फटाफट पढ़ें इस हफ्ते की टॉप 5 स्टोरीज़!

फटाफट पढ़ें इस हफ्ते की टॉप 5 स्टोरीज़!

Saturday May 16, 2020,

4 min Read

हो सकता है आपने इन रोचक और प्रेरणादायक स्टोरीज़ को मिस कर दिया हो, लेकिन इधर हम आपके सामने उन्हे संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़

पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़



देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन गेमिंग का ग्राफ तेजी से ऊपर गया है और इस दौरान देश में ‘लूडो किंग’ ने हर घर में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन क्या अप इस गेम के बनने की कहानी जानते हैं? इसी के साथ इस समय वर्क फ्रॉम तेजी से नया सामान्य बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसे ट्रूप मैसेन्जर किस तरह सफल बना रहा है? इसी तरह की तमाम दिलचस्प स्टोरीज़ इस हफ्ते हमने आपके सामने पेश की।


नीच हम आपके सामने उन स्टोरीज़ को संक्षेप में आपके सामने पेश कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से पढ़ सकते हैं।

ये हैं ‘लूडो किंग’

विकाश जायसवाल, गैमेटियन टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ (लूडो किंग)

विकाश जायसवाल, गैमेटियन टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ (लूडो किंग)



लॉकडाउन के बीच अपने घरों में कैद लोग समय बिताने के तमाम तरीके आजमा रहे हैं। लोग इस समय खाना बनाने से लेकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मूवी देखने के साथ ऑनलाइन गेम में भी हाथ आजमा रहे हैं। अगर ऑनलाइन गेम की बात करें तो इस दौरान सबसे अधिक चर्चा में जो गेम है वो है- लूडो किंग। लेकिन क्या आप लूडो किंग गेम के पीछे के इंसान के बारे में जानते हैं।


बिहार के पटना से निकलकर अपने सपनों का पीछा करते हुए विकाश जायसवाल आज देश की सबसे बड़ी गेमिंग कंपनियों में से एक के मालिक हैं। विकाश की यह यात्रा जितनी दिलचस्प है उतनी ही प्रेरणादायक भी है। मुख्य ‘लूडो किंग’ के बारे में आप इधर पढ़ सकते हैं।

‘वर्क फ्रॉम होम’ होगा आसान

सुधीर नायडू, ट्रूप मैसेंजर के संस्थापक

सुधीर नायडू, ट्रूप मैसेंजर के संस्थापक



कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे के बीच देश-दुनिया की तमाम कंपनियों ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ कल्चर को हाथों-हाथ अपनाया है। ‘वर्क फ्रॉम होम’ अब नया नॉर्मल बनने की तरफ बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है, हो सकता है जब कोरोना वायरस का प्रकोप कम हो तब तक ‘वर्क फ्रॉम होम’ सामान्य बन चुका हो, लेकिन ‘वर्क फ्रॉम होम’ के साथ अपनी अलग समस्याएँ हैं, जिनका सामना कंपनियों को भी करना पड़ता है।


इन समस्याओं को हल करने और ‘वर्क फ्रॉम होम’ को सरल बनाने की तरफ कदम बढ़ाते हुए ट्रूप मैसेन्जर इन कंपनियों को अपनी सेवाएँ दे रहा है। ट्रूप मैसेन्जर के बारे में आप इधर पढ़ सकते हैं। ट्रूप मैसेंजर एक टीम मैसेजिंग और सहयोग एप्लिकेशन है जो व्यवस्थित तरीके से एक कार्यस्थल की मल्टीटास्किंग पेशेवर जरूरतों को पूरा करता है।

सफलता तक का सफर

इल्मा अफ़रोज, IPS ऑफिसर

इल्मा अफ़रोज, IPS ऑफिसर



उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर मुरादाबाद के एक रूढ़िवादी परिवार से निकलकर पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई करने वाली इल्मा अफ़रोज का वापस देश लौटकर सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर आईपीएस बनने का सफर प्रेरणादायक है। बचपन में पिता के देहांत के बाद आगे बढ़ने का हौसला माँ से जरूर मिला, लेकिन रास्ता आसान कतई नहीं था।


इल्मा अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं,

“स्कूल की वर्दी में एक छात्रा को देख कर डीएम साहब मुस्कुराये, मेरे फार्म पर हस्ताक्षर किये और बोले, सिविल सर्विसेज ज्वाइन करो इल्मा!”

सफलता के रास्ते में आई तमाम कठिनाइयों के बीच हार न मनाने और मेहनत और जज्बे पर भरोसा रखने वाली इल्मा की यह प्रेरणादायक कहानी आप इधर पढ़ सकते हैं।

जरूरतमंदों को पहुंचा रहे मदद

जरूरतमंद लोगों को राशन किट बांटते हेल्प अदर्स फाउंडेशन के सदस्य

जरूरतमंद लोगों को राशन किट बांटते हेल्प अदर्स फाउंडेशन के सदस्य



उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के चलते रेड ज़ोन में है, जहां लॉकडाउन सख्ती से लागू है, इस दौरान वहाँ दैनिक कर्मचारियों और निम्नवर्ग के लोगों को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच शहर में कुछ छात्रों और पेशेवरों का समूह क्राउड फंडिंग की मदद से इन लोगों तक मदद पहुंचाने का काम कर रहा है।


इनके द्वारा बनाई गई संस्था सक्रिय तौर पर शहर के तमाम हिस्सों में जाकर लोगों को चिन्हित कर उन्हे राशन किट पहुंचा रही है। आप इस संस्था के बारे में इधर पढ़ सकते हैं।

छात्रों ने उठाया मदद करने का बीणा

टिया पूवय्या (बाएं) और निकिता खन्ना (दाएं) पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर प्रवासी महिला कामगारों की मदद कर रही हैं (फोटो साभार:सोशल मीडिया)

टिया पूवय्या (बाएं) और निकिता खन्ना (दाएं) (फोटो साभार:सोशल मीडिया)



बेंगलुरु की ये दो छात्राएँ टिया और निकिता ने लॉकडाउन की स्थिति को समझते हुए जरूरतमंद लोगों को राहत किट बांटने का फैसला किया। इन दोनों ने इस नेक रास्ते पर आगे बढ़ते हुए महज एक हफ्ते में क्राउडफंडिंग की मदद से 80 हज़ार रुपये की मदद राशि इकट्ठी की है।


इस बारे में बात करते हुए टिया कहती हैं, “हमें बहुत कुछ महसूस हो रहा है और अगर आप भाग्यशाली हैं, और किसी की ज़रूरत में मदद करने की क्षमता है, तो आपको उनकी मदद करनी चाहिए। यह समाज का कर्तव्य है कि वे अपनी देखभाल करें, जिसमें कम विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति भी शामिल हैं।” यह स्टोरी आप इधर पढ़ सकते हैं।