टैक्सपेयर ध्यान दें! 7 तरह के होते हैं ITR फॉर्म, अपनी कैटेगरी के हिसाब से करें चुनाव
करदाताओं को पहले यह जान लेना चाहिए कि वे किस कैटेगरी के करदाता हैं और उसके बाद कैटेगरी हिसाब से निर्धारित ITR फॉर्म भरना चाहिए.
वित्त वर्ष 2021-22 (AY 2022-23) के लिए आयकर रिटर्न (Income Tax Return) भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2022 है. जो लोग पहली बार ITR फाइल करने जा रह हैं, वे जान लें कि हर टैक्सपेयर के लिए ITR फॉर्म एक जैसा नहीं होता. अलग-अलग कैटेगरी के टैक्सपेयर के आधार पर ITR फॉर्म 7 तरह के होते हैं. इसलिए करदाताओं को पहले यह जान लेना चाहिए कि वे किस कैटेगरी के करदाता हैं और उसके बाद कैटेगरी हिसाब से निर्धारित फॉर्म भरना चाहिए. अगर इसमें गलती करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपका फॉर्म प्रोसेस नहीं करेगा.
कैटेगरी का निर्धारण करदाता के स्टेटस, कारोबार या व्यक्ति के काम की प्रकृति, आय की प्रकृति और थ्रेसहोल्ड लिमिट आदि के बेसिस पर होता है. उदाहरण के तौर पर सैलरीड क्लास, सेल्फ इंप्लॉइड, फर्म आदि. आइए जानते हैं किस तरह के टैक्सपेयर के लिए कौन सा ITR फॉर्म होता है-
ITR 1 सहज
यह फॉर्म 50 लाख रुपये तक कुल आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए है. इस आय में सैलरी/पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी व अन्य स्त्रोत जैसे ब्याज से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है. इसके अलावा 5000 रुपये तक की कृषि आय भी गिनी जाती है. अगर टैक्सपेयर अपनी पत्नी के साथ जॉइंट में एक सिंगल प्रॉपर्टी का मालिक है तो भी वह ITR 1 की मदद से आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है. याद रहे कि यह फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए नहीं है, जो या तो किसी कंपनी में निदेशक हैं या जिन्होंने गैरसूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया हुआ है, या फिर बिजनेस/प्रोफेशन से आय प्राप्त करते हैं. वे लोग भी सहज फॉर्म से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर सकते, जो HUFs (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) हैं या जिनके पास किसी विदेशी कंपनी आदि के एसेट्स जैसे स्टॉक्स हैं या जो रेजिडेंट नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट इंडियन हैं आदि.
ITR 2 फॉर्म
यह फॉर्म उन व्यक्तियों व HUFs के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से इनकम नहीं होती है लेकिन ITR 1 फॉर्म के लिए पात्र नहीं हैं. ITR 2 फॉर्म को वे करदाता भर सकते हैं, जिन्हें सैलरी/पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी व अन्य सोर्सेज जैसे ब्याज से आय प्राप्त होती है और वह आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है.
ITR 3 फॉर्म
यह फॉर्म उन व्यक्तियों और HUFs के लिए माना जाता है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए मुनाफे से इनकम होती है लेकिन ITR 4 के लिए पात्र नहीं माने जाते हैं. कोई बिजनेस करने वाला, अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश करने वाला, किसी कंपनी का इंडीविजुअल डायरेक्टर, किसी फर्म में पार्टनर के तौर पर आय हासिल करने वाला ITR 3 को भरने का पात्र है. इनकम टैक्स रिटर्न में हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी/पेंशन और अन्य सोर्सेज से इनकम को शामिल कर सकते हैं.

ITR 4 सुगम
ITR 4 सुगम फॉर्म उन व्यक्तियों, HUFs व पार्टनरशिप फर्म्स (LLP के अलावा) के लिए है, जिनकी भारत के निवासी के तौर पर कुल आय 50 लाख रुपये तक है और जिन्हें ऐसे बिजनेस व प्रोफेशन से आय होती है, जो आयकर कानून के सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत कंप्यूटेड हैं. कैपिटल गेन्स से इनकम हासिल करने वाला और फॉरेन असेट का मालिक, सुगम फॉर्म की मदद से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर सकता. टैक्स पेयर की इनकम में सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य सोर्सेज से इनकम भी शामिल है. हालांकि अगर बिजनेस का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो उसके मालिक को ITR 3 फॉर्म भरना होता है.
ITR 5 फॉर्म
यह फॉर्म, व्यक्ति और HUF (ITR-1 से लेकर ITR 4 तक फाइल करने वाले), कंपनी (ITR-6 फाइल करने वाली) या चैरिटेबल ट्रस्ट/इंस्टीट्यूशंस (ITR-7 फाइलिंग वाले) से अलग करदाताओं के लिए होता है. यानी ITR 5, ITR-4 के लिए पात्र पार्टनरशिप फर्म्स से अलग पार्टनरशिप फर्म्स के लिए, LLPs, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल्स आदि ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके लिए कोई अन्य ITR फॉर्म लागू नहीं है.
ITR 6 और ITR 7
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत एग्जेंप्शन क्लेम करने वाली कंपनियों से अलग कंपनियों के लिए ITR 6 फॉर्म क्रिएट किया गया है. ITR 7 फॉर्म, कंपनियों समेत उन व्यक्तियों के लिए होता है, जिन्हें केवल 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फर्निश करने की जरूरत है.
