आज है वर्ल्ड कम्प्यूटर लिटरेसी डे, जानिए इसका इतिहास और अहमियत
World Computer Literacy Day की शुरुआत 2 दिसंबर, 2001 को हुई थी. एक भारतीय कंपनी नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (NIIT) ने अपनी 20वीं सालगिरह के मौके पर 2001 में शुरू किया था.
हर साल दुनिया 2 दिसंबर को वर्ल्ड कम्प्यूटर लिटरेसी डे मनाती है. इसकी शुरुआत 2 दिसंबर, 2001 को हुई थी. एक भारतीय कंपनी नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (NIIT) ने अपनी 20वीं सालगिरह के मौके पर 2001 में शुरू किया था.
दरअसल एक स्टडी में पाया गया था कि दुनिया में कम्प्यूटर इस्तेमाल करने वाले अधिकतर यूजर्स पुरुष हैं. इसलिए खास कर भारत में बच्चों और महिलाओं में टेक्नोलॉजी से जुड़ी स्किल्स को बढ़ावा देने के मकसद से इस दिवस की शुरुआत की गई. कम्प्यूटर लिटरेसी को दुनिया के दूरस्थ से दूरस्थ इलाके तक ले जाकर डिजिटल खाई को भरना भी इसका मकसद था.
वर्ल्ड कम्प्यूटर लिटरेसी डे के इतिहास और इसकी अहमियत पर बोलते हुए NIIT के चेयरमैन और को फाउंडर राजेंद्र एस पवार ने कहा, ‘वर्ल्ड कम्प्यूटर लिटरेसी डे पहली बार NIIT के 20वें फाउंडेशन डे के दिन 2 दिसंबर, 2001 को मनाया गया था. उस दिन सांसदों को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बायपेयी की मौजूदगी में कम्प्यूटर पर ट्रेनिंग दी गई थी. इसके अलावा देश भर में कम्प्यूटर लिटरेसी के प्रसार के लिए कस्टमाइज्ड डाक लिफाफा भी जारी किया गया था.’
अगले कुछ सालों में यह पहल एक क्रांति में बदल गई. दुनिया भर में सैंकड़ों हजारों लर्नर इसे मनाने लगे. उन्होंने कहा जब 40 साल पहले NIIT एक सामान्य से मिशन के साथ शुरू हुआ था जो लोग और कम्प्यूटर को लेकर और पास लाना था. इसे शुरू हुए दशकों हो चुके हैं और इस अंतराल में यह लोगों को उनकी असल क्षमता की अनुभूति कराने का माध्यम बन चुका है.
हर साल यह दिन एक थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल की थीम अभी तक जारी नहीं की गई है. पिछले साल वर्ल्ड लिटरेसी डे 2021 के लिए थीम ‘लिटरेसी फॉर ह्यूमन-सेंटर्ड रिकवरीः नैरोइंग दी डिजिटल डिवाइड’ थी.
आइए कम्प्यूटर लिटरेसी के बारें में 10 कुछ दिलचस्प फैक्ट जानते हैंः
1.पहले इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर ENIAC का वजन 27 टन से ज्यादा था और यह 1800 स्क्वैर फीट की जगह घेरता था.
2. जून 2018 में दुनिया की 55 फीसदी आबादी कम्प्यूटर इस्तेमाल करती थी. भले ही एशिया में दुनिया की 55 फीसदी आबादी बसती है लेकिन यहां इंटरनेट यूजर्स का हिस्सा 45 फीसदी ही है.
3. जे हेनरिक वॉन मुलर ने 1786 में कागज पर एक कम्प्यूटर का खांका तैयार किया था, जिसका नाम डिफरेंस इंजन रखा गया.
4. सेकंड जेनरेशन कम्प्यूटर में वैक्यूम ट्यूब्स की जगह ट्रांजिस्टर्स का इस्तेमाल हुआ था, जो आकार में काफी छोटे थे.
5. थर्ड जेनरेशन कम्प्यूटर इंटीग्रेटेड सर्किट्स से डिवेलप करवाई गई थी जिसके बाद से सिस्टम के साइज कम होते गए. यह पहली बार था जब कम्प्यूटर की स्पीड और एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए सिलिकन चिप्स का इस्तेमाल हुआ.
6. परम पद्मा भारत का पहला सुपर कम्प्यूटर था जिसे विजय पी भक्तार ने 1991 में बनाया था.
7. इंडिया में इस समय 15 सुपर कम्प्यूटर हैं.
8.सबसे पहले हार्ड डिस्क की कीमत 40 हजार डॉलर थी और इसका वजन 550 पाउंड था.
9. दुनिया में फिजिकल करंसी महज 8 से 10 फीसदी है जबकि बाकी का काम ऑनलाइन बैंकिंग, इन-नेटवर्क करंसी से होता है.
10. साइंटिस्ट्स अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को डिवेलप करने पर काम कर रहे हैं.
Edited by Upasana