बिहार की दो सगी बहनों ने स्कॉलरशिप से टॉयलेट बनवाकर पेश की मिसाल
मधुबनी (बिहार) की दो सगी बहनों ने अपनी छात्रवृत्ति से घर में शौचालय बनवाकर 'स्वच्छ भारत मिशन' की एक अलग मिसाल कायम कर दी है। यद्यपि पैसे कम पड़ने पर उन्हें बारह हजार का अनुदान और कर्ज भी लेना पड़ा। दोनों बहनों से प्रेरित होकर उनकी ग्राम पंचायत में दो हजार और लोगों ने अपने घरों में शौचालय बनवा लिए।
एक तरफ जहां भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की शौचालय निर्माण योजना में भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी हैं, वही मधुबनी (बिहार) में दो सगी बहन छात्रा इबराना एवं फरजाना ने अपनी छात्रवृत्ति के पैसे से शौचालय निर्माण कराकर नई मिसाल कायम की है। उधर, भरतपुर (राजस्थान) में इन दिनो नगर निगम स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक दीवारों, शहर के शौचालयों आदि पर चित्रकारी सजाकर एक अलग मिसाल पेश कर रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को अधिकाधिक संख्या में इस कार्यक्रम से जोड़कर उन्हें जागरूक करने का है।
लोग खुले में शौच नहीं जाएं तथा स्वच्छता के प्रति जागरूक रहें, इसे लेकर सख्ती दिखाई जा रही है। दीवारों पर स्वच्छता के संबंध में नारे व स्लोगन लिखकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कुछ इसी अंदाज में मंडी (हिमाचल प्रदेश) के छात्र भी पेंटिंग के जरिए स्वच्छ भारत मिशन का संदेश लोगों से साझा कर रहे हैं। उनकी पेंटिंग में स्वच्छ भारत के साथ-साथ पर्यावरण सरंक्षण का भी संदेश दिया जा रहा है। इन छात्रों ने स्कूलों के शौचालयों पर भी अपनी पेंटिंग चिपका रखी हैं।
मधुबनी (बिहार) की दो छात्रा बहनें इबराना और फरजाना क्रमश: 10वीं और आठवीं क्लास में पढ़ती हैं। उनके घर वालों मां के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे शौचालय का निर्माण करा पाते। सरकारी अनुदान भी निर्माण के बाद ही मिलता है, इसलिए दोनों बहनों ने अपनी छात्रवृत्ति राशि को घर में शौचालय बनवाने पर खर्च कर दिया। मधुबनी स्थित कलुआही प्रखंड की पिरसौलिया पंचायत निवासी वहीदा खातून असमय पति की मौत के बाद से मेहनत-मजदूरी कर बमुश्किल अपनी घर-गृहस्थी चला रही हैं, साथ ही अपनी दोनों बेटियों की पढ़ाई का बोझ भी उठा रही हैं। अब तो ये दोनों बहनें बिहार में स्वच्छता अभियान की मिसाल बन गई हैं। दोनों बहनों को जिला स्तर पर स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए बिहार के पीएचईडी मंत्री ने पहल की है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री विनोद नारायण झा कहते हैं कि दोनों बहनों के प्रयास ने साबित कर दिया है कि शौचालय कितना जरूरी है। विधायक से लेकर लोकल प्रशासनिक पदाधिकारी तक से उन्हें सराहना मिल रही है।
इबराना और फरजाना कहती हैं कि शौच के लिए खुले में जाना बड़ा ही अपमानजनक लगता था। इसके साथ ही किसी तरह की असुरक्षा का खतरा भी रहता था। छात्रवृत्ति का पैसा शौचालय पर खर्च कर देने से उन्हें अब अपने फैसले पर गर्व होता है। शौचालय पर तीस हजार खर्च होने थे और उन्हे छात्र वृत्ति मात्र चार-चार हजार रुपए मिलती है। उनकी कोशिश से बारह हजार रुपए अनुदान में मिल गए। बाकी खर्च के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा।
इन दोनों बहनों की इस सराहनीय पहल से उनके इलाके में शौचालय निर्माण के प्रति लोगों में काफी जागरूकता देखी जा रही है। अब तक इस पूरे इलाके में लगभग दो हजार लोग शौचालयों का निर्माण करा चुके हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी किशोर कुमार के मुताबिक पिरसौलिया पंचायत के लगभग हर घर में शौचालय बन चुके हैं। अब इसे ओडीएफ घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। बेनीपट्टी की विधायक भावना झा कहती हैं कि वह तो इबराना और फरजाना के परिवार को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास कर रही हैं।
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