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घोड़ों पर चढ़कर शादी के मंडप पहुंची दो सगी बहनें, कई सामाजिक संदेशों के साथ सम्पन्न हुई शादी

घोड़ों पर चढ़कर शादी के मंडप पहुंची दो सगी बहनें, कई सामाजिक संदेशों के साथ सम्पन्न हुई शादी

Saturday January 25, 2020 , 2 min Read

घोड़ों पर चढ़कर शादी के मंडप पहुंची दो सगी बहनों ने अपने समुदाय की परम्पराओं को निभाते हुए समाज को एक बड़ा संदेश दिया है। इनकी शादी के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लोगों से खास तरह से अपील की गई।

घोड़े पर चढ़कर बारात लेकर पहुंची साक्षी और सृष्टि

घोड़े पर चढ़कर बारात लेकर पहुंची साक्षी और सृष्टि (चित्र साभार: भास्कर)



बारात के दौरान दूल्हे का घोड़ी पर चढ़कर आना तो सामान्य बात है, लेकिन जब दुल्हन घोड़ी पर चढ़कर आए तो लोगों का चौंकना तो बनता ही है। ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला मध्य प्रदेश के खंडवा में, जहां एक नहीं बल्कि दो दुल्हनें घोड़ी पर बैठकर अपनी बारात लेकर पहुंची।


ये दोनों दुल्हनें सगी बहनें हैं और पाटीदार समाज से आती हैं। दोनों का विवाह समाज की परम्पराओं के अनुसार सम्पन्न हुआ। हालांकि इस दौरान मंडप में मौजूद दूल्हे भी खुद को थिरकने से रोक नहीं पाये।

निभाई समुदाय की परंपरा

इन बहनों के नाम साक्षी और सृष्टि हैं और दोनों की शादी एक ही दिन 22 जनवरी को सम्पन्न हुई है। दुल्हन का घोड़ी पर चढ़कर यूं बारात में शामिल होना पाटीदार समुदाय की ही एक परंपरा है, जिसे बहनों ने भी निभाया है। यह बारात इंदौर नाका क्षेत्र से निकली, जबकि शैड समारोह का आयोजन बापू की बगिया में किया गया था।




मीडिया में सामने आई तस्वीरों में काला चश्मा लगाकर घोड़ों पर बैठी ये बहनें अपने हाथों में तलवारें भी लिए हुए हैं। इस दौरान इनके आस-पास बाराती नाचते हुए नज़र आ रहे हैं। यह शादी समारोह सिर्फ इस वजह से ही चर्चा में नहीं रहा, बल्कि पूरी शादी में कई तरह से सामाजिक सदेश लोगों को दिये गए।

साथ ही दिया पर्यावरण का संदेश

लड़कियों के परिवार ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए आमंत्रण पत्र कागज पर न छपवा कर रुमालनुमा कपड़े पर छपवाया था। शादी के दौरान समारोह में आए मेहमानों को भी उपहार स्वरूप पौधे भेंट किए गए। इन पौधों में पीपल, नीम और तुलसी के पौधे शामिल थे।


इस अद्भुत शादी समारोह में एक बहन साक्षी ने आनंद के साथ, तो दूसरी बहन सृष्टि ने शशांक के साथ सात फेरे लिए। लड़कियों के परिवार का कहना है कि वे इस तरह ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाव’ अभियान को भी बढ़ावा दे रहे हैं। बेटियों को लड़कों के समान बराबरी का दर्जा मिले, इसी के चलते यह समुदाय काफी समय से इस तरह की सराहनीय पहल कर रहा है।