व्यक्तियों के पुनर्वास में मदद करना है जिन्होंने एक गंभीर स्किजोफ्रेनिक एपिसोड का अनुभव किया है, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित लोगों का समर्थन करता है।
संगठन ग्रामीण और शहरी भारत में कई सामुदायिक-आधारित उपचार कार्यक्रम भी चलाता है, जहां वे मानसिक स्वास्थ्य के लिए पैरवी करते रहे हैं और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता फैला रहे हैं। इनके यहां एक ओपीडी, एक डे केयर सेंटर और एक रोगी विभाग है। इसने अब तक 25,000 से अधिक मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों का फ्री में इलाज किया है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग केंद्र के रूप में नामित होने वाला दक्षिण एशिया का एकमात्र NGO है।
लिसिप्रिया कंगुजम
लिसिप्रिया कंगुजम सात साल की हैं। वे हमारी इस सूची में सबसे कम उम्र की सदस्य हैं। मणिपुर की ये जलवायु कार्यकर्ता प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जागरूकता फैलाकर समाज में फर्क लाने का प्रयास कर रही है। वह वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय युवा समिति (IYC) में बाल आपदा जोखिम न्यूनीकरण अधिवक्ता के रूप में काम करती हैं।
मणिपुर में, लिसिप्रिया लोगों से कठिन समय के दौरान एक दूसरे की मदद करने के लिए हाथ मिलाने का आग्रह करती हैं।
नॉर्थ ईस्ट नाउ से बात करते हुए उन्होंने कहा,
"जब मैं टीवी पर भूकंप, बाढ़ और सुनामी के कारण पीड़ित और मरने वाले लोगों को देखती हूं तो मैं डर जाती हूं। मैं रोती हूं जब मैं देखती हूं कि बच्चे अपने माता-पिता को खो देते हैं या लोग आपदाओं के खतरों के कारण बेघर हो जाते हैं। मैं सभी से इस काम में दिमाग और जुनून से जुड़ने का आग्रह करती हूं, ताकि हम सभी के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण हो सके।"
2018 में लिसिप्रिया को मंगोलिया के उलानबटार में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर 2018 एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। 2019 की शुरुआत में, संयुक्त राष्ट्र ने उसे जिनेवा, स्विट्जरलैंड में ग्लोबल प्लेटफॉर्म फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन के छठे सत्र में भाग लेने के लिए बुलाया था। थिंक चेंज इंडिया के मुताबिक इस सम्मेलन में 140 से अधिक देशों के 3,000 से अधिक प्रतिनिधि और प्रतिभागी थे।