उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने महिला सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय अभियान चलाने का आह्वान किया
August 23, 2020, Updated on : Sun Aug 23 2020 07:07:50 GMT+0000

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उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने महिला सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय अभियान चलाने का आह्वान किया है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी बालिका को स्कूल शिक्षा से वंचित न किया जाए।
उन्होंने कहा है कि हालांकि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे जन अभियान का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है फिर भी सामाजिक सोच बदलने के और भी प्रयास करने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (फोटो साभार: loksatya)
"महिलाओं के साथ भेदभाव समाप्त कर उनका सशक्तिकरण करना" शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में नायडू ने लिखा है कि देश की आबादी में लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, राजनीति सहित हर क्षेत्र में उन्हें बराबरी का अवसर दिए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने लिखा है कि इसके लिए हमें अपने आचरण और कर्म से उनके साथ भेदभाव समाप्त करना होगा। और, यही हमारा लक्ष्य भी होना चाहिए।
उन्होंने राजनैतिक दलों से आग्रह किया कि वे संसद और राज्य विधाई निकायों में महिलाओं को पर्याप्त आरक्षण देने के मामले पर जल्द से जल्द सहमति बनाएं। महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए, उन्होंने अभिभावकों की संपत्ति में भी बराबर के अधिकार की वकालत की है।
उपराष्ट्रपति ने हाल ही में जनसंख्या और विकास संबंधी भारतीय सांसदों का संगठन (आईएपीपीडी) द्वारा लैंगिक अनुपात पर तैयार की गई रिपोर्ट “भारत में जन्म के समय लिंग अनुपात” का लोकार्पण किया था। इस रिपोर्ट के अनुसार 2001-17 के दौरान सामान्य से कम कन्याओं का जन्म दर रहा।
इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे सुधारने के लिए जन प्रतिनिधियों, मीडिया और सरकार सहित सभी हितधारकों से युद्ध स्तर पर प्रयास करने को कहा।
उन्होंने जन प्रतिनिधियों से इस स्थिति की गंभीरता के बारे में जन जागृति फैलाने का आग्रह किया है। उपराष्ट्रपति ने हर नागरिक से दहेज जैसी कुप्रथा का विरोध करने तथा बेटों को प्राथमिकता देने वाली सामाजिक सोच को समाप्त करने को भी कहा है।
भ्रूण परीक्षण (पीसी और पीएनडीटी) कानून को कड़ाई से लागू करने पर बल देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा है कि महिलाओं और कन्याओं के प्रति किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
नए भारत के मार्ग में आने वाली गरीबी, अशिक्षा तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ नागरिकों के साझे प्रयासों का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा है कि हर नागरिक को विशेषकर युवाओं को एक ऐसे समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण में आगे बढ़कर योगदान देना चाहिए जहां कोई भेदभाव न हो।
(सौजन्य से: PIB_Delhi)
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