नहीं रहे विक्रम किर्लोस्कर, इन्होंने ही Toyota की कारों को भारत में बनाया था पॉपुलर
विक्रम किर्लोस्कर का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से बेंगलुरु में निधन हो गया. विक्रम को इंडिया की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के दिग्गजों में गिना जाता है. विक्रम किर्लोस्कर बिजनेस परिवार की चौथी पीढ़ी थे. उन्हें टोयोटा ब्रैंड को भारत में लाने का श्रेय जाता है.
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर की मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. टोयोटा इंडिया ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की. उनकी उम्र 64 साल की थी.
विक्रम को इंडिया की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के दिग्गजों में गिना जाता है. विक्रम किर्लोस्कर बिजनेस परिवार की चौथी पीढ़ी थे. उन्हें टोयोटा ब्रैंड को भारत में लाने का श्रेय जाता है.
करियर
विक्रम किर्लोस्कर ने MIT से ग्रेजुएट करने के बाद फैमिली बिजनेस को जॉइन किया था. उन्होंने प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के साथ शुरुआत की थी और कंपनी में अपने शुरुआती सालों में कई टूल्स और प्रोसेस पर काम किया. एक कारोबारी परिवार से आने की वजह से उन पर बिजनेस में जल्दी आने और अच्छे प्रदर्शन का दबाव था.
किर्लोस्कर ने 2017 में एक इंटरव्यू में यह बात मानी भी थी. विक्रम बताते हैं कि वो पहले पुणे में किर्लोस्कर कमिंस की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में एक ट्रेनी की तरह हिस्सा बने. कई इनोवेशन और टेक्नोलॉजी लाने पर काम किया. किर्लोस्कर 1990 के आखिर में टोयोटा के बिजनेस को जॉइंट वेंचर के लिए जरिए इंडिया ले आए.
आज इंडिया में टोयोटा के बिजनेस में कई कंपनियां गिनी जाती हैं, जिसमें किर्लोस्कर सिस्टम्स उसकी पार्टनर है. किर्लोस्कर सिस्टम्स एक होल्डिंग और इनवेस्टमेंट कंपनी है जिसका मालिकाना हक विक्रम किर्लोस्कर के पास है. ये कंपनी आज टेक्सटाइल मशीनरी, मैन्युफैक्चरिंग कार्स, ऑटो कंपोनेंट्स, एल्युमिनियम डाइ-कास्टिंग जैसे क्षेत्रों में है.
टोयोटा को क्यों चुना
क्वॉलिटी और एक्सिलेंस के मामले में टोयोटा की छवि ने विक्रम का दिल जीत लिया. बिजनेस के मामले में टोयोटा के वैल्यू विक्रम से मेल खाते थे. इसलिए भी उन्होंने किर्लोस्कर के साथ बिजनेस करने का फैसला किया. 1991 में जब भारत को उदारीकरण की सौगात मिली तब तमाम कंपनियां बिना सोचे समझे बस जॉइंट वेंचर किए जा रही थीं.
मगर विक्रम ने बड़ी समझदारी के साथ भविष्य की स्थिति भांपते हुए टोयोटा को अपना पार्टनर चुना. इस स्पेस में हीरो-होंडा, कवासाकी-बजाज, LML-वेस्पा, महिंद्रा-रेनॉल्ट जैसे पार्टनरशिप भी देखने को मिले. हालात मुश्किल हुए तो सभी जॉइंट वेंचर धराशायी हो गए मगर टोयोटा-किर्लोस्कर का JV बड़ी मजबूती से टिका रहा.
इस जॉइंट वेंचर ने 1999 से लेकर अगले 20 सालों में काफी भारी भरकम डिविडेंड भी दिए. कंपनी ने क्वालिस, इनोवा, फॉर्च्यूनर और करोला जैसे प्रोडक्ट्स के साथ लॉयल कस्टमर बेस भी हासिल किए.
उन्होंने सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट के प्रेजिडेंट के पद पर भी अपनी सेवा दी. किर्लोस्कर सरकार की डिवेलपमेंट काउंसिल फॉर ऑटोमोबाइल्स एंड दी नैशनल काउंसिल फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में भी अपनी सेवा दी.
विक्रम किर्लोस्कर भारत के दिग्गज कारोबार समूह टाटा के साथ भी पारिवारिक संबंध थे. दरअसल विक्रम किर्लोस्कर की बेटी का नाम मानसी है. मानसी की शादी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा के साथ हुई थी. इस तरह रिश्ते में वो नोएल टाटा के समधी लगते हैं.
झगड़ा सुलझा लेगा किर्लोस्कर परिवार?
उनकी मृत्यु ऐसे समय पर हुई जब किर्लोस्कर ग्रुप अतुल, राहुल और विक्रम की किर्लोस्कर ब्रदर्स पर कंट्रोल के लिए अपने भाई संजय किर्लोस्कर के साथ लड़ाई चल रही थी. वहीं किर्लोस्कर इलेक्ट्रिक कंपनी के चेयरमैन विजय रविंद्र किर्लोस्कर भी अपने भतीजे राहुल, अतुल और विक्रम के साथ कानूनी लड़ाई में भिड़े हुए हैं.
इन हालात में विक्रम की मौत किर्लाेस्कर परिवार के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है. ऐसे में इसकी भी उम्मीद जगी है कि किर्लोस्कर परिवार आपसी झगड़े को कानूनी दांवपेंच से इतरह आपस में सुलझाने के कुछ उपाय ढूंढेगा.
Edited by Upasana