जब दिल्ली में घोषित हुई थी 'हेल्थ इमजरेंसी’
साल 2019 के नवम्बर में देश की राजधानी दिल्ली में ‘हेल्थ इमजरेंसी’ घोषित कर दिया गया था. हवा में प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद ऐसा करना पड़ा.
31 अक्टूबर की रात 11 बजे दिल्ली सीवियर पल्स हो गई थी. उसके पहले लगभग 90 घंटे तक दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति सीवियर बनी हुई थी.
सीवियर प्लस की स्थिति में आते ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी सूचना सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी एनवायरमेंट पोल्यूशन (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी (इप्का) को दी और इप्का ने तुरंत ‘हेल्थ इमरजेंसी’ लागू कर दी. सुप्रीम कोर्ट के पैनल की ओर से 5 नवंबर तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई थी.
‘द इन्डियन मेडिकल एसोसिएशन’ ने दिल्ली में 'हेल्थ इमरजेंसी' घोषित कर दिया था.
राजधानी की हवा में प्रदूषण के ख़तरनाक कणों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 20 गुना अधिक हो गया था. भारत दौरे पर आई बांग्लादेश की टीम के खिलाड़ियों को भी पैक्टिस के दौरान मास्क लगाकर खेलना पड़ा.
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने पूरी ठंड के दौरान पटाखे फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.
बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी स्कूलों को 5 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दिया था. दिल्ली ऐसे ही दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में एक है, उस पर एअर क्वालिटी इंडेक्स 500 में 480 तक पहुंच जाना दिल्ली की हालत बयां करती है. यह ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी मानी जाती है.
पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की वजह बनी प्रदूषित हवा इतनी ज़हरीली हो चुकी थी कि इसमें सांस लेना 25 सिगरेट के बराबर हानिकारक हो चला था.
दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के रेसपिरेटरी विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार ने कहा था- शहर का एक आदमी भी दावा नहीं कर सकता कि वह स्वस्थ महसूस कर रहा है.
दिल्ली में सांस लेना कितना मुश्किल हो चला था, इस पर खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली ‘गैस चेंबर’ में तब्दील हो गई है.
पडोसी राज्य पंजाब-हरियाणा में पराली जलने की घटनाओं में बढ़ोतरी, हवा की गति में कमी, दिवाली की रात में बैन के बावजूद बड़ी मात्रा में पटाखे जलना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदुषण को इस स्तर तक पहुँचाने में बहुत बड़ा रोल रहा. 2019 में वायु प्रदूषण का स्तर 2018 के मुकाबले लगभग बराबर ही था. 27 अक्टूबर दिवाली के दिन एक से पांच बजे तक भी प्रदूषण स्तर ठीक ही थी लेकिन रात दस बजे के बाद अत्याधिक तेजी से वायु प्रदूषण (2.5 पीएम) में बढ़ोतरी हुई. बढ़ोतरी लगभग दस गुना थी. दो दिन बाद, 29 अक्टूबर को शाम छह बजे दिल्ली में पीएम2.5 इमरजेंसी लेवल पर पहुंच गया था. और दो दिन बाद दिल्ली में ‘हेल्थ इमजरेंसी’ घोषित कर दी गई.
उस दौर में सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, देश के दूसरे इलाकों में भी वायु प्रदूषण कहर बरपा रहा था. देश के 23 शहरों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में थी लेकिन वहां की सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया था.