कभी जिन्हें समझा जाता था ऑफिस असिस्टेंट आज वो हैं इंटेल इंडिया की हेड
'रंज से ख़ूगर हुआ इंसान तो मिट जाता है रंज': इंटेल इंडिया की हेड ने मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर से बताई स्त्रियों को उनकी ताकत
इंटेल दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटर कंपनियों में से एक है। दुनिया के न जाने कितने कंप्यूटरों में इंटेल की चिप लगी होती है। इस अमेरिकी कंपनी की एक शाखा भारत में भी है जिसे इंटेल इंडिया के नाम से जाना जाता है। इंटेल इंडिया के सबसे ऊंचे पद पर विराजमान कंट्री हेड निवरुति राय ने हरस्टोरी के कार्यक्रम वूमन ऑन ए मिशन समिट में हिस्सा लिया और महिलाओं के अधिकार से लेकर आजादी तक तमाम बातें कीं। उन्होंने इस खास मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा, 'कथनी की तुलना में करनी कहीं ज्यादा असरदार होती है। अगर आप अपने काम को सबसे अच्छे ढंग से करते हैं तो आप सुकून की नींद ले सकते हैं।'
निवरुति आगे कहती हैं, 'अगर मैं अपना काम करती हूं लेकिन उस काम में असफल रह जाती हूं तो भी मैं सुकून से सो सकती हूं, लेकिन अगर मैं काम नहीं करूंगी तो चैन से सो नहीं पाऊंगी। यही वो बात है जिसने मुझे बेहतर इंसान बनाया है और इस आदत को मुझे खुद में ढालने में वक्त लगा है।' इस कार्यक्रम मे योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा से बात करते हुए निवरुति ने कहा कि एक महिला को आज के दौर में आत्मविश्वास से भरा, जोखिम लेने वाला, साथी महिलाओं की मद करने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी महिला को यह भूलना नहीं चाहिए कि वह किसी की मदद कर सकती है।
कार्यक्रम में निवरुति ने मणिपुर से खरीदी हुई साड़ी पहन रखी थी। उनके भीतर कभी फैशन डिजाइनर बनने का ख्वाब था, इसलिए उन्होंने श्रोताओं से कहा कि जब वे अपने करियर के शुरुआती दौर में कलरफुल ड्रेस पहनकर ऑफिस जाती थीं तो लोग उन्हें गलती से ऑफिस असिस्टेंट समझ लेते थे। उन्हें कम ही लोग जानते थे कि वे इंजीनियर हैं। वे कहती हैं, 'लोग तो यहां तक कह देते थे कि मैं इंजिनियर से ज्यादा फैशन डिजाइनर लगती हूं, लेकिन मुझे लगता है कि ये उनकी दिक्कत थी, मेरी नहीं।'
निवरुति ने 1994 में बतौर डिजाइन इंजीनियर इंटेल में कदम रखा था। इसके पहले उन्होंने ऑरेगन यूनिवर्सिटी से इंजिनियरिंग में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। इस कंपनी में लगभग तीन दशकों तक काम करने के बाद उन्होंने अपने काम और काबिलियत के दम पर जो हासिल किया है उसके बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है। 2005 में उन्हें इंटेल के मोबाइल डिवाइस यूनिट के रिसर्च और डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में काम करने कोो दिया गया था। मार्च, 2016 में उन्हें इंटेल इंडिया का कंट्री हेड बना दिया गया।
कार्यक्रम में बैठीं लगभग 700 महिलाओं को संबोधित करते हुए निवरुति ने कहा, 'आप जितने भी कलरफुल कपड़े पहनना चाहती हैं, पहनें। आप जैसे दिखना चाहती हैं वैसी दिखें, लेकिन कभी अपने जेंडर को ऑफिस न लेकर आएं। आपके कार्यस्थल पर सिर्फ आपके काम की चर्चा होनी चाहिए आपके लिंग की नहीं।' आज निवरुति को चिप में मेमोरी और वोल्टेज कम करने की तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है। इसे 'गलती को सही करने वाले कोड्स' के नाम से जाना जाता है।
