प्रेम-संबंधों का नया ट्रेंड तेजी से देश में बदल रहा है क्राइम का पैटर्न
यह 'प्रेम' नहीं, कुछ और है। इस ताज़ा ट्रेंड ने हमारे देश में क्राइम का पैटर्न ही पलट दिया है। पिछले कुछ वर्षों से देश में लगातार ऐसे प्रेम-संबंधों की भयानक तस्वीरें सामने आ रही हैं। अब ज्यादातर, देश में हर साल ढाई-तीन हजार हत्याएं ज़मीन-ज़ायदाद के कारण नहीं, बल्कि कथित 'प्रेम' संबंधों में बिखराव के चलते हो रही हैं।
पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में प्रेम संबंधों की खौफनाक दास्तानें उभरी हैं, जिसने क्राइम का पुराना ट्रेंड ही बदल डाला है। क्राइम ब्यूरो के ताज़ा रिकॉर्ड के मुताबिक, पहले जहां सबसे ज्यादा हत्याएं निजी अदावत, जमीन-जायदादों के विवाद में हुआ करती थीं, पिछले कुछ वर्षों से ज्यादातर हत्याएं कथित प्रेम संबंधों और अवैध रिश्तों के कारण होने लगी हैं। अब भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अपराध का पैटर्न बदल चुका है। दांपत्य जीवन पर केंद्रित एक ताज़ा विश्लेषण में बताया गया है कि वर्ष 2017 में विश्व में लगभग 30 हज़ार महिलाएं अपने प्रेमियों के हाथों मौत के घाट उतारी गईं। इसी स्टडी में सामने आया है कि अपने दोस्त के हाथों मारे गए लोगों में 80 फीसदी महिलाएं रही हैं। इस बीच सिस्टम और इंटरटेनमेंट के माध्यमों ने नई पीढ़ी के सपनों का ट्रेंड भी बदल दिया है कि कुछ नहीं, तो चलो यही सही।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, प्रेम प्रसंग और अवैध संबंधों की वजह से हमारे देश में अब हर साल लगभग ढाई-तीन हजार ऐसी हत्याएं हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि प्रेम संबंधों के कारण विश्व स्तर पर सालाना 5,000 हत्याओं में 1,000 हत्याएं तो अकेले भारत में हो रही हैं। हालांकि गैरसरकारी संगठन बता रहे हैं कि विश्व में ऐसी हत्याओं की संख्या 20 हजार तक पहुंच चुकी है। भारत में प्रेम संबंधों में रोजाना 7 हत्याएं, 14 आत्महत्याएं और 47 अपहरण की घटनाएं हो रही हैं। पुलिस रेकॉर्ड के मुताबिक इन दिनो 90 में से 25 हत्याएं प्रेम संबंधों और अवैध संबंधों को लेकर हो रही हैं। ऐसी हत्याओं के पीछे मूल कारण गलतफहमी, व्यभिचार और घरेलू हिंसा है। ऐसी ज्यादातर हत्याओं के खुलासे पीड़ित के अंतिम फोन कॉल्स से हो रहे हैं। ऐसे हत्यारे पुलिस की मामूली सख्ती पर ही पूरा राज़ उगल देते हैं।
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक इन दिनों का प्रेम संबंध अंदर से बहुत पज़ेसिव बना दे रहा है। लड़की से उम्मीद के मुताबिक निर्वाह नहीं मिलने पर पुरुष पॉर्टनर प्रतिशोध पर आमादा हो जा रहे हैं।
हमारे देश में ऐसी घटनाओं के ताज़ा आँकड़ों पर नजर दौड़ाने पर एक भयावह तस्वीर उभर रही है। स्टडी में पाया गया है कि भारत में हर साल 1000 से अधिक हत्याएँ ऑनर किलिंग की हो रही हैं, जिसमें प्रतिवर्ष हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में करीब 900 और बाकी देश में लगभग 300 ऑनर किलिंग हो रही हैं। अवैध प्रेम संबंधों में होने वाली हत्याओं का आँकड़ा तो और भी भयावह है। वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में ऐसी 383 हत्याएं, तमिलनाडु में 175, बिहार में 140 और गुजरात में 122, महाराष्ट्र में 214, आंध्र प्रदेश में 198 हत्याएं दर्ज हुई हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2014 में 28, 2015 में 192 और 2016 में 68 ऑनर किलिंग हुईं। वर्ष 2016 में ऐसी सबसे अधिक 18 घटनाएं मध्य प्रदेश में, उससे पहले 2015 में सर्वाधिक 131 वारदातें उत्तर प्रदेश में हुई हैं।
