कर्नाटक की इस माँ-बेटी की जोड़ी ने पूरी की हाई-स्पीड रैली, पेशे से दोनों हैं डॉक्टर
रेसिंग ट्रैक पर फर्राटा भर रही हैं डॉक्टर माँ-बेटी की यह जोड़ी, जीत चुकी हैं कई ट्रॉफियाँ
"चिकमंगलूर में पली-बढ़ी शिवानी का रेसिंग के प्रति लगाव शुरुआती उम्र में ही शुरू हो गया था, उस दौरान उनके क्षेत्र में तमाम रैलियां होती रहती थीं। एमबीबीएस की डिग्री के दूसरे साल के दौरान ही डॉ. शिवानी ने अपने पिता बीएस पृथ्वी से रेसिंग की बारीकियाँ सीखना शुरू कर दिया था।"
माँ-बेटी की यह जोड़ी कई मायनों में खास है। यह जोड़ी एक ओर जहां अपने मेडिकल प्रोफेशन के जरिये लोगों की सेवा कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह जोड़ी रेसिंग ट्रैक पर अपनी फर्राटा मारते हुए तमाम ट्रॉफियां भी जीत रही है।
कर्नाटक की रहने वाली डॉ. शिवानी पृथ्वी और उनकी माँ डॉ. दीप्ति पृथ्वी की यह जोड़ी अपने मेडिकल करियर के साथ ही खेलों के मामले में भी आज एक बेंचमार्क सेट कर रही है। माना जाता है कि रेसिंग जैसे खेलों में आमतौर पर पुरुषों का ही दबदबा रहता है, लेकिन डॉ. शिवानी और डॉ. दीप्ति इसे गलत साबित कर रही हैं।
डॉ. शिवानी ने एसडीएम कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस से एमएमबीएस की डिग्री हासिल की है, जबकि उनकी माँ डॉ. दीप्ति मेडिकल प्रैक्टिस करने के साथ ही मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर भी हैं। डॉ. शिवानी के लिए यह यात्रा साल 2018 में शुरू हुई, जब उन्होने पहली बार फॉक्सवैगन मोटरसपोर्ट इंडिया एमियो कप में हिस्सा लिया था। इस कप में हिस्सा लेने के साथ ही डॉ. शिवानी देश की पहली ऑल वीमेन रेसिंग टीम ‘अहुरा रेसिंग’ से भी जुड़ गई थीं।
पिता ने सिखाई रेसिंग
चिकमंगलूर में पली-बढ़ी शिवानी का रेसिंग के प्रति लगाव शुरुआती उम्र में ही शुरू हो गया था, उस दौरान उनके क्षेत्र में तमाम रैलियां होती रहती थीं। एमबीबीएस की डिग्री के दूसरे साल के दौरान ही डॉ. शिवानी ने अपने पिता बीएस पृथ्वी से रेसिंग की बारीकियाँ सीखना शुरू कर दिया था।
गौरतलब है कि डॉ. शिवानी के पिता बेंगलुरु के रेसिंग सर्किट में एक प्रसिद्ध रेसर रह चुके हैं। उनके पिता के बारे में स्थानीय तौर पर एक किंवदंती चर्चित है कि साल 1192 में एक लोकल रैली के दौरान कार का टायर फ्लैट हो जाने के बावजूद उन्होने 60 किलोमीटर की दूसरी तय की थी।
अपना रेसिंग करियर शुरू करने के तुरंत बाद डॉ. शिवानी ने ‘स्प्रिंट डी बेंगलुरु’ प्रतियोगिता जीती और इसी के साथ वो एशिया ऑटो जिमखाना चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली भारत की पहली महिला रेसर भी बनीं।
माँ हैं सबसे बेहतर को-पायलट
साल 2019 में जब डॉ. शिवानी ने इन रैलियों में भाग लेने का फैसला किया तब उन्हें अपनी कार के लिए सह-चालक के रूप में कोई नेविगेटर नहीं मिल रहा था। उसके पिता के सुझाव के बाद डॉ. शिवानी की माँ इसके लिए तैयार हो गईं और तब से यह जोड़ी लगातार साथ में रेसिंग ट्रैक में नज़र आ रही है।
मां-बेटी की इस जोड़ी का कहना है कि उन्हें एक-दूसरे के साथ काम करना अधिक सुविधाजनक लगता है क्योंकि ऐसे में वे एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं। डॉ. शिवानी के अनुसार उनकी टीम में उनकी मां होने का मतलब यह भी है कि उन्हें मैदान में अन्य रेसर्स की तुलना में अधिक फायदा मिलता है, जिसमें मातृ प्रेम और देखभाल भी शामिल है।
रेडबुल से बात करते हुए डॉ. शिवानी ने बताया है कि रेस के दौरान जब वो प्रतिस्पर्धा के मोड में होती हैं तब ऐसे में उनकी माँ ही यह सुनिश्चित करती हैं कि वो समय पर खाना खाती रहें। बीते तीन सालों में माँ-बेटी की यह जोड़ी रेसिंग ट्रैक पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अब तक कई ट्रॉफियाँ अपने नाम कर चुकी है।
Edited by Ranjana Tripathi