भारत के सबसे तेजी से बढ़ने वाले यूनिकॉर्न से लेकर 290 शहरों में 1.2 लाख रेस्टोरेंट तक, कुछ ऐसी है स्विगी की 5 साल की जर्नी
2014 में, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी (BITS-Pilani) के तीन पूर्व छात्र - श्रीधर मेजेटी, राहुल जैमिनी, और नंदन रेड्डी के दिमाग में एक आइडिया आया कि जब भी हम चाहें, हम अपने घर पर किसी भी तरह का भोजन क्यों नहीं मंगा सकते? इस आइडिया से स्विगी का जन्म हुआ। स्विगी को अब पांच साल हो गए हैं।
अगस्त 2014 में छह डिलीवरी पार्टनर्स और 20 रेस्टोरेंट के साथ शुरू हुई स्विगी के पास 290 शहरों में 2.5 लाख डिलीवरी पार्टनर्स और 1.2 लाख रेस्टोरेंट पार्टनर्स हैं। इसके ऐप को 50,00,000 से अधिक इंस्टॉल किया जा चुका है। स्विगी खाना ऑर्डर करके मंगाने वालों के लिए एक घरेलू नाम बन गई है। इसके टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म हर दिन 40 बिलियन से अधिक मैसेज प्रोसेस किए जाते हैं।
दिसंबर 2018 में स्विगी ने सीरीज एच फंडिंग में निवेशकों से 1 अरब डॉलर (लगभग 70 अरब रुपये) हासिल किए। इस फंडिंग राउंड की अगुवाई उसकी मौजूदा निवेशक नैस्पर ने की, जो साउथ अफ्रीका की दिग्गज मीडिया कंपनी है। नैस्पर ने इस राउंड में 66 करोड़ डॉलर का निवेश किया। यह भारत में किसी फूडटेक कंपनी द्वारा हासिल किया गया सिंगल सबसे बड़ा फंड था। इस नए राउंड में पांच साल पुरानी बेंगलुरु की इस स्टार्टअप की वैल्यू 3.3 अरब डॉलर लगी थी।
आज, बेंगलुरु स्थित इस यूनिकॉर्न ने खुद को एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-फर्स्ट प्रोडक्ट में बदलने की एक साहसिक दृष्टि का खुलासा किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का लाभ उठाने के लिए इसने फूड डिलीवरी से हटकर कई विकल्प जोड़े हैं।
इन पांच वर्षों में, स्विगी ने अपने क्विक सिंगल-सर्व मील डिलीवरी ऑप्शन 'स्विगी पॉप' को लॉन्च किया है। इसके अलावा अपने रेस्टोरेंट पार्टनर्स के लिए अपनी डार्क किचन युनिट स्विगी एक्सेस (Swiggy Access), अपनी हाइपरलोकल डिलीवरी सर्विस स्विगी स्टोर्स (Swiggy Stores), खुद की क्लाउड-किचन - द बाउल कंपनी (The Bowl Company) जैसी सर्विसेस लॉन्च की हैं। अब हाल ही में इसने स्विगी डेली (Swiggy Daily) सर्विस लॉन्च की है। इस ऐप पर घरेलू रसोइयों द्वारा तैयार किया गया घर का खाना, टिफिन सेवा देने वालों का खाना और संगठित वेंडरों का खाना उपलब्ध होगा।
जाहिर है, उपभोगता व्यवहार में बदलाव आ रहा है। रेडसीर कंसल्टिंग (RedSeer Consulting) के एंगेजमेंट मैनेजर रोहन अग्रवाल कहते हैं,
“जब ग्राहक ने पहली बार ऑनलाइन ऑर्डर करना शुरू किया तो वह कभी-कभार डिनर के लिए खाना ऑर्डर करता था, क्योंकि उसका मन बाहर जाकर खाने का नहीं होता था। जिसके बाद ये दायरा लंच और स्नैक्स तक बढ़ा। लेकिन आज ये पूरी तरह से शिफ्ट हो गया है। यदि आप यूजर्स की डेमोग्राफी देखेंगे तो पाएंगे कि वे ज्यादातर कामकाजी परिवारों से हैं, जिन्हें एक पूर्वानुमानित, जल्दी से मिलने वाले भोजन की आवश्यकता होती है। और ये प्लेटफॉर्म उन्हें वह दे रहे हैं जिसकी उन्हें जरूरत है।”
यह नंबर्स में भी दिखता है। स्विगी के हेड ऑफ इंजीनियरिंग एंड डेटा साइंस डेल वाज ने योरस्टोरी से बातचीत में कहा,
"पिछले एक साल में, हमने 17 शहरों से 245 लोकेशन्स तक विस्तार किया है। हमारा मंथली एक्टिव ड्राइवर फ्लीट, जो एक साल पहले 40,000 था, अब 200,000 से अधिक हो गया है। ऑर्डर वॉल्यूम में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"
वह बताते हैं: यदि आप स्विगी इंजन को देखते हैं, तो यह तीन-तरफा बाज़ार की तरह है जहाँ प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ता, ड्राइवर ऑन-डिमांड कार्यकर्ता और रेस्टोरेंट साथी या किराने का आउटलेट सब उपलब्ध होता है। डेल कहते हैं,
"स्विगी में, हम इस तीन-तरफा बाज़ार को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी उपभोक्ता मांग है लेकिन ड्राइवर और रेस्तरां के नज़रिए से भी चुनौतियां हैं जिससे हमें निपटना होता है।"
एक तरफ जहां स्विगी लगातार ग्रोथ कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी मुख्य कंपटीटर जोमैटो (Zomato) भी आगे बढ़ रही है। जोमैटो भी एक यूनिकॉर्न है जिसका मुख्यालय गुरुग्राम में है। जोमैटो ने हाल ही में लखनऊ स्थित टेकईगल इनोवेशन (TechEagle Innovations) को खरीदा था। ये कंपनी विशेष रूप से ड्रोन पर काम करती है। इस अधिग्रहण के के पीछे जोमैटो का मकसद हब-टू-हब डिलीवरी के लिए एक मल्टी-रोटर ड्रोन तकनीक बनाने और उसको इस्तेमाल करने का है।
जोमैटो का दावा है कि उसे हर महीने 2.2 करोड़ ऑर्डर मिलते हैं। डिलीवरी स्टार्टअप रनर (Runnr) को खरीदने के बाद कंपनी का दावा है कि उसके पास 1.5 लाख सदस्यों वाला डिलिवरी बेड़ा हो गया है।