कोविड-19 के बाद कैसे होंगे खेल? जानिए भारत के दिग्गज खिलाड़ियों की राय
नयी दिल्ली, क्या दर्शक फिर से स्टेडियमों में लौटेंगे? क्या विदेशों में अभ्यास पहले की तरह आसान होगा? संपर्क वाले खेलों में क्या होगा जिनमें सामाजिक दूरी नहीं बनाये रखी जा सकती है? क्या कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद खेल और खेलों को देखना पहले जैसा ही आसान होग?
ऐसे ही कई सवालों पर पीटीआई-भाषा की टीम ने देश के चोटी के खिलाड़ियों से बात की जिस पर उनकी मिश्रित प्रतिक्रिया रही। यहां पर हम इन खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
सचिन तेंदुलकर (भारत के दिग्गज बल्लेबाज) : निसंदेह दुनिया अभी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती से गुजर रही है। मुझे लगता है कि (गेंद को चमकाने के लिये) लार का उपयोग करने में खिलाड़ी कुछ समय के लिये सतर्क रहेंगे। यह बात उनके दिमाग में रहेगी।
खिलाड़ी कुछ समय के लिये गले मिलने से बचेंगे। मैं ऐसा मानता हूं। वे शुरू में सतर्क रहेंगे और सामाजिक दूरी बनाये रख सकते हैं।
अभिनव बिंद्रा (भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता) : खेल लोगों को आपस में जोड़ता है तथा दुनिया भर के हजारों भागीदारों और दर्शकों में खुशी का संचार करता है। भविष्य में सुरक्षा और बचाव पर अधिक ध्यान दिया जाएगा लेकिन खेलों के प्रति आकर्षण कम नहीं होगा।
कोविड-19 के बाद की स्थिति भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। शायद काफी विदेशी टूर्नामेंट और शिविर नहीं होंगे और ऐसे में भारत को उपयुक्त खेल बुनियादी ढांचा तैयार करने का मौका मिल सकता है।
बजरंग पूनिया (विश्व रजत पदक विजेता पहलवान) : कुश्ती संपर्क वाला खेल है। जब कुश्ती शुरू होगी तो आप किसी भी तरह से शारीरिक संपर्क से नहीं बच सकते। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसको लेकर किसी तरह की झिझक होगी। मुझे किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं लगती।
मुकाबले अधिक कड़े हो जाएंगे। सभी खिलाड़ी लंबी अवधि बाद वापसी करेंगे। उन्हें इतने लंबे विश्राम की आदत नहीं है। वे अपने मजबूत और कमजोर पक्षों का आकलन कर रहे हैं इसलिए टूर्नामेंट शुरू होने पर मुकाबले कड़े होंगे।
एम सी मेरीकोम (छह बार की विश्व चैंपियन, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता) : हम सभी चीजों के फिर से पहले की तरह सामान्य होने के लिये प्रार्थनाएं कर रहे हैं लेकिन क्या ऐसा हो सकता है। नहीं। यह वायरस दुश्मन है जिसे पूरी तरह से कोई नहीं समझ पाया। खेलों में बदलाव होंगे। मेरा खेल संपर्क वाला है और मैं निजी तौर पर चिंतित हूं कि हम कैसे इससे पार पाएंगे।
मुझे लगता है कि अभ्यास भी व्यक्तिगत हो जाएगा। जहां तक दर्शकों की बात है तो वे खेल देखने के लिये आएंगे। मुझे इसमें समस्या नजर नहीं आती। लेकिन हां टूर्नामेंटों में स्वच्छता का स्तर काफी ऊपर चला जाएगा।
विजेंदर सिंह (ओलंपिक कांस्य पदक विजेता) : मुझे लगता है कि दर्शकों को वापस लाना आसान नहीं होगा क्योंकि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहेंगे। भारत के बारे में हालांकि कुछ नहीं कहा जा सकता। यहां कुछ भी हो सकता है। लोग लंबे समय से घरों में है और हो सकता है कि वे पहला मौका मिलने पर ही स्टेडियम पहुंच जाएं।
बाईचुंग भूटिया (भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान) : आज के जमाने में जबकि टेलीविजन और डिजीटल प्लेटफार्म हमारी जिंदगी के अहम अंग बन गये हैं तब मुझे लगता है कि स्टेडिमयों में दर्शकों की कमी से खेल व्यवसाय प्रभावित नहीं होगा। मुझे लगता है कि इससे टीवी और डिजीटल प्लेटफार्म को फायदा होगा।
बी साई प्रणीत (विश्व कांस्य पदक विजेता) : हम काफी यात्राएं करते हैं और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की बहाली के बाद मुझे लगता है कि कोई भी चीन, कोरिया और यहां तक कि यूरोपीय देशों का दौरा करने से घबराएगा। चाहे आप खेल रहे हों या किसी रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हों, वायरस के संपर्क में आने डर हमेशा बना रहेगा।
महेश भूपति (कई बार के ग्रैंडस्लैम विजेता) : खेल नहीं बदलेंगे। कोविड-19 के समाप्त होने के बाद सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा।
जेजे लालपेखलुवा (भारतीय फुटबालर) : चीजें सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा लेकिन एक बार सब कुछ सामान्य होने के बाद हम खेल खेलने से नहीं डरेंगे।
सरदार सिंह (भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान) : जहां तक ओलंपिक की तैयारियों का सवाल है तो सकारात्मक बात यह है कि टीमों को अभ्यास का अधिक समय मिलेगा लेकिन इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि उन्हें नये सिरे से रणनीति बनानी होगी।
एक बार खेल शुरू होने के बाद सामाजिक दूरी के नये मायने होंगे। यह देखना होगा कि संपर्क वाले खेलों जैसे मुक्केबाजी, कुश्ती में इसे कैसे लागू किया जाता है। हाकी और फुटबाल में भी करीबी संपर्क आम बात है।
जोशना चिनप्पा (शीर्ष स्क्वाश खिलाड़ी) : मुझे लगता है कि विमान में मुझे अधिक सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि वे विश्व भर में रोगाणु के मुख्य संवाहक हैं। निश्चित तौर नये हालात होंगे। हवाई अड्डों से गुजरना भी अधिक कड़ा होगा। मैच के बाद मैं सबसे पहले विरोधी से हाथ मिलाती हूं लेकिन अब इसमें भी बदलाव हो सकता है।
कोनेरू हंपी (विश्व रैंपिड शतरंज चैंपियन और भारत की नंबर एक खिलाड़ी) : दर्शकों सहित बाहर स्टेडियमों में होने वाले खेल सुरक्षित नहीं है और अगले एक साल तक इनका आयोजन आसान नहीं होगा। मेरा मानना है कि हमें कुछ संयम बरतना होगा।
डी हरिका (भारत की नंबर दो शतरंज खिलाड़ी) : इससे उबरने या यात्रा करने में निश्चित तौर पर थोड़ा समय लगेगा। इससे कई खिलाड़ी प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वर्ष तेजी से गुजर रहा है लेकिन खेल जस के तस हैं। मुझे लगता है कि खेल बिना किसी समस्या के लय हासिल कर लेंगे। इसमें छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है।
Edited by रविकांत पारीक