वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
खास संदेश लेकर हजारों किलोमीटर दौड़ने वाली महिला
अजमेर की रहने वाली सूफिया खान दौड़ शुरू करने से पहले 10 साल तक एविएशन इंडस्ट्री में थीं जहां वे ग्राउंड हैंडलिंग डिपार्टमेंट में काम किया करती थीं।
आज देश भर में दौड़ लगाकर सूफिया हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हुए एक खास संदेश लोगों तक पहुंचा रही हैं। अजमेर की रहने वाली सूफिया खान दौड़ शुरू करने से पहले 10 साल तक एविएशन इंडस्ट्री में थीं जहां वे ग्राउंड हैंडलिंग डिपार्टमेंट में काम किया करती थीं।
सूफिया के अनुसार वे अक्सर नाइट शिफ्ट में काम करती थीं और इस दौरान उन्होने यह पाया कि वे अपनी सेहत का उतना ख्याल नही रख पा रही थीं। इसी दौरान सूफिया ने तय किया अब वे अपने और अपनी सेहत के लिए समय निकालेंगी। सूफिया ने सबसे पहले दौड़ लगानी शुरू की और यहाँ से दौड़ के प्रति उनके भीतर एक रुचि पैदा होनी शुरू हो गई। सूफिया ने इसी दौरान मैराथन में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
सूफिया के लिए इस रास्ते पर आगे बढ़ने की शुरुआत करना उतना आसान नहीं था। सूफिया ने इसकी शुरुआत साल 2017 में की थी और इसके लिए उन्होने दिल्ली-आगरा-जयपुर मार्ग को चुना था। सूफिया ने इस दौरान 720 किलोमीटर की दूरी 16 दिनों में पूरी की थी। साल 2019 में सूफिया ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक दौड़ लगाने का प्लान तैयार किया, हालांकि इस दौरान सूफिया के पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। सूफिया को इस बीच लोगों का काफी समर्थन मिला और वे भारत को एक्सप्लोर कर सकीं। साल 2021 में सूफिया ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुंबई-दिल्ली का 6 हज़ार किलोमीटर का सफर 110 दिनों में पूरा किया, यह एक गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड भी है।
आज खुद लगातार दौड़ लगा रही सूफिया देश के तमाम हिस्सों में रह रहे लोगों तक खास संदेश पहुंचाने का काम भी कर रही हैं। सूफिया का यह संदेश HOPE (Humanity, Oneness, Peace and Equality) का है। सूफिया के अनुसार भारत को विविधता में एकता का देश कहा जाता है और वे देश के तमाम कोनों में जाकर इस बात को अनुभव भी कर रही हैं।
दिल्ली के स्टार्टअप की बदौलत 5 रुपये में मिलेगा अनलिमिटेड हाई-स्पीड इंटरनेट
दिल्ली स्थित टेक्नोलॉजी स्टार्टअप i2e1 का लक्ष्य है कि 'एक्स्ट्रा' इंटरनेट के लिए अपनी तकनीक और इनोवेटिव बिजनेस मॉडल का उपयोग करके जनता को कम से कम 5 रुपये प्रति दिन के हिसाब से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करें।
स्टार्टअप की यह कहानी साल 2015 में शुरू हुई जब सत्यम दरमोरा और उनके सहयोगियों निशित अग्रवाल (सीपीओ), मानस द्विवेदी (सीएसओ) और आशुतोष मिश्रा (सीटीओ) ने आईआईटी दिल्ली में i2e1 की स्थापना की। आज i2e1 'इन्फॉर्मेशन टू एव्रिवन' के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहा है। यह भारत भर में इंटरनेट वितरण में क्रांति लाने के लिए सरकार के क्रांतिकारी PM-WANI आर्किटेक्चर का उपयोग करता है।
स्टार्टअप का उद्देश्य साफ है कि वह अगले 500 मिलियन लोगों को को इंटरनेट से जोड़ने में में मदद करके सही डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करना चाहता है।
