किसानों की ख़ुशहाली की गारंटी बनकर उभर रहा गुरुग्राम का 'किसान नेटवर्क ऐप'
भारत की आबादी का 58 प्रतिशत हिस्सा आज भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। इस सेक्टर पर रोज़गार का इतना भार होने के बावजूद भी ऐसे बहुत से किसान हैं, जो कर्ज़ तले दबे हुए हैं और अपनी आजीविका को सुचारू रूप से चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
नीति आयोग की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक़, जो परिवार अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर थे, उस आबादी का 1/5 हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे था। इसकी प्रमुख वजह यह है कि तकनीक पूरी तरह से कृषि क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाई है और किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों के बारे में सही से जानकारी ही नहीं है।
इस चुनौती के समाधान के रूप में 2018 में आशीष मिश्रा और सिद्धान्त भोमिया ने कृषि एंटरप्राइज़ की शुरुआत की। गुरुग्राम का यह एंटरप्राइज़, किसान नेटवर्क मोबाइल ऐप के रूप में एक वन-स्टॉप डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म उपलब्ध करा रहा है, जो किसानों को उनका उत्पादन और फलस्वरूप पैसे की आमद बढ़ाने के लिए लाभकारी सुझाव और जानकारियां उपलब्ध कराता है।
किसान नेटवर्क ऐप, आस-पास के बाज़ार-मंडियों, मौसम के अनुमान, बीज और उर्वरक संबंधी जानकारियों, फ़सल संबंधी तकनीकों और सरकारी योजनाओं आदि के बारे में बताता है। हाल में लगभग 6 लाख किसानों तक किसान नेटवर्क ऐप का लाभ पहुंच रहा है। कंपनी के को-फ़ाउंडर आशीष ने योर स्टोरी के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी अधिक होगा।
आशीष ने आईआईटी, खड़गपुर से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक आईटी सेक्टर में काम भी किया। कृषि क्षेत्र की ओर उनका रुझान हमेशा ही बना रहा।
आशीष बताते हैं,
"मेरे मामा शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश में रहते थे और किसान थे। इस वजह से मैं अक्सर खेत जाया करता था। इस दौरान ही मैंने खेती से जुड़ी चीज़ों के बारे में जाना और सीखा। इस दौरान मुझे कई किसानों से बात करने का मौक़ा भी मिला और मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अधिकतर किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीकों के बारे में पता ही नहीं था। मैंने इस बारे में सोचा और तय किया कि मैं इस समस्या का हल खोजूंगा।"
इसके बाद आशीष 'भारतीय किसान' नाम के फ़ेसबुक पेज से जुड़े। इस पेज पर लोग खेती से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते थे। आशीष के इस पेज से जुड़ने के बाद पेज की मेंबरशिप में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ। आशीष को एहसास हुआ कि अब किसानों के पास स्मार्टफ़ोन्स हैं और वे डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर भी सक्रिय रूप से मौजूद हैं। इन तथ्यों को समझने के बाद आशीष ने कृषि एंटरप्राइज़ की शुरुआत की और किसानों के लिए एक ख़ास मोबाइल ऐप्लिकेशन तैयार करने की जुगत में लग गए। आशीष ने बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के साथ अपने स्टार्टअप की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में उन्हें एक ऐंजल इनवेस्टर से सीड फ़ंडिंग मिली। किसान नेटवर्क ऐप ऐंड्रॉयड प्लैटफ़ॉर्म पर सिर्फ़ हिंदी भाषा में उपलब्ध है।
मौसम की जानकारी, खेती के सही तरीक़ों और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के अलावा यह ऐप फ़सल में लगने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी देता है। किसान अपनी फ़सल की फ़ोटो ऐप पर अपलोड करके, उसमें लगे कीड़ों या बीमारियों को दूर करने के उपाय भी जान सकते हैं।
इस ऐप पर किसानों को नज़दीकी बाज़ार और मंडी की जानकारी भी मिल जाती है। इतना ही किसान नेटवर्क ऐप पर किसान विशेषज्ञों से सलाह भी ले सकते हैं।
किसान नेटवर्क की बदौलत देश में अभी तक 35 हज़ार एकड़ ज़मीन पर सफलतापूर्वक फ़सलों का उत्पादन हो चुका है। हर दिन इस ऐप पर यूज़र (किसान) 1.2 लाख मिनट बिताते हैं।
आशीष कहते हैं,
"किसानों को रात-दिन काम करना पड़ता है, तब भी उन्हें अच्छा उत्पादन और आय मिलने की सुनिश्चितता नहीं होती। किसान नेटवर्क ऐप इस अनिश्चितता को ही ख़त्म कर रहा है। अगर हम तकनीक की मदद से किसानों को जानकारी दें और उन्हें शिक्षित करें तो उनके भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है और किसान नेटवर्क ऐप ने इस दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है।"