उनके अन्य उल्लेखनीय कार्यों में राज्य सरकारों और इज़राइल के महावाणिज्य दूतावास के साथ समझौतों के माध्यम से देश में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल और मशीन लर्निंग का उपयोग करना शामिल है। उन्होंने दोनों देशों से नवाचार और स्टार्टअप को जोड़ने के लिए सहयोग पर भी काफी काम किया है। निवरुति ने कहा, 'आज के दौर में जितनी भी सामाजिक समस्याएं हैं, उनमें से अधिकतर का समाधान तकनीक के पास है। हाथ से गंदगी काफ करने वालों के लिए भी उपाय किए जा सकते हैं। इस काम को किसी इंसान द्वारा किए जाने की जरूरत नहीं है। एक रोबोटिक मशीन के जरिए आप इस काम को करक सकते हैं। आप रोबोट की मदद से अमेरिका में बैठकर जर्मनी के किसी व्यक्ति की सर्जरी कर सकते हैं।'
निवरुति ने कहा इन उपलब्धियों को किनारे रखकर हमारे लिए सबसे जरूरी है कि हमें जो भी काम मिले उसमें हम मूल्यों का सृजन करें, फिर चाहे यह घर का काम हो या किसी अन्य पेशे का। वे कहती हैं, 'मैंने कभी प्लान नहीं किया था कि मैं इंटेल इंडिया की हेड बनूंगी। लेकिन मैंने ये जरूर सोचा था कि चाहे जो काम मुझे मिलेगा मैं उस काम को बेहतर तरीके से करूंगी और पूरे दिल और दिमाग से करूंगी। मैंने सोचा था कि मैं हर दिन एक बेहतर इंसान बनने का प्रयास करूंगी। बाकी जो कुछ हुआ वो सब इसी सोच का परिणाम है।'
निवरुति तीन सिद्धांतों का पालन करती है जो उन्हें इन कामों को प्रभावी ढंग से करने में मदद करते हैं:
1. आज आप जो कर रहे हैं, उसका जायजा लें और आप जो सबसे अच्छा कर सकते हैं, करें।
2. चुनिंदा रूप से अपने अतीत को भूल जाओ।
3. सीखने और खुद को चुनौती देने के माध्यम से लगातार बढ़ते हुए अपने भविष्य की योजना बनाएं।
एक महिला के साथ जब कभी लैंगिक भेदभाव हो तो उसे इतना साहसी होना चाहिए कि वह अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बोल सके और उसके खिलाफ खड़े हो सके। वे कहती हैं, 'जब कभी मैं किसी ऐसे कॉन्फ्रेंस रूम में मीटिंग के लिए गई जहां मुझे आमंत्रित नहीं किया गया था तो मैंने अपनी कुर्सी खुद लगाई। ये मुश्किल होता है, लेकिन अगर आप खुद अपने लिए इतना नहीं करेंगे तो आपके लिए कोई ये करने वाला नहीं आएगा।'
वास्तव में मर्दों को इस समस्या का अहसास भी नहीं होगा, इसलिए यह सोच समझकर नहीं होता। इसका परिणाम यह होता है कि महिलाओं पर ही अपनी सोच को बदलने की जिम्मेदारी आ जाती है। महिलाओं को चुनौतियां स्वीकार करनी चाहिए और उन्हें आत्मविश्वास होना चाहिए कि वे कुछ भी हासिल कर सकती हैं। वे कहती हैं, 'आपके भीतर विशाल ऊर्जा है। अगर आप इस ऊर्जा का सही इस्तेमाल करेंगी तो आप स्वर्ग, धरती और निचल लोक यानी तीन दुनिया को हिला सकती हैं।'
उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर सुनाते हुए कहा, ' रंज से ख़ूगर हुआ इंसान तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें इतनी पड़ीं मुझ पर कि आसां हो गईं।' यानी जब आपकी जिंदगी में कई मुश्किलें आईं तो आपने उनसे लड़ते हुए काफी कुछ सीख लिया कि मुश्किलों से पार पाना अपने आप आसान हो गया। उन्होंने दूसरे शब्दों में कहा, 'चाहे आप अपने बुजुर्ग माता-पिता की सेवा कर रही हों, अपने बच्चों और घर को संभाल रही हों या किसी टीम को लीड कर रही हों, एक महिला के भीतर इन सारे कामों को करने का जज्बा होता है। '
निवरुति ने मदर टेरेसा का उदाहरण देते हुए कहा कि यह आसान नहीं होता है लेकिन एक महिला के जज्बे के आगे सब छोटा पड़ जाता है। वे कहती हैं, 'पहले मैं सोचा करती थी कि प्रार्थनाओं से चीजें बदलती हैं। लेकिन अब मुझे पता चला कि प्रार्थना से मैं बदली और मैंने चीजों को बदला है।'
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