ओवरियन कैंसर – एक ऐसी बीमारी जो मजे हुए चोर की तरह शरीर के इम्यून सिस्टम को धोखा दे सकती है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल पूरी दुनिया में तकरीबन पौने दो लाख औरतों की ओवरियन कैंसर के कारण मृत्यु होती है.
यूं तो कैंसर कोई भी हो, खतरनाक ही होता है. लेकिन कुछ कैंसर ऐसे होते हैं जो किसी मजे हुए चोर की तरह ऐसे दाखिल होते हैं कि उनके आने की किसी को खबर भी नहीं लगती. आमतौर पर कैंसर कितना भी चालाक क्यों न हो, वो शरीर के इम्यून सिस्टम को धोखा नहीं दे सकता. लेकिन ये कैंसर ऐसा है, जो इम्यून सिस्टम से लेकर डायग्नोसिस के टूल्स तक को चकमा देकर शरीर में जमे रहने में कामयाब हो जाता है.
हम बात कर रहे हैं ओवरियन कैंसर की. एक ऐसा कैंसर, जिसके कारण विश्व में हर साल तकरीबन पौने दो लाख औरतों की मृत्यु हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2018 में ओवरियन कैंसर के कारण 184,799 औरतों की मृत्यु हो गई.
ब्रेस्ट और सरवाइकल कैंसर की शिनाख्त है आसान
महिलाओं के रीप्रोडक्टिव अंग से जुड़ा कोई भी कैंसर खतरनाक है और खतरे के निशान से ऊपर चले जाने की स्थिति में जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन उनके साथ एक पॉजिटिव बात ये है कि समय रहते उनका पता लगाया जा सकता है, जैसेकि ब्रेस्ट कैंसर, सरवाइकल कैंसर आदि.
यदि किसी महिला के शरीर में सरवाइकल कैंसर की कोशिकाएं बनने की संभावना भी है तो पांच साल पहले ही उसका पता चल सकता है. उसके लिए एक टेस्ट होता है, जिसे पेप स्मीयर HPV टेस्ट कहते हैं. डॉक्टर सलाह देते हैं कि 30 की उम्र के बाद हर पांच साल पर एक बार यह टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए. यदि आपको सरवाइकल कैंसर होने की संभावना भी है तो इस टेस्ट के जरिए बिलकुल शुरुआती स्टेज में उसका पता लगाया जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2020 में पूरी दुनिया में 2.3 मिलियन महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हुईं और उसमें से 685000 महिलाओं की मृत्यु हो गई. ब्रेस्ट कैंसर यदि आखिरी यानी चौथी स्टेज तक पहुंच चुका है तो यह शरीर के बाकी हिस्से में भी फैलने लगता है. लेकिन यदि शुरुआती स्टेज पर ही इसका पता चल जाए तो न सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर को फैलने से रोका जा सकता है, बल्कि यह लाइफ थ्रेटनिंग भी नहीं होता.
मैमोग्राफी एक ऐसा मेडिकल स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो शुरुआती स्टेज पर ही ब्रेस्ट कैंसर की शिनाख्त कर सकता है. WHO की रिपोर्ट कहती है कि पूरी दुनिया में तकरीबन 10 लाख ब्रेस्ट कैंसर की शिनाख्त शुरुआती स्टेज पर ही हो जाती है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि 40 की उम्र के बाद महिलाओं को हर तीन साल पर एक बार मैमोग्राफी जरूर करवानी चाहिए.
इम्यून सेल्स को धोखा देने वाला ओवरियन कैंसर
अब बात करते हैं ओवरियन कैंसर की, जिसकी शिनाख्त बाकी कैंसर की तरह आसान नहीं है. पिछले साल फिनलैंड की हेलसिंकी यूनिवर्सिटी में ओवरियन कैंसर को लेकर एक महत्वपूर्ण स्टडी हुई. साइंस जरनल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित यह स्टडी ओवरियन कैंसर की शिनाख्त में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
फिनलैंड में ओवरियन कैंसर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा बीमारी का रूप ले रहा है. सिर्फ 55 लाख आबादी वाले देश में हर साल 550 औरतें ओवरियन कैंसर की शिकार होती हैं, जिसमें से 80 फीसदी से ज्यादा सरवाइव नहीं कर पातीं क्योंकि कैंसर का पता ही आखिरी स्टेज पर चलता है.
