'अग्निपथ' योजना पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को तैयार हुआ सुप्रीम कोर्ट
केंद्र ने पिछले साल 14 जून को अग्निपथ योजना शुरू की थी, जिसके तहत सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं.
उच्चतम न्यायालय सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की अग्निपथ योजना को सही ठहराने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ, हालांकि शुरू में याचिका पर विचार करने के लिए अनिच्छुक थी और इसने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपने फैसले की समीक्षा के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए.
याचिकाकर्ता के वकील ने, हालांकि अनुरोध किया कि यह याचिका भर्ती पर रोक लगाने से संबंधित है. अदालत ने तब वकील को एक नोट प्रस्तुत करने को कहा तथा मामले की सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख मुकर्रर कर दी.
पीठ ने कहा, "संबद्ध पक्षों के वकील सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम दो दिन पहले ई-मेल के जरिये अपनी संक्षिप्त दलीलें दाखिल करेंगे."
उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के प्रशंसनीय उद्देश्य के साथ राष्ट्रहित में तैयार की गई थी.
अदालत ने योजना की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं के एक समूह को खारिज कर दिया था और इसे केंद्र का 'सुविचारित' नीतिगत निर्णय करार दिया था.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि अग्निपथ योजना में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती. कोर्ट ने कुछ पिछले विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों के लिए भर्ती प्रक्रिया से संबंधित याचिकाओं को भी खारिज करते हुए साफ किया कि ऐसे उम्मीदवारों को भर्ती करने का अधिकार नहीं है.
केंद्र ने पिछले साल 14 जून को अग्निपथ योजना शुरू की थी, जिसके तहत सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों के अनुसार साढ़े 17 से 21 वर्ष की उम्र के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाएगा. चार साल के बाद इनमें से 25 प्रतिशत को नियमित सेवा का मौका दिया जाएगा. योजना के ऐलान के बाद कई राज्यों में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बाद में सरकार ने साल 2022 के लिए भर्ती की अधिकतम उम्र सीमा बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी थी.
इससे पहले, पीठ ने उन याचिकाकर्ताओं से पूछा था जिन्होंने केंद्र की अल्पकालिक सैन्य भर्ती योजना अग्निपथ को चुनौती दी है कि उनके किन अधिकारों का उल्लंघन किया गया है और कहा कि यह स्वैच्छिक है और जिन लोगों को कोई समस्या है, उन्हें इसके तहत सशस्त्र बलों में शामिल नहीं होना चाहिए. उच्च न्यायालय ने कहा था कि अग्निपथ योजना सेना, नौसेना और वायु सेना के विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई है और न्यायाधीश सैन्य विशेषज्ञ नहीं हैं.