विकास के पहले चरण में साल 2016 और 2020 के बीच स्टार्टअप ने 52 शहरों में 4,000 स्थानों पर खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं साथ जोड़ते हुए हाई-स्पीड इंटरनेट की समस्या को हल किया है। कई छोटे खुदरा विक्रेताओं ने पहले ही इंटरनेट कनेक्शन ले लिया था लेकिन वे इसका पूरी तरह से उपयोग नहीं कर रहे थे। इसलिए i2e1 ने उन्हें एक सेवा के रूप में मुफ्त वाईफाई देते हुए अपने ग्राहकों के साथ "एक्स्ट्रा इंटरनेट" साझा करने की अनुमति देते हुए एक समाधान तैयार किया।
i2e1 के सीईओ और सह-संस्थापक सत्यम कहते हैं, “जब हमने एक टेक प्लेटफॉर्म बनाया तो हमने क्लाउड-आधारित उपकरण बनाए जो किसी भी दुकानदार/खुदरा विक्रेता को अपने ग्राहकों को मुफ्त वाईफाई देने में मदद करते हैं। अधिकांश के पास इंटरनेट कनेक्शन था और वे उसका केवल 10 प्रतिशत उपयोग कर रहे थे बाकी 90 प्रतिशत बर्बाद हो रहा था। i2e1 के साथ इसे एक ब्रांडेड सिग्नल में बदला जा सकता है और ग्राहक अपने फोन नंबर का उपयोग करके इस नेटवर्क में लॉग इन कर सकते हैं।”
13 साल की मिहिका कर रही है हैंडक्राफ्टेड बैग का कारोबार
धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा मिहिका अग्रवाल ने अपने स्टार्टअप Denimblu के लिए डेनिम वेस्ट से हैंडक्राफ्टेड बैग बनाने के लिए मुंबई में दिव्यांगों के लिए काम करने वाले एक सेंटर के साथ करार किया है।
तेरह वर्षीय मिहिका अग्रवाल ने टैक्सटाइल वेस्ट पर एक वीडियो देखा जिसने स्थिरता (sustainability) के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल दिया और इससे उन्हें स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रेरणा मिली।
वह YourStory से बात करते हुए बताती है, "वीडियो कपड़ा और फैशन इंडस्ट्री से निकले कचरे पर था और इसने मेरी आँखें बड़े पैमाने पर खोल दीं।"
इस विषय पर शोध करते हुए, मुंबई के Dhirubhai Ambani International School की छात्रा मिहिका ने पाया कि हर साल 13 मिलियन टन कपड़ा, जो कि 85 प्रतिशत कपड़ा है, लैंडफिल में चला जाता है। और कपड़ों के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का एक प्रतिशत से भी कम पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। Vogue और Lablaco जैसे प्रमुख फैशन ब्रांडों द्वारा आयोजित 2020 की सर्कुलर फैशन रिपोर्ट ने इन खतरनाक आंकड़ों को सामने लाया।
Young Entrepreneurship Academy (YEA!) क्लास में इन आंकड़ों पर चर्चा करते हुए, मिहिका ने अपने साथियों और मेंटर्स के साथ अपना खुद का बिजनेस, Denimblu शुरू करने के लिए विचार-मंथन किया। यह एक स्टार्टअप है जिसका उद्देश्य फ़ैक्टरियों में उत्पादित डेनिम को बैग, होल्डर और एप्रन जैसे फैशनेबल प्रोडक्ट्स बनाने के लिए पुन: उपयोग करके टैक्सटाइल वेस्ट को कम करना है।
वह कहती हैं, "मैंने Elan Exports से खरीदे गए डेनिम के लिए 16,000 रुपये - 1,200 रुपये का निवेश किया और बाकी बदलाव सिलाई के लिए किया।" प्रोडक्ट 600 रुपये के औसत रेवेन्यू के साथ 400 रुपये से 800 रुपये के बीच बेचे जाते हैं।
देश के सबसे बड़ी अगरबत्ती निर्माताओं में से एक हरि दर्शन की कहानी
ब्रांड का दावा है कि वह इस समय भारतीय बाजार में सालाना करीब 300 करोड़ रुपये के अगरबत्ती प्रोडक्ट्स का उत्पादन कर रही है।
उत्तर में लिली के फूल से लेकर दक्षिण में चंपा, और लगभग हर जगह पाई जाने वाली चमेली तक, भारतीय सुगंध का एक समृद्ध इतिहास है। भारतीय सुगंध के इन समृद्ध विकल्प पर दांव लगाना और उन्हें लाखों भारतीय परिवारों की प्रार्थनाओं में शामिल कराने का काम किया हरि दर्शन ने। यह धूप, अगरबत्ती और एरोमाथेरेपी उत्पादों की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक है।
