स्टार्टअप्स के मददगार स्टार्टअप 'बैटरप्लेस' को तीन साल में मिली तीन गुनी ग्रोथ

स्टार्टअप्स के मददगार स्टार्टअप 'बैटरप्लेस' को तीन साल में मिली तीन गुनी ग्रोथ

Friday November 08, 2019,

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"स्टार्टअप्स के लिए काम करने वाली बेंगलुरु की स्टार्टअप कंपनी 'बैटरप्लेस' ब्लू कलर वर्कफोर्स मैनेज कर रही है। देश में ब्लू कलर वर्कफोर्स इंडस्ट्री 40 बिलियन डॉलर की हो चुकी है, जिसमें 'बैटरप्लेस' की सालाना तीन गुनी ग्रोथ है। इस स्टार्टअप कंपनी की क्लाइंट लिस्ट में इस समय देश के कई बड़े स्टार्टअप शामिल हैं।"

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प्रवीण अग्रवाल, को-फाउंडर और सीईओ, BetterPlace

आज स्टार्टअप एक अलग सेक्टर की तरह सरकारी-गैरसरकारी स्तरों पर इतना विस्तृत कार्यक्षेत्र बन चुका है कि इसे तरह-तरह से संभालने, प्रमोट करने वाली स्टार्टअप कंपनियां भी खड़ी होती जा रही हैं। स्टार्टअप्स के लिए काम करने वाली बेंगलुरु की एक ऐसी ही स्टार्टअप कंपनी है 'बैटरप्लेस', जो मैनपावर यानी ब्लू कलर वर्कर्स की पूरी


लाइफसाइकिल मैनेज कर रही है। हमारे देश के तेज़ी से बढ़ते स्टार्टअप ईको सिस्टम को जरूरत है भरपूर मैनपावर की और इसी ज़रूरत को ये कंपनी संभाल रही है। देश में ब्लू कलर वर्कफोर्स इंडस्ट्री करीब 40 बिलियन डॉलर की हो चुकी है। इस इंडस्ट्री में 'बैटरप्लेस' की सालाना तीन गुनी ग्रोथ हो रही है। वर्ष 2016 में शुरू हुई इस स्टार्टअप कंपनी की क्लाइंट लिस्ट में इस समय भारत के कई बड़े स्टार्टअप शामिल हैं।


बैटरप्लेस गिग इकोनॉमी को फॉर्मलाइज करके स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत तो कर ही रही है, साथ ही लेबर मार्केट के एक ऐसे सेगमेंट को भी एम्पॉवर कर रही है, जिसकी ओर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा था या फिर कहें, तो जिन पर लोग ध्यान देना नहीं चाह रहे थे।


पिछले साल बैटरप्लस ने ब्लू-कॉलर वर्कफोर्स के लिए ए-फंडिंग राउंड में तीन मिलियन डॉलर जुटा लिए थे। उसके मौजूदा निवेशकों में वेंचर हाईवे और यूनिट्स वेंचर्स शामिल हैं। बैटरप्लस के सीईओ प्रवीण अग्रवाल बताते हैं कि इस फंडिंग के साथ, बैटरप्लस का लक्ष्य देश में अर्द्ध औपचारिक कार्यबल को एक मंच के रूप में विकसित करने के साथ ही, स्किलिंग, अनुपालन, और फिनटेक सेवाओं का विस्तार करना है। अब तक, बैटरप्लस ने कुल चार मिलियन डॉलर जुटाए हैं। नवंबर 2015 में, इसने गूगल के पूर्व प्रमुख ललितेश कत्रगड्डा से फंडिंग हासिल की थी।





बी2बी सेगमेंट में स्टार्टअप्स तो बहुत हैं लेकिन बैटर प्लेस एक ऐसी स्टार्टअप कंपनी है, जो खास तौर पर स्टार्टअप्स को ध्यान में रखकर काम कर रही है, वह भी एक, ब्लू कलर वर्कर्स सेगमेंट में, जहां अब तक ज्यादातर काम अनऑर्गनाइज तरीके से होता रहा है। दरअसल, ये बी2बी स्टार्टअप कंपनी ब्लू कलर वर्कर्स को आज के स्टार्टअप की जरूरतों के लिए तैयार कर रही है। बैटरप्लेस ब्लू कलर वर्कर्स को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के साथ ही, उन्हें ट्रेंड भी करती है ताकि जॉब मार्केट के लिए वे तैयार हो सकें। इसके लिए इस स्टार्टअप ने देश के कई स्किल सेंटर्स के साथ टाईअप भी कर रखा है। 


को-फाउंडर प्रवीण अग्रवाल और सौरभ टंडन ने जनवरी 2015 में बैटरप्लेस की शुरुआत की तो उन्हें जल्द ही पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूदा डिमांड और सप्लाई का गणित समझते देर नहीं लगी। नए नियोक्ता सही कौशल और प्रतिभा की तलाश कर रहे हैं और कर्मचारी अपने कौशल की कमी के कारण कम वेतन के साथ संघर्ष कर रहे हैं।


इस प्रकार बैटरप्लस बी2बी के बिजनेस मॉडल में खड़ा हुआ। उसने पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया। अब वे कर्मचारियों को स्टार्टअप कंपनियों की मांग के अनुरूप अपनी तरह से विकसित कर रहे हैं। कर्मचारियों को पुन: कुशल बनाने के साथ ही उनकी ऋण, बीमा आदि वित्तीय जरूरतों में भी वेटर प्लेस कंपनी मदद करती है।





सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक, हाउसकीपर, घरेलू कामगार, कंस्ट्रक्शन वर्कर आदि ऐसी नौकरी चाहते हैं, जिससे कम से कम उनकी जरूरी घरेलू आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो सकें लेकिन असंगठित होने से उनके सामने योग्यता के अनुकूल रोजगार का अभाव रहता है। बैटरप्लेस कंपनी उनके अलग-अलग पेशे की योग्यता को रोजगार लायक सांचे में उन्हे ढालने का उपक्रम पूरी करती है।


मसलन, एक गार्ड को किसी नियोक्ता के साथ अपने पेशे के प्राथमिक मानदंडों का पता होना चाहिए। जब उसको मॉल में तैनात करने की आवश्यकता होती है, तो बैटरप्लेस का मॉड्यूल एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने तैनात होने की तुलना में थोड़ा अलग होता है। उनके मॉड्यूल में हिंदी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, बंगला, मराठी आदि ज्यादातर भारतीय भाषाओं के प्रशिक्षक प्रदाता भी उपलब्ध हैं।


दावा है कि अब तक, बैटरप्लेस के माध्यम से 1.5 मिलियन से अधिक लोगों को नौकरी मिली है। बैटरप्लेस रोजाना कम से कम आठ हजार नए लोगों को अपने साथ जोड़ रही है। ऐसे पांच सौ लोगों में फ्लिपकार्ट, ओला, स्विगी, एक्सेंचर, टीसीएस, बिग बास्केट आदि कंपनियों का कार्यबल जुड़ा है। कंपनी इस साल अपने शुद्ध राजस्व में 15 मिलियन डॉलर का टारगेट लेकर चल रही है।