सीखने में असमर्थ बच्चों के लिए रीहैब इंस्टीट्यूट चला रही हैं चेन्नई की ये महिला, गरीब बच्चों के लिए हैं मुफ्त क्लासेस
चेन्नई की रहने वाली सुगन्या कंदासामी आज ऐसे बच्चों के लिए मुफ्त स्पीच थेरेपी समेत कई अन्य खास क्लास का संचालन कर रही हैं जिनमें सीखने की अक्षमता हैं और वे आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से आते हैं।
मीडिया से बात करते हुए सुगन्या ने बताया है कि जब उन्होने इन बच्चों की पहली क्लास ली तभी उन्हें यह समझ आ गया था कि ये वो काम है जिसे वो अपनी पूरी ज़िंदगी करना पसंद करेंगी। सुगन्या के अनुसार वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले ये बच्चे महंगी शिक्षा प्रणाली के चलते सामाजिक तौर पर कभी आत्मविश्वास पैदा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में इन बच्चों के लिए इस तरह की क्लास काफी अहम हैं।
सुगन्या के अनुसार उन्हें बच्चों के साथ समय बिताना हमेशा से ही अच्छा लगता था। वे बैंकिंग सेक्टर में काम कर रही थीं लेकिन खुद को संतुष्ट नहीं पाती थीं। इसी के साथ सुगन्या ने अपनी नौकरी छोड़ दी और इन बच्चों के लिए अपना समय समर्पित करने के उद्देश्य से विशेष शिक्षा और सांकेतिक भाषा पर एक कोर्स किया था।
गरीब बच्चों से नहीं लेती हैं फीस
सुगन्या के पिता मछली पकड़ने का काम करते हैं लेकिन उनका परिवार मूल रूप से सुगन्या की कमाई पर ही आश्रित है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आज सुगन्या अपनी इन क्लास के माध्यम से जो कुछ भी कमाती है वह उससे अपनी माँ और संस्था की मदद करती हैं। आज सुगन्या के पास लगभग 50 छात्र हैं लेकिन वे आर्थिक रूप से वंचित बच्चों से फीस नहीं लेती हैं।
हालांकि जो इसे वहन कर सकते हैं, वे उनसे प्रति सत्र 200 रुपये का मामूली शुल्क लेती हैं। आमतौर पर इन कक्षाओं में प्रति सत्र 800-1,200 रुपये खर्च होते हैं, लेकिन सुगन्या ने इसकी फीस नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है।
स्पीच थेरेपी के महत्व पर बात करते सुगन्या बताती हैं कि इस तरह की समस्याओं से जूझने वाले वंचित परिवार जागरूक नहीं हैं, इसी के साथ उनके पास संसाधनों का भी अभाव है। बच्चों के लिए संचार कौशल विकसित करने के लिए प्रारंभिक भाषा हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। एक बच्चे को जितनी जल्दी मदद मिलेगी, उसकी भाषा का परिणाम उतना ही बेहतर होगा।
सुगन्या आज स्पीच थेरेपी क्लास का संचालन करने के साथ ही स्पेशल एजुकेशन और पैरेंट्स और टीचर्स की मुफ्त में काउंसलिंग कर उनकी मदद भी करती हैं।
आगे चलकर बच्चे पा सकेंगे रोज़गार
निकट भविष्य में वह इन बच्चों के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान खोलने की योजना बना रही हैं ताकि ये सारे बच्चे आत्मनिर्भर बन सकें। सुगन्या के अनुसार कई माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। ऐसे में अर्जित किया गया कौशल आगे चलकर बच्चों को उनकी आजीविका कमाने में मदद करेगा।
इस विशेष शिक्षा के अलावा सुगन्या कई गैर सरकारी संगठनों के साथ बतौर वॉलंटियर भी काम करती हैं। यहाँ वे सेंसरी प्रोसेसिंग स्किल (संवेदी जानकारी को समझना और प्रतिक्रिया देना), फाइन मोटर स्किल (लेखन के लिए), अटेंशन (बैठने की सहनशीलता में सुधार के लिए) और सोशल बिहेवियर (साथियों के साथ बातचीत) आदि को लेकर बच्चों को ट्रेन करती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi