वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
CA और फैशन डिजाइनर ने शुरू किया प्रिजर्वेटिव-फ्री, रेडी-टू-कुक फूड बिजनेस
आकांक्षा सतनालिका और खुशबू मालू द्वारा स्थापित, पुणे स्थित JustCook 60 रुपये से 150 रुपये के बीच की कीमत में तैयार रेडी-टू-कुक रीजनल इंडियन फूड प्रोडक्ट्स पेश करता है।
पुणे स्थित पड़ोसी आकांक्षा सतनालिका और खुशबू मालू इस बात की पुष्टि कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने फैशन डिजाइनर और चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में अपनी फुल-टाइम जॉब्स के बीच अलग-अलग भोजन पकाने के लिए विभिन्न शॉर्टकट आजमाए हैं।
आकांक्षा YourStory को बताती हैं, “भारतीय व्यंजन जटिल हैं और इसे तैयार करने में समय लग सकता है। और आज अधिकांश एकल परिवारों में व्यंजन अपनी चमक खो रहे हैं। बाजार में मौजूदा रेडी-टू-कुक फूड में आर्टिफिशियल फ्लेवर और प्रिजर्वेटिव होते हैं, जिनकी शेल्फ लंबी होती है।”
2019 के नए साल की पूर्व संध्या पर, दोनों ने प्रामाणिक भारतीय व्यंजनों को पल भर में उपलब्ध कराने के लिए
शुरू करने का फैसला किया।2020 की शुरुआत में, COVID-19 के प्रकोप ने उनके नए वेंचर के लिए एक वरदान के रूप में कार्य किया, क्योंकि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में खाद्य प्रयोगों में संलग्न होना एक चलन बन गया था, और JustCook के प्रोडक्ट्स को विभिन्न किराना स्टोर और ई-कॉमर्स साइटों से उठाया जा रहा था।
यह जोड़ी अब भारत के रेडी-टू-ईट बाजार में प्रवेश कर रही है, जिसके 2024 तक 68.47 बिलियन रुपये का रेवेन्यू जनरेट करने और 2019 और 2024 के बीच 16.24 प्रतिशत CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।
इसरो में सीनियर साइंटिस्ट बनने वाले सोमनाथ माली की कहानी
सोमनाथ माली का इसरो में चयन बीते 2 जून को हुआ है और इसके लिए लिखित परीक्षा के बाद उन्होने तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में इंटरव्यू दिया था।
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले सोमनाथ माली की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है। सोमनाथ माली का चयन इसरो में बतौर सीनियर साइंटिस्ट हुआ है और खास बात यह भी है कि सोमनाथ इसरो में बतौर साइंटिस्ट चुने जाने वाले महाराष्ट्र के पहले छात्र हैं।
तथाकथित पिछड़े वर्ग से आने वाले सोमनाथ माली सोलापुर जिले के पंढरपुर तहसील स्थित सरकोली गाँव के निवासी हैं। गरीब परिवार में जन्मे सोमनाथ माली के लिए यह सब हासिल करना इतना आसान नहीं था। बताते चलें कि सोमनाथ के माता-पिता अपने बेटे को बेहतर शिक्षा देने के लिए दूसरे के खेतों में मजदूरी करने का काम किया है।
परिवार के संघर्ष को देखते हुए सोमनाथ ने भी अपनी पढ़ाई और आगे की तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ने का संकल्प ले रखा था। मीडिया से बात करते हुए सोमनाथ ने बताया है कि उनके घर में उनके सिवा कोई और पढ़ा-लिखा नहीं है।
सोमनाथ ने इसके पहले साल 2016 में बीटेक के आधार पर इसरो की परीक्षा दी थी, लेकिन तब वह रिटेन परीक्षा पास नहीं कर सके थे, लेकिन इस बार सफलता हासिल करने के बाद अब वह जल्द ही विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में बतौर सीनियर साइंटिस्ट अपनी सेवाएँ देना शुरू करेंगे।
लोगों को कार्डियक अरेस्ट से बचाने वाला हेल्थटेक स्टार्टअप
2013 में स्थापित, पुणे स्थित Jeevtronics ने सैनमित्र 1000 एचसीटी (SanMitra 1000 HCT) नामक एक बैटरी-रहित डिफाइब्रिलेटर डेवलप किया है, जिसका इस्तेमाल बिना बिजली के भी किया जा सकता है।
2013 में स्थापित, पुणे स्थित जीवट्रॉनिक्स ने बैटरी रहित डिफाइब्रिलेटर डेवलप किया है, जिसका नाम SanMitra 1000 HCT है। इसका इस्तेमाल बिजली के अभाव में भी किया जा सकता है। इन डिवाइस का इस्तेमाल बिजली के झटके का इस्तेमाल करके सामान्य दिल की धड़कन को बहाल करने के लिए किया जाता है।
आशीष ने योरस्टोरी को बताया, "ये मशीनें ज्यादातर बैटरी और / या बिजली पर काम करती हैं। हालांकि यह बैटरी या बिजली न होने पर ये समस्या पैदा कर सकता है। इस कारण से, हमने आपात स्थिति और बिजली की कमी के मामले में मैनुअल ऑपरेशन को सक्षम करने के लिए बैटरी को हैंड-क्रैंक जनरेटर से बदल दिया है।"
