इस ऐपमेकर के पास हैं 35 देशों के क्लाइंट्स, दुनिया के शीर्ष पर पहुंचने का है लक्ष्य
केरल के मलप्पुरम ज़िले के दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने मिलकर 2013 में ऐपमेकर की शुरुआत की थी। यह स्टार्टअप, आईओएस और ऐंड्रॉयड प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए ऐप विकसित करने में क्लाइंट्स की मदद करता है। हाल में यह कंपनी दुनियाभर ते 35 देशों के क्लाइंट्स के साथ काम कर रही है। मल्प्पुरम के रहने वाले सलीह के और मोहम्मद अनीस की मुलाक़ात 2013 में हुई थी। इस दौरान दोनों ही उम्र 25 साल थी और दोनों ही कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई के तीसरे साल में थे। दोनों ही अपने खर्चे पूरे करने के लिए ऐप डिवेलपिंग का फ़्रीलांस काम करते थे। सलीह और मोहम्मद दोनों के अंदर सॉफ़्टरवेयर डिवेलपमेंट के प्रति जुनून था और इसलिए दोनों ने मिलकर नए प्रयोगों पर काम शुरू किया।
पुराना समय याद करते हुए सलीह बताते हैं, "ग्राहकों की ऐप संबंधी ज़रूरतों के बारे में अपने पैटर्न की खोज की। ज़्यादातर फ़ीचर्स और स्पेसिफ़िकेशन्स एक जैसे ही थे। इस वजह से ही हमने सोचा कि क्यों न एक ऑटोमैटिक ऐप बिल्डिंग प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया जाए और इस आइडिया की बदौलत ही ऐप मेकर की शुरुआत हुई।"
ऐपमेकर की शुरुआत बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के साथ हुई थी। इस स्टार्टअप के विकसित होने के सिर्फ़ एक हफ़्ते के भीतर ही सलीह और मोहम्मद ने 500 डॉलर की कमाई कर ली। दोनों का उद्देश्य था कि वे अपने प्लेटफ़ॉर्म को शॉपीफ़ाई जैसा बनाएं। शॉपीफ़ाई, एम-कॉमर्स के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स सॉफ़्टवेयर प्रोवाइडर है।
ऐपमेकर की मदद से आप कुछ सेकंड्स में ही आईओएस, ऐंड्रॉयड और विंडोज़ प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए ऐप तैयार कर सकते हैं। कंपनी अपने दो प्रोडक्ट्स, वेब2डेस्क और पीडब्ल्यूए2एपीके मुफ़्त उपलब्ध हैं। आज की तारीख़ में, ऐपमेकर के पास 35 देशों के 400 क्लाइंट्स हैं, जिनमें मध्य पूर्व, यूएस और कनाडा के कई देश शामिल हैं।
ऐपमेकर क्लाइंट्स के लिए ऐप मैनेजर और ऐप बिल्डर, दोनों ही काम करता है। इसके टूल्स का इस्तेमाल, ई-कॉमर्स, रीटेल, मीडिया, इवेंट्स और एजुकेशन सभी सेक्टर्स में मददगार हैं। सलीह दावा करते हैं, "हमारी तकनीक की यूएसपी यह है कि हम सबसे कम क़ीमत पर और सबसे तेज़ी के साथ क्लाइंट्स को नेटिव ऐप एक्सपीरिएंस मुहैया कराते हैं। हम अपने प्रतिद्वंद्वियों टीएम स्टोर और ऐप प्रेसर की अपेक्षा बेहतर क्वॉलिटी और परफ़ॉर्मेंस देते हैं।" ऐपमेकर की यूएसपी है, ऐप कॉन्टेन्ट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) और रियल टाइम में ऐप अपडेट्स को मैनेज करने के लिए एक डैशबोर्ड तैयार करना।
ग्रैजुएशन के बाद सलीह और अनीस कुछ समय के लिए बेंगलुरु चले गए क्योंकि कर्नाटक का स्टार्टअप ईकोसिस्टम केरल की अपेक्षा काफ़ी बेहतर था। हालांकि, कुछ समय बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि उनका प्रोडक्ट ग्लोबल है और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की मदद से उन्हें दुनियाभर से क्लाइंट्स मिल सकते हैं। सलीह कहते हैं, "मैं और अनीस दोनों ही केरल के रहने वाले हैं और इसलिए हमने सोचा कि हमारे घर के पास हमारे लिए संसाधनों की कमी नहीं होगी।"
2017 में, ऐपमेकर ने केरल स्टार्टअप मिशन के वर्कस्पेस में काम करना शुरू किया। यहां पर उनको बेहतर तकनीकी सहयोग के साथ-साथ अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन भी मिला। पिछले ही साल, ऐपमेकर कोची के एक एंजल इनवेस्टर की ओर से सीड फ़ंडिंग भी मिल चुकी है। कोच्चि में टेक्नॉलजी इनोवेशन ज़ोन भी है, जिसे भारत का सबसे बड़ा टेक हब माना जाता है।
सलीह बताते हैं कि उनके ज़्यादातर ग्राहक अपने सेल्स का 60 प्रतिशत हिस्सा, मोबाइल ऐप्स के ज़रिए ही पूरा करते हैं। ऐपमेकर ऐप सीएमएस के लिए मासिक फ़ीस चार्ज करता है। सलीह का दावा है कि इस कैटेगरी में ऐपमेकर को हर महीने 10 प्रतिशत की ग्रोथ मिल रही है। सलीह के मुताबिक़, ऐपमेकर मुनाफ़े में है और उनकी टीम अन्य बाज़ारों में प्रवेश करने के बारे में भी विचार कर रही है।
इंडिया ब्रैंड इक्विटी फ़ाउंडेशन (आईबीईएएफ़) के अनुमान के मुताबिक़, 2020 तक भारत की इंटरनेट इकॉनमी 2017 की अपेक्षा लगभग दोगुनी होकर 250 डॉलर तक पहुंच जाएगी और इसमें ई-कॉमर्स की बड़ी हिस्सेदारी होगी। साथ ही, 2021 तक भारत में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या 829 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
इतने कम समय में ऐपमेकर को कई सम्मान भी मिल चुके हैं। 2018 में कनाडा सरकार ने नेक्स्ट बिग आइडिया (एनबीआई) कॉन्टेस्ट के लिए भारत से 13 स्टार्टअप्स का चुनाव किया था और ऐपमेकर उनमें से एक था। यह कॉन्टेस्ट ज़ोन स्टार्टअप्स इंडिया द्वारा आयोजित किया जाता है। इस कॉन्टेस्ट को इंडो-कनाडा बायलेट्रल इनोवेशन ऐंड ऑन्त्रप्रन्योरशिप प्रोग्राम (2018-19) के अंतर्गत आयोजित किया जाता है। इस प्रतियोगिता के विजेताओं को नॉर्थ अमेरिकत मार्केट में ज़ोर आज़ामाने का मौक़ा मिलता है।
ऐपमेकर का दावा है कि इस साल उनका रेवेन्यू 0.5 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा और अगले साल तक उन्हें वीसी फ़ंडिंग मिलने की उम्मीद है। सलीह और मोहम्मद कोच्चि से अपने ऑपरेशन्स जारी रखना चाहते हैं।
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