अप्रैल-जून तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 7.6 प्रतिशत रही: NSO सर्वे
शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (Unemployment Rate in India) अप्रैल-जून, 2022 के दौरान सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत से घटकर 7.6 प्रतिशत रह गई. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) ने बुधवार को यह जानकारी दी.
बेरोजगारी दर को श्रमबल के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है. देश में अप्रैल-जून, 2021 में कोविड-19 महामारी से संबंधित प्रतिबंधों के कारण बेरोजगारी दर अधिक थी.
इस तरह बेरोजगारी दर में गिरावट को रेखांकित करने वाले 15वें आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey - PLFS) पर आधारित नवीनतम आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि महामारी की छाया से निकलकर अर्थव्यवस्था अब सुधार की ओर बढ़ रही है.
PLFS के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में जनवरी-मार्च, 2022 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत थी.
सर्वे में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 वर्ष और उससे अधिक आयु की) में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2022 में घटकर 9.5 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 14.3 प्रतिशत थी. यह आंकड़ा जनवरी-मार्च, 2022 में 10.1 प्रतिशत थी.
शहरी क्षेत्रों में पुरुषों में बेरोजगारी दर एक साल पहले के 12.2 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल-जून, 2022 में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई. यह आंकड़ा जनवरी-मार्च, 2022 में 7.7 प्रतिशत थी.
इससे पहले ये भी ख़बर थी कि बीते जुलाई महीने में भारत में बेरोजगारी दर में भारी गिरावट देखने को मिली है. वर्ष की शुरुआत में, जनवरी में 6.56% के बाद 6 महीनों में यह सबसे निचले स्तर पर आ गई है. जुलाई में बेरोजगारी दर 6.80% रही. आंकड़ों के मुताबिक, जून की तुलना में, जुलाई माह में बेरोजगारी दर में 1 प्रतिशत की कमी देखी गई है. हालांकि, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर अभी भी 8.21% है. यह आंकड़ा मई के आंकड़े के बराबर है. जून में यह घटकर 7.30% पर रह गई थी.
आपको बता दें कि बेरोजगारी दर उस श्रम बल का प्रतिशत है जिनके पास रोजगार नहीं हैं. यह एक लैगिंग इंडीकेटर है, जिसका अर्थ है कि आम तौर पर यह बदलती आर्थिक स्थितियों के बाद बढ़ता या घटता है बजाय उनका अनुमान लगाने के. जब अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं होती है और नौकरियां दुर्लभ होती हैं, बेरोजगारी दर के बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है. जब अर्थव्यवस्था अच्छी दर से बढ़ रही होती है और रोजगार अपेक्षाकृत पर्याप्त होते हैं तो इसके गिरने की उम्मीद होती है.
Edited by रविकांत पारीक