कोरोना काल के दौरान सेक्स वर्करों की जिंदगी बदल रहे हैं ये एनजीओ, कुछ ऐसे जारी है समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास

कई एनजीओ दिल्ली के गार्स्टिन बैस्टियन (जीबी) रोड के सेक्स वर्करों को इस कठिन दौर में मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।

कोरोना काल के दौरान सेक्स वर्करों की जिंदगी बदल रहे हैं ये एनजीओ, कुछ ऐसे जारी है समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास

Monday June 14, 2021,

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"कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेन्सिंग के पालन के चलते सेक्स वर्कर पूरी तरह से बेरोजगारी की स्थिति पर हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार कट-कथा की संस्थापक गीतांजलि बब्बर ने बताया है कि वर्तमान में स्थिति इतनी बदतर है कि तमाम सेक्स वर्कर इस समय महज 50 या 100 रुपये के लिए ग्राहकों का मनोरंजन कर रहे हैं, जबकि अनेकों सेक्स वर्करों ने यह काम पूरी तरह छोड़ दिया है।"

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सांकेतिक फोटो

कोरोनावायरस महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने देश के तमाम कोनों में मौजूद सेक्स वर्करों के जीवन पर और भी बुरा प्रभाव डाला है। समाज की मुख्य धारा से अलग ही नज़र आने वाले सेक्स वर्करों के लिए यह दौर सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है, क्योंकि बीते डेढ़ सालों में उनकी कमाई बिल्कुल बंद हो चुकी है।


इस बीच कई एनजीओ दिल्ली के गार्स्टिन बैस्टियन (जीबी) रोड के सेक्स वर्करों को इस कठिन दौर में मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा ही एक एनजीओ है DMCI यानी ‘डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव इंडिया’, जो इस समय कट-कथा एनजीओ के साथ मिलकर सराहनीय काम कर रहा है।


गौरतलब है कि DMCI जिन सेक्स वर्करों की मदद कर रहा है उन्हें एक कट-कथा एनजीओ द्वारा पुनर्वासित करने का काम किया गया है। DMCI इस समय जो मास्क खरीद रहा है उन मास्क का निर्माण जीबी रोड के इन्ही सेक्स वर्करों ने किया है।

सेक्स वर्करों के पुनर्वास की कोशिश

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कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेन्सिंग के पालन के चलते सेक्स वर्कर पूरी तरह से बेरोजगारी की स्थिति पर हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार कट-कथा की संस्थापक गीतांजलि बब्बर ने बताया है कि वर्तमान में स्थिति इतनी बदतर है कि तमाम सेक्स वर्कर इस समय महज 50 या 100 रुपये के लिए ग्राहकों का मनोरंजन कर रहे हैं, जबकि अनेकों सेक्स वर्करों ने यह काम पूरी तरह छोड़ दिया है।


कट-कथा ने बीते एक दशक से भी अधिक समय से इन सेक्स वर्करों की पुनर्वास के लिए काम किया है। एनजीओ इन सेक्स वर्करों को प्रशिक्षण देते हुए तमाम क्षेत्रों में रोजगार के मौके उपलब्ध करा रहा है।


गीतांजलि के अनुसार सेक्स वर्करों के पुनर्वास की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती है और इसे महज कुछ दिनों में ही पूरा नहीं किया जा सकता है बल्कि कई बार तो यह प्रक्रिया तीन से चार साल तक का समय ले लेती है।

सेक्स वर्कर सीख रहे हैं नई स्किल

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लॉकडाउन के बाद जीबी रोड की 23 महिला सेक्स वर्कर गीतांजलि से मिली और अब गीतांजलि ने अपने एनजीओ के बैनर तले उन सेक्स वर्करों की जिंदगी को बदलते हुए उन्हे समाज की मुख्य धारा में लाने का बीणा उठाया है। इन सभी सेक्स वर्करों को तमाम ऐसी स्किल्स सिखाई जाएंगी जिससे वे आगे चलकर अपनी जीविका अर्जित कर सकेंगी। गौरतलब है कि सेक्स वर्करों द्वारा मास्क का निर्माण इसी पहल का हिस्सा है।


इन मास्क को बांटने का DMCI कर रहा है। मालूम हो कि अगले कुछ दिनों में करीब 30 हज़ार से अधिक मास्क केरल पहुँचने हैं। इतना ही नहीं, DMCI सेक्स वर्करों के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में भी सराहनीय काम कर रहा है।


गीतांजलि का कहना है कि ये महिलाएं जिस भी क्षेत्र में काम करने की इच्छा जाहिर करेंगी उन्हे वैसी ही ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाएगी। इसी के साथ गीतांजलि आज आम लोगों से यह आग्रह भी कर रही हैं कि लोग इन सेक्स वर्करों द्वारा बनाए गए मास्क को खरीदें। गीतांजलि के अनुसार अगर इन सेक्स वर्करों के लिए जीविका के अन्य विकल्प सामने नहीं आए तो ये फिर से अपने पुराने पेशे में लौटने को मजबूर हो जाएंगी।


Edited by Ranjana Tripathi