अमेरिका ने फेड रेट्स 0.75% बढ़ाए, अब Repo Rate में बढ़ोतरी की बारी, जानिए आप पर क्या होगा असर
महंगाई से लड़ने के लिए फेडरल रिजर्व ने लगातार चौथी बार ब्याज दरें बढ़ा दी हैं. इस बार बढ़ोतरी 75 बेसिस प्वाइंट की है. रिजर्व बैंक ने भी स्पेशल मीटिंग बुलाई है. उम्मीद है कि अब रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है.
महंगाई (Inflation) की मार लगातार बढ़ती ही जा रही है. इससे निपटने की दुनिया भर की कोशिशें नाकाम होती सी दिख रही हैं. इसी बीच अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने एक बार फिर से दरों में इजाफा (Interest Rate Hike) कर दिया है. इस बार ये इजाफा 75 बेसिस प्वाइंट यानी 0.75 फीसदी की किया गया है. यह लगातार चौथी बार है, जब फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में इजाफा किया है. वहीं दूसरी ओर भारत में भी रिजर्व बैंक की बैठक (RBI Meeting) शुरू हो चुकी है और अनुमान लगाया जा रहा है कि रेपो रेट में फिर से बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) हो सकती है.
अमेरिका में महंगाई पिछले 40 सालों के उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है. ऐसे में इससे निपटने के लिए अमेरिकी सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. उसकी सबसे पहली और अहम कोशिश तो यही है कि वह लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती जा रही है. लगातार चौथी बार ब्याज दरों में 0.75 फीसदी बढ़ोतरी के बाद अब फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 3.75-4 फीसदी की रेंज में जा चुकी है. अमेरिका में अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. विदेशी निवेशक (एफआईआई) भारत से पैसे निकालने लगते हैं, जिससे मार्केट गिरने लगता है.
अब रिजर्व बैंक भी बढ़ा सकता है दरें
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को एक स्पेशल मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में सबसे अहम मुद्दा महंगाई ही रहने वाला है. गवर्नर ने कहा है कि महंगाई पर रिजर्व बैंक ठीक उसी तरह नजर गड़ाए हुए है, जैसे महाभारत में अर्जुन ने एक धूमने वाली मछली की आंख में तीर मारने के लिए ध्यान केंद्रित किया था. सितंबर महीने में रिटेल महंगाई 7.4 फीसदी रही है, जो पिछले 5 महीनों में सबसे अधिक है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है एक बार फिर केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है.
शेयर बाजार के लिए मिल रहे अच्छे संकेत
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाने का कदम आखिरी चरण में पहुंच चुका है. वैसे तो दुनिया भर को उम्मीद थी कि फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाएगा और ऐसा हुआ भी. दुनिया को बस ये जानना था कि फेडरल रिजर्व से क्या संकेत मिलता है. ब्याज दरें बढ़ाने के कदम का आखिरी चरण में होना एक अच्छा संकेत है, जिसकी वजह से दुनिया भर के बाजारों में उछाल देखा गया है. हालांकि, रिजर्व बैंक के फैसले के बाद ये देखना दिलचस्प रहेगा कि भारतीय बाजारों पर इसका क्या असर होता है.
रेपो रेट बढ़ने से कैसे लगती है महंगाई पर लगाम?
जब रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाती है तो इससे बैंकों को मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है. ऐसे में जब बैंक को ही महंगा लोन मिलता है तो वह ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन को भी महंगा कर देते हैं. होम लोन और ऑटो लोन लंबी अवधि के होने की वजह से उन्हें फ्लोटर इंस्ट्रेस्ट रेट पर दिया जाता है. यह रेट रिजर्व बैंक की दर के बढ़ने-घटने के आधार पर बदलता रहता है. यही वजह है कि जैसे ही रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है, होम लोन और कार लोन की ईएमआई पर सीधा असर होता है. हालांकि, इसका उन्हें फायदा होता है, जो लोग एफडी में पैसे लगाते हैं. मौजूदा समय में रेपो रेट 5.9 फीसदी है.
लोगों का खर्च हो जाता है कम, घटने लगती है डिमांड
लोन को महंगा करने की सबसे बड़ी वजह होती है मार्केट में पैसों के सर्कुलेशन को कंट्रोल करना. लोन महंगा होने से लोग कम खर्च करने की कोशिश करते हैं. वहीं जिनकी पहले से ही होम लोन या ऑटो लोन ईएमआई चल रही होती हैं, उनका पहले की तुलना में अधिक पैसा खर्च होने लगता है. ऐसे में वह तमाम चीजों के लिए पैसे कम खर्च करते हैं और डिमांड घटती है, जिससे महंगाई पर काबू करने में आसानी होती है. वहीं एफडी पर अधिक ब्याज मिलने से भी बहुत से लोग अपने खर्चों को छोड़कर पैसे बचाने की कोशिश करते हैं, ताकि अधिक रिटर्न मिले. इन वजहों से मार्केट में पैसों का सर्कुलेशन घटता है.