आशीष ने बताया कि सैनमित्र 1000 एचसीटी एक अस्पताल-ग्रेड डिफाइब्रिलेटर है जिसे बिजली और हाथ से चलने वाले जनरेटर दोनों पर संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
वे कहते हैं, “अचानक आया दिल का दौरा इतना खतरनाक होता है कि यह मरीज को 10 मिनट में मार सकता है। उस समय, दिल की धड़कन को वापस लाने के लिए बिजली के झटके देने के लिए एक डिफाइब्रिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है और उस समय, आपातकालीन देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों को रॉक सॉलिड इलेक्ट्रिसिटी की आवश्यकता होगी।”
ब्रिटेन के 'द डायना अवार्ड' से नवाज़ी गईं पंजाब की प्रतिष्ठा देवेश्वर
वर्तमान में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई कर रही प्रतिष्ठा के भारत की पहली व्हीलचेयर यूजर बनकर इतिहास रचने और अब ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाज़े जाने की यात्रा हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।
पंजाब के होशियारपुर की प्रतिष्ठा देवेश्वर को हाल ही में ब्रिटेन के प्रतिष्ठित डायना पुरस्कार (The Diana Award) से सम्मानित किया गया है। प्रतिष्ठा भारत की पहली व्हीलचेयर यूजर गर्ल हैं जिन्हें बीते साल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में एडमिशन मिला था।
डायना पुरस्कार से पहले प्रतिष्ठा को दिल्ली की राष्ट्रीय स्तर की यूनिवर्सिटी द्वारा भी 2020 में नेशनल रोल मॉडल के तौर पर सम्मानित किया गया था। प्रतिष्ठा 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसेडर भी हैं। प्रतिष्ठा ने अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई होशियारपुर से की और बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
बीते साल जब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रतिष्ठा को एडमिशन मिला था, तब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं थी।
प्रतिष्ठा ने अपने एक ट्वीट में आभार जताते हुए लिखा, "राजकुमारी डायना के नाम के करीब कहीं भी होना अपने आप में एक सम्मान है! मैं जो जीवन जीती हूं उसके लिए आभारी हूं!"
जहां बेची शिकंजी वहीं सब इंस्पेक्टर बनकर पहुंची एनी
जिन सड़कों पर एनी कभी अपने जीवनयापन के लिए अपने नवजात बच्चे को हाथ में लेकर शिकंजी बेचा करती थीं और अब उन्ही सड़कों पर एनी को बतौर सब इंस्पेक्टर अपनी सेवाएँ देने का मौका मिल चुका है।
करीब 10 साल पहले एनी एसपी ने अपनी अपमानजनक शादी को खत्म करने का फैसला किया था, उस समय एनी महज 19 साल की थीं और उनके साथ उनका 6 महीने का बच्चा भी था। पति का घर छोड़ने के बाद एनी के लिए सब कुछ मुश्किल होता नज़र आ रहा था।
अपनी ज़िम्मेदारी खुद उठाते हुए एनी को उस दौरान लोगों को बीमा स्कीम बेचने से लेकर सड़क पर शिकंजी और आइसक्रीम बेंचने का भी काम करना पड़ा था। इस दौरान एनी हर महीने 3500 रुपये कमाया करती थीं, जिसमें घर के किराए और बच्चे की देखभाल के बाद उनके पास सिर्फ 100 रुपये ही शेष बचा करते थे। इस दौरान एनी अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे रही थीं और स्नातक की डिग्री पूरी करने की ओर बढ़ रही थीं।
द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार केरल पुलिस ने अब अनुकंपा के आधार पर उनके बेटे की शिक्षा में को ध्यान में रखते हुए कोच्चि में फिर से तैनाती का अनुरोध स्वीकार कर उन्हें कोच्चि में तैनाती दे दी है।
इसके पहले एनी राजधानी तिरुवनंतपुरम के वर्कला पुलिस स्टेशन में तैनात थीं, जहां वे पूरी लगन के साथ लोगों की शिकायतों को दूर करने का प्रयास कर रही थीं, जबकि इसी के साथ पुलिस स्टेशन में उन्हें बधाई देने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बनी हुई थी।
वर्कला क्षेत्र में अपनी तैनाती को लेकर एनी बेहद खुश हुई हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होने बताया है कि जिस इलाके में वह संघर्ष के दिनों में पैसे कमाने के लिए घूमा करती थीं, फिर उसी इलाके में बतौर सब इंस्पेक्टर अपनी सेवाएँ देना उनके लिए बेहद खास रहा है।