अगले पाँच सालों में इतने डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है तापमान, ग्लेशियर पिघलने के साथ बढ़ रहा है हिन्द महासागर का जलस्तर
अरब सागर के ऊपर बहुत गंभीर चक्रवातों की फ्रीक्वेंसी बढ़ गई है, उधर ग्लेशियर पिघलने का सिलसिला भी तेज़ हो रहा है, जिसके साथ हिंद महासागर में समुद्र का स्तर बढ़ने के साथ पानी गर्म हो रहा है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की मानें तो आने वाले पाँच सालों में एक या उससे अधिक महीनों के लिए पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है।
बढ़े हुए तापमान का असर भारत पर व्यापक रूप से नज़र आएगा। इसके चलते देश के कई हिस्सों में भीषण बारिश के आसार नज़र आ सकते हैं, तो वहीं कुछ हिस्सों में भीषण सूखा भी देखने को मिल सकता है। इसके पहले इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने भी अपनी रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग के स्तर के 1.5 डिग्री तक बढ़ने का जिक्र किया था।
जिनेवा, स्विटज़रलैंड में गुरुवार को जारी किए गए 2020-24 के लिए वैश्विक वार्षिक डेकेडल क्लाइमेट अपडेट में WMO ने बताया है कि वार्षिक वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में आने वाले प्रत्येक पांच वर्षों में कम से कम 1 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होने की संभावना है। यह तापमान बढ़ोत्तरी 0.91 से 1.59 डिग्री सेल्सियस की सीमा के भीतर होने की संभावना है।
इस साल उत्तरी गोलार्ध का बड़ा भूमि क्षेत्र 1981 और 2010 के बीच 29 वर्ष की अवधि की तुलना में औसत तापमान से 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होने की संभावना है।
अपडेट के अनुसार उष्णकटिबंधीय और दक्षिणी गोलार्ध के मध्य अक्षांशों में सबसे कम तापमान परिवर्तन होने की उम्मीद है।
लगातार बढ़ रहे ग्लोबल तापमान का असर अब क्लाइमेट पर साफ नज़र आने लगा है। दुनिया भर के तमाम हिस्सों में बारिश की मात्रा और समयावधि में बदलाव दिखना शुरू हो गया है।
इसी के साथ अरब सागर के ऊपर बहुत गंभीर चक्रवातों की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ गई है, उधर ग्लेशियर पिघलने का सिलसिला भी तेज़ हो रहा है, जिसके साथ हिंद महासागर में समुद्र का स्तर बढ़ने और पानी गर्म होने लगा है। अब दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में हाल के दिनों में सूखा पड़ने की संभावना है।