फिनलैंड की इस स्टडी में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने ओवरियन कैंसर से जुड़ी 110000 कोशिकाओं की शिनाख्त की है. यह स्टडी यह समझने की कोशिश है कि कैसे कैंसरस सेल्स इम्यून सेल्स की नजर से बचकर शरीर के अंदर फैलती जाती हैं. आखिर ऐसा कैसे होता है कि बाकी कैंसरस सेल्स की तरह हमारे शरीर में मौजूद हेल्थी फाइटर सेल्स समय रहते ओवरियन कैंसर सेल्स का पता लगाने और उससे लड़ने में सक्षम नहीं होते.
इसे यूं समझ सकते हैं कि हेल्दी फाइटर सेल्स और कैंसरस सेल्स का आपस में एक कनेक्शन है. एक शरीर का दोस्त है और दूसरा दुश्मन. जब दोस्त सेल्स दुश्मन सेल्स की शिनाख्त करने और उन्हें मार गिराने में कामयाब होती हैं तो कैंसर या कोई भी ऑटो इम्यून बीमारी नहीं होती. लेकिन जब दोस्त सेल्स दुश्मन सेल्स (कैंसरस सेल्स) को मार नहीं पातीं और कैंसरस सेल्स अपनी संख्या बढ़ाकर शरीर में कैंसर पैदा करती हैं. ओवरियन कैंसर के केस में फाइटर सेल्स को कैंसरस सेल्स का पता बहुत लंबे समय तक नहीं चलता.
फिनलैंड ही इस स्टडी से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि इन दो तरह के सेल्स के आपसी कनेक्शन की शिनाख्त हमें समय रहते ओवरियन कैंसर का पता लगाने और उसका इलाज करने में मददगार हो सकती है. यदि समय रहते इसका पता चल जाए तो ओवरियन कैंसर भी जानलेवा नहीं होता. ब्रेस्ट, यूटेरस और सरवाइकल कैंसर की तरह ओवरी भी शरीर का अनिवार्य हिस्सा नहीं हैं और उसे निकालने के बाद भी शरीर की बाकी गतिविधियां सामान्य रूप से चलती रह सकती हैं.
किन महिलाओं को है ओवरियन कैंसर की ज्यादा खतरा
ओवरियन कैंसर का खतरा उन महिलाओं को ज्यादा होता है, जो अपनी रीप्रोडक्टिव लाइफ में ज्यादा बार ओव्यूलेट करती हैं. हर महीने ओवरी से एग निकलकर फेलोपियन ट्यूब तक आने की प्रक्रिया ओव्यूलेशन कही जाती है. जाहिर बात है कि ज्यादा ओव्यूलेट वो महिलाएं करती हैं, जो कभी गर्भधारण नहीं करतीं. प्रेग्नेंसी के समय 9 महीने तक ओव्यूलेशन की प्रक्रिया रुक जाती है.
साथ ही उन महिलाओं में भी ओवरियन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है, जिनके शरीर ओव्यूलेशन की प्रक्रिया जल्दी शुरू हुई और ज्यादा समय तक चली यानि जिनके पीरियड्स जल्दी शुरू हुए और मीनोपॉज काफी देर से हुआ. साथ ही हॉर्मोन थैरपी, फर्टिलिटी मेडिकेशन, हॉर्मोनल बर्थ कंट्रोल और ओबिसिटी भी ओवरियन कैंसर के खतरे को बढ़ा देती है.
क्या है बचाव
ओवरियन कैंसर या किसी भी प्रकार के कैंसर के खतरे से खुद को बचाने का सबसे पहला तरीका तो हेल्दी लाइफ स्टाइल है. भोजन और शारीरिक परिश्रम यानी व्यायाम का एक संतुलित मेल. इसके अलावा 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से कैंसर स्क्रीनिंग करना भी जरूरी है. स्क्रीनिंग कैंसर होने की संभावना को कम नहीं करती, लेकिन समय रहते उसकी शिनाख्त में मददगार जरूर हो सकती है.
Edited by Manisha Pandey