मुक्केबाजी और राजनीति पर बोले विजेंदर: कई बार आप जीतते हैं तो कई बार सीखते हैं
राजनीति की रिंग में कैरियर की नयी पारी का पदार्पण कर चुके विजेंदर सिंह पिछले पांच साल में पेशेवर मुक्केबाजी का कोई भी मुकाबला नहीं हारे और अब विश्व खिताब के साथ इस लय को कायम रखना चाहते हैं।
भारत को मुक्केबाजी और विश्व चैम्पियनशिप में ओलंपिक का पहला पदक दिलाने वाले विजेंदर का पेशेवर सर्किट पर 12 . 0 का रिकार्ड है।
उन्होंने प्रेस ट्रस्ट से कहा,
‘‘अब मेरी सारी तैयारी विश्व खिताब की है। मैं इस साल तीन चार मुकाबले लड़ूंगा जिनमें विश्व खिताब बड़ा है। हम कोशिश कर रहे हैं कि यह मुकाबला भारत में हो।’’
अमेरिका में टाप रैंक प्रमोशंस और भारत में इंफिनिटी आप्टिमल सोल्यूशंस बाक्सिंग प्रमोशंस उनका प्रबंधन देख रहा है। उन्होंने नवंबर 2019 में घाना के पूर्व राष्ट्रमंडल चैम्पियन चार्ल्स अदामू को एकतरफा मुकाबले में हराया था।
पिछले पांच साल में विजेंदर को एकमात्र पराजय लोकसभा चुनाव 2019 में झेलनी पड़ी जिसमें वह कांग्रेस के टिकट पर दक्षिण दिल्ली से लड़े थे।
क्या उन्हें इसका मलाल है, यह पूछने पर उन्होंने कहा,
‘‘बिल्कुल भी नहीं। मैं सक्रिय राजनीतिज्ञ बनना चाहता हूं। मेरी मसलों पर मजबूत राय है और मैं मुखर भी हूं। राजनीति आपको बदलाव लाने का मंच देती है।’’
उन्होंने कहा,
‘‘कई बार आप जीतते हैं और कई बार आप सीखते हैं। मैं राजनीति से जुड़ने के अपने फैसले को ऐसे ही देखता हूं। यह जीवन की सच्चाइयों से जुड़े रहने का अद्भुत रास्ता है। सिर्फ एक चुनाव हारने से मुझे इस पर मलाल क्यो होगा।’’
तो क्या वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये प्रचार करेंगे, यह पूछने पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा,
‘‘मुझे नहीं पता। यदि मुझसे कहा गया तो जरूर करूंगा। यह पार्टी आलाकमान को तय करना है। अभी मुझसे कोई बात नहीं हुई है।’’
राजनीति और खेलो को अलग रखने की बात अक्सर की जाती है लेकिन पिछले कुछ समय से यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि ज्वलंत मुद्दों पर खिलाड़ियों को भी बोलना चाहिये। विजेंदर ने कहा कि लोग अगर चाहते हैं कि उनके नायक अपनी राय सार्वजनिक तौर पर रखें तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
उन्होंने कहा,
‘‘मुझे लगता है कि खिलाड़ियों को बोलना चाहिये। एक मुकाम पर हम भी प्रतिनिधि हैं और हमारी आवाज मायने रखती है। ऐसा नहीं होना चाहिये कि हम सिर्फ पैसा मिलने पर ही बोलें।’’