बताया गया है कि आजकल के प्रेमी अपनी दोस्त महिलाओं पर चोरी-छिपे नज़र रखते हुए उनका उत्पीड़न करते रहते हैं। उनका रोमांस पहले तो तेज़ी से गहरे संबंधों में तब्दील हो जाता है, फिर वे स्वयं पर नियंत्रण खोकर संबंध पर हावी होने लगते हैं, वे अक्सर आत्महत्या की धमकियां देते हैं, प्रतिशोध की साजिश रचने लगते हैं। वे वे ज़बरदस्ती महिला दोस्त पर नियंत्रण रखने की प्रवृत्ति के कारण उन्माद के जूनून में अंधे होकर हत्या तक कर बैठते हैं। ब्रिटेन में तो हाल ही में ऐसे रिश्तों पर बाकायदा एक शोध वकीलों, मनोवैज्ञानिकों, पुलिस कर्मचारियों और प्रोबेशन अधिकारियों को उपलब्ध कराया गया है। शोधकर्ता इस पर अभी रिसर्च की जरूरत महसूस कर रहे हैं ताकि ऐसे प्रेमी युगलों की जिंदगियां बचाई जा सकें।
ऐसी घटनाओं के रिसर्च में पता चला है कि पुरुष पॉर्टनर्स के लिए अब लड़कियों के साथ सहज रह पाना असंभव सा होता जा रहा है। प्रेम संबंधों के टूटने पर अकसर पुरुष ही महिलाओं के प्रति हिंसक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। बात इकतरफा प्रेम अथवा प्रेम-संबंध टूटने की हो, पुरुष पॉर्टनर हमलावर होकर हत्या, हत्या की कोशिश या एसिड फेंकने की हरकतें करने लगे हैं। आजतक किसी लड़की ने शायद ही ऐसा किया हो। हमले लगातार सिर्फ लड़कों की तरफ से हो रहे हैं।
आजकल के प्रेम संबंध अगर पॉर्टनर को हिंसक बना रहे हैं तो विश्लेषकों का मानना है कि वह प्रेम संबंध है ही नहीं। पुरुषों में अचानक जन्म लेने वाली इस हिंसक प्रवृत्ति के कुछ बुनियादी सामाजिक कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें एक है, आज के आधुनिक समाज में लड़कियों के निर्णयों को ज्यादा महत्व दिया जाना, जबकि परंपरा में विरासत की वंशावली का अधिकार आज भी बेटों के पास सुरक्षित है।
भारतीय समाज में आज भी पुरुषों का अहम ज्यादा महत्वपूर्ण बना हुआ है। ऐसे में उनका प्रेम संबंधों में क्रूरता की हद तक गुजर जाना सामाजिक बुनावट के कारण घटित हो रहा है। जैसे ही कोई लड़की या औरत पुरुष पॉर्टनर से शादी या प्रेम का प्रस्ताव ठुकराती है, रिश्ता लड़खड़ा कर प्रतिशोध में बदल जा रहा है। आजकल की लड़कियों के निर्णय लड़कों को विचलित, अशांत कर दे रहे हैं, जिसमें स्री को सिर्फ भोग्या मानते हुए सुंदरता और शुचिता का सवाल भी एक प्राथमिक कारक बन गया है। पहले ऐसा नहीं था।
तेजाब से लड़की को झुलसाने वाला उसको एक झटके में समाज से बहिष्कृत करा देने की कुचेष्टा करता है। आम तौर से पीड़ित लड़की के साथ आज का समाज भी मनुष्यता की बजाए दुश्मन की तरह पेश आ रहा है। एक बात और, इंटरटेनमेंट के स्रोत जिस तरह सोसाइटी को उकसा रहे हैं, ऐसे गलीज माहौल में लड़कियों ने भी ऐसे संबंधों को एक ऑब्जेक्ट समझ लिया है।
देश की आबादी में एक बड़ा हिस्सा जीनियस लोगों का भी है, जिनके प्रेम संबंधों की एक अलग ही दास्तान सामने आई है। सामान्य लोगों की अपेक्षा जीनियस लोगों में प्रेम संबंधों की संभावनाएं कम होने लगी हैं क्योंकि पॉर्टनर चुनते समय वे सिर्फ शक्ल को अहमियत नहीं दे रहे हैं। वे ऐसे रिश्तों की हर बात का समय से गंभीर विश्लेषण करने लगे हैं। वे जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए, उससे कम पर समझौते नहीं करते। उन्हे ये भी पता होता है कि ज्यादातर ऐसे रिश्ते नाकाम हो जाते हैं। उनके लिए ऐसे रिश्तों का कमिटमेंट मुश्किल होता है। ज्यादातर ऐसे मामलों में वे अपनी तरह के स्मार्ट रिश्ते चाहते हैं, मिल जाते हैं तो दोनो स्मार्ट में पटती नहीं, क्योंकि वे आपस में सहज नहीं रह पा रहे हैं। इस तरह इस वर्ग में भी प्रेम संबंधों की स्थिति कत्तई अनुकूल नहीं है।