हरि दर्शन के संस्थापक परिवार ने सन 1800 के समय में जड़ी-बूटियों और सुगंधित आवश्यक तेलों का व्यापार किया, लेकिन 1947 में विभाजन के दौरान व्यापार अचानक रुक गया।
बहरहाल किसी तरह सुगंधित आवश्यक तेलों का पारंपरिक व्यवसाय बच गया और फिर 1970 में नई दिल्ली के सदर बाजार से वर्तमान ब्रांड, हरि दर्शन का जन्म हुआ था।
YourStory के साथ बातचीत में, चौथी पीढ़ी के उद्यमी और हरि दर्शन सेवाश्रम प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक गोल्डी नागदेव बताते हैं कि कैसे ब्रांड ने 100 से अधिक वर्षों में अपनी विरासत का निर्माण किया है।
वह कहते हैं, "धूप और अगरबत्ती के साथ, हम दिव्य आनंद के कुछ पल बेच रहे हैं और यही हमें आगे बढ़ाता है। लोग जब प्रार्थना कर रहे होते हैं तो हमें याद करते हैं।"
इन सालों के दौरान, हरि दर्शन ने अगरबत्ती के बाजार में खुद को एक मजबूत कंपनी के रूप में स्थापित किया है, जो इस क्षेत्र में साइकिल प्योर अगरबत्ती, जेड ब्लैक और मंगलदीप जैसी कंपनियों के साथ मुकाबला कर रही है।
जरूरतमंद लोगों को मिलते हैं एक रुपये में कपड़े
जरूरतमंद लोगों को कपड़े आसानी से हासिल हो सकें इसके लिए बेंगलुरु स्थित एक कपड़ा बैंक बड़ी ही सराहनीय पहल के साथ आगे बढ़ रहा है। हाल ही में लॉन्च किए गए ‘इमेजिन क्लॉथ बैंक’ में आने वाले सभी ग्राहकों के लिए वहाँ उपलब्ध सभी आइटम महज एक रुपये में उपलब्ध हैं।
‘इमेजिन क्लॉथ बैंक’ की स्थापना हाल ही में बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रॉनिक सिटी में हुई है। इस पहल की शुरुआत कॉलेज के चार दोस्तों ने की है। इन चारों दोस्तों ने दरअसल इसकी शुरुआत ‘द इमेजिन ट्रस्ट’ की स्थापना करके की थी और तब वे इसका संचालन अपनी नौकरियों में रहते हुए कर रहे थे, हालांकि कुछ समय बाद उनमें से एक दोस्त मेलिशा नोरोन्हा ने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ते हुए पूरा समय एनजीओ को देने का निर्णय ले लिया।
कई बार हम अपनी जरूरत से आगे बढ़कर कपड़ों की खरीद कर लेते हैं और फिर शायद उन्हें कभी नहीं पहनते हैं। हालांकि दूसरी तरफ बड़ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद लोग भी हैं जिन्हें खुद को गर्म रख सकने लायक कपड़े भी नसीब नहीं हैं। ऐसे में वे सभी लोग सम्मान के साथ अपनी जरूरत और अपनी पसंद के कपड़ों का चुनाव कर सकें इसी उद्देश्य के साथ इमेजिन क्लॉथ बैंक की स्थापना की गई है।
मेलिशा के अनुसार इमेजिन क्लॉथ बैंक यह सुनिश्चित करने का भी काम करता है कि उन जरूरतमंद लोगों को वे कपड़े मिल सकें जिन्हें वे पसंद कर रहे हैं ना कि वे कपड़े जो किसी अन्य के द्वारा बाहर किए गए हैं और वे इसलिए उन्हें मिल रहे हैं।
इमेजिन क्लॉथ बैंक हर रविवार को खुला रहता है और यहाँ हर आयु-वर्ग के लिए कपड़े मौजूद रहते हैं। कपड़ों की कीमत एक रुपये रखने के पीछे का मुख्य उद्देश्य है कि इन कपड़ों को खरीदने वाले व्यक्ति की गरिमा बनी रहे और वे इन कपड़ों को दान में मिले कपड़ों की तरह न लें, जिससे उन्हें भी असहज न होना पड़े।
इन कपड़ों को बेचकर मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल इस समूह द्वारा किसी जरूरतमंद की शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। आज यह खास कपड़ा बैंक आज लोगों के बीच दया का संदेश भी फैलाने का काम कर रहा है।