सुपरटेक ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी को नोएडा पुलिस ने भेजा 64 लाख रुपये का बिल, जानिए क्यों?
ट्विन टावरों को गिराने के लिए 3700 विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था और उन्हें 9640 होल्स में लगाया गया था. इन्हें लगाने का काम 13 अगस्त को शुरू किया गया था और 22 अगस्त को खत्म हुआ था.
बीते 28 अगस्त को नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मात्र 9 सेकेंड में ढहा दिया गया जिसमें 3700 किलो से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था. अब नोएडा पुलिस ने ट्विन टावरों को ढहाने वाली कंपनी एडिफिस एंजीनियरिंग को 64 लाख रुपये का बिल भेजा है. यह बिल रोजाना हरियाणा के पलवल से सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने के लिए लाए जाने वाले विस्फोटकों की सुरक्षा में तैनात जवानों के लिए भेजे गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा हेडक्वार्टर स्थित डिप्टी पुलिस कमिश्नर रामबदन सिंह ने कहा कि लगभग 10 दिन पहले एडिफ़िस इंजीनियरिंग को एक बिल ईमेल किया गया था जिसमें हरियाणा के पलवल से विस्फोटकों को पहुंचाने के दौरान सुरक्षाबल मुहैया कराने और विध्वंस वाली जगह पर कई हफ्तों तक कई कर्मियों को साइट पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए किए गए खर्च की डिटेल्स दी गई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि विध्वंस वाले दिन सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कोई बिल नहीं दिया गया है.
बता दें कि, ट्विन टावरों को गिराने के लिए 3700 विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था और उन्हें 9640 होल्स में लगाया गया था. इन्हें लगाने का काम 13 अगस्त को शुरू किया गया था और 22 अगस्त को खत्म हुआ था.
नागपुर में निर्मित विस्फोटकों को पलवल में एक ऑथराइज्ड मैगजिन होल्डर द्वारा स्टोर किया जाता था, जो हर दिन पलवल से नोएडा सेक्टर-93ए में विध्वंस स्थल तक विस्फोटक पहुंचाते थे. इमारतों में रोजाना लगाने में लगभग 250-300 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता था.
हालांकि, एडिफिस इंजीनियरिंग के अधिकारियों ने ऐसा कोई भी बिल जारी होने की जानकारी होने से इनकार कर दिया.
बता दें कि, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे. ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित किए गए थे.
ट्विन टावर को 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे ढहाया गया था. मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से गिराने का कार्य सौंपा गया था. कंपनी ने इस जोखिम भरे काम के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था. शीर्ष न्यायालय द्वारा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था. उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसायटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था.
Edited by Vishal Jaiswal