IIM से पढ़ाई कर आए मधुमक्खियों के पास, अब पर्यावरण बचाने के लिए शुरू की मुहिम
मधुमक्खियों के प्रति देवेंद्र जानी का जुड़ाव दरअसल टमाटर के पौधों के जरिये हुआ। पुणे में रहते हुए बचपन से ही देवेन्द्र का झुकाव सब्जियाँ उगाने की ओर था। खेत में उगने वाली सब्जियों में कीटनाशकों और अन्य रसायनों के उपयोग को देखते हुए देवेन्द्र जानी ने अपने घर की छत पर भी सब्जियाँ उगाने की कोशिश की थी।
देवेंद्र अपनी छत पर मूंग दाल से लेकर अदरक, पालक और तुलसी तक उगा पा रहे थे लेकिन वे टमाटर नहीं उगा सके थे क्योंकि टमाटर के पौधे से फूल जल्द ही गिर जा रहे थे। पाँचवीं मंजिल पर घर होने के चलते इन टमाटर के पाधों के लिए परागण मुश्किल हो गया था। इसी दौरान देवेंद्र को यह समझ आया कि टमाटर के पौधे के परागण के लिए मधुमक्खियाँ सबसे उपयुक्त हैं।
इसके बाद उन्होंने पुणे में केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान संस्थान का दौरा किया, जहां उन्होंने मधुमक्खियों के बारे में कुछ आश्चर्यजनक बातें सीखीं। देवेंद्र के अनुसार सभी की तरह उन्हें भी मधुमक्खियों से डर लगता था। लेकिन प्रशिक्षण ने मधुमक्खियों के प्रति उनके नजरिए को बदल दिया।
शुरू की ये खास पहल
देवेंद्र ने मधुमक्खियों को बचाने के लिए साल 2015 में ‘Bee-The Lead’ नाम की एक पहल शुरू की। इस पहल के माध्यम से देवेंद्र न केवल किसानों, बच्चों और अन्य लोगों के बीच मधुमक्खियों के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं, बल्कि यह भी समझाते हैं कि लोग मधुमक्खियों से लीडरशिप कैसे सीखी जा सकती है। देवेंद्र के अनुसार अब तक पहल के माध्यम से अब तक 10,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
देवेंद्र के अनुसार किसान अपनी खेतों में फसलों की अच्छी उपज के लिए रासायनिक उर्वरक और अन्य तरह के रसायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं जोकि एक समय बाद उनके खेत की उर्वरक क्षमता को भी कम कर देता है। मधुमक्खी परागण के जरिये किसानों की फसल को कई गुना तक बढ़ा सकती हैं हालांकि कीटनाशक उनकी आबादी को कम कर रहे हैं।
देवेंद्र प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। इस दौरान पुणे स्थित एनजीओ शिवप्रभा चैरिटेबल ट्रस्ट देवेंद्र को महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के आदिवासी क्षेत्र में किसानों के समुदायों तक पहुंचने में मदद कर रहा है। देवेंद्र के अनुसार किसान मधुमक्खियों के महत्व के बारे में जितना अधिक जानेंगे, उतना ही रासायनिक मुक्त कृषि उत्पादन बढ़ सकेगा।
बच्चों को सिखा रहे हैं पौधों से दोस्ती करना
एक प्रकृति प्रेमी होने के चलते देवेंद्र का मानना है कि अब समय आ गया है कि हम सभी प्रकृति के साथ दोस्ती करें। देवेंद्र पुणे के कुछ स्कूलों में 'ट्री फ्रेंड' नाम से एक प्रोजेक्ट चलाते हैं, जहां छात्रों को एक साल तक ऐसे पौधे पालने के लिए दिये जाते हैं जो मधुमक्खी के अनुकूल हों। ऐसे में इन बच्चों को पौधे की देखभाल करनी होती है और वे छात्र इन पौधों को अपने दोस्तों की तरह ट्रीट करते हैं।
देवेंद्र के अनुसार उनका मानना है कि बच्चे वयस्कों की तुलना में मधुमक्खियों के प्रति अधिक सहानुभूति रखते हैं और एक बार इस मानव व्यवहार के ठोस होने के बाद इसे बदलना मुश्किल है। देवेंद्र कहते हैं कि जब ये बच्चे बड़े होंगे तब उनमें मधुमक्खियों के प्रति सहानुभूति होगी। इसी के साथ देवेंद्र नदियों को भी साफ रखने के लिए समय-समय पर मुहिम चलाते रहते हैं क्योंकि मधुमक्खियों के लिए नदियां साफ जल का मुख्य श्रोत हैं।
Edited by Ranjana Tripathi