उबर ईट्स के अधिग्रहण के बाद जोमैटो के लिए ये है सबसे बड़ी चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार जोमैटो द्वारा उबर ईट्स के अधिग्रहण से देश के ऑनलाइन फूड डिलीवरी बाज़ार में कोई बड़ा बदलाव दिखाई देना मुश्किल है, हालांकि जोमैटो के लिए उबर ईट्स के ग्राहकों को अपने साथ जोड़ना भी एक बड़ी चुनौती है।
विशेषज्ञों की मानें तो जोमैटो द्वारा उबर ईट्स के अधिग्रहण के बावजूद देश के ऑनलाइन फूड डिलीवरी बाज़ार में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना काफी कम है, हालांकि इस डील के बाद निवेश के इंतज़ार में बैठे बड़े निवेशकों को जरूर फायदा हो सकता है।
जोमैटो ने 21 जनवरी को उबर ईट्स को अधिग्रहित कर लिया था, इस डील के तहत उबर को जोमैटो में 9.99 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिली है। इस डील से इतर उबर ईट्स के श्रीलंका और बांग्लादेश में जारी व्यवसाय को कोई फर्क नहीं पड़ा है।
अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जोमैटो के संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल ने कहा है कि,
"इस वर्ष यह हमारे लिए चुनौती है कि हम ग्राहक सेवा, परिचालन दक्षता और अपने व्यवसाय के आकार के संदर्भ में अपने बाजार के नेतृत्व को कितनी अच्छी तरह से निष्पादित करते हुए बनाए रखते हैं।”
इकनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार नेशनल रेस्टोरेंट एसोशिएशन ऑफ इंडिया का मानना है कि इस डील से बाज़ार में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के ऑनलाइन फूड डिलीवरी बाज़ार में उबर की हिस्सेदारी काफी कम थी, जबकि जोमैटो और इस स्वीग्गी संयुक्त रूप से इस बाज़ार में 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी बनाए हुए थे।
इस डील के होते ही सबसे बड़ी समस्या उन रेस्टोरेन्ट को हुई जो सिर्फ उबर ईट्स के साथ ही जुड़े हुए थे, 21 जनवरी की सुबह से उबर ईट्स की सेवाएं बंद होने के साथ उनका काम भी रुक गया। ऐसे में अब अगर जोमैटो उन्हे अपने साथ जोड़ता भी है, तो उसमें कुछ समय लग सकता है, हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है।
उबर ईट्स के बंद होने के साथ इससे जुड़े ग्राहक कितनी तादाद में जोमैटो का रुख करते हैं यह अभी देखने योग्य है, हालांकि इस डील के साथ ही जोमैटो ने उबर ईट्स के ग्राहकों को कई ऑफर दिये हैं, जिनमें पहले तीन ऑर्डर पर 50 प्रतिशत की छूट और 3 महीने के लिए जोमैटो गोल्ड का सब्स्क्रिप्शन शामिल है।