खुदरा महंगाई की मार के बाद थोक महंगाई में मिली राहत, लगातार चौथे माह घटकर 10.7% पर
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने, अगस्त में 12.41 प्रतिशत थी.
मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्ट्स की कीमतों में नरमी, खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम में कमी आने से थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI or Wholesale Inflation) सितंबर में लगातार चौथे महीने घटकर 10.7 प्रतिशत पर आ गई. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने, अगस्त में 12.41 प्रतिशत थी. यह पिछले साल सितंबर में 11.80 प्रतिशत थी. WPI इस वर्ष मई में 15.88% के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी.
WPI मुद्रास्फीति में लगातार चौथे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है. सितंबर 2022 में लगातार 18वें महीने, यह दहाई अंकों में रही. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘सितंबर 2022 में मुद्रास्फीति के स्तर की वजह मुख्य रूप से खनिज तेलों, खाद्य वस्तुओं, कच्चा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, रसायन एवं रासायनिक उत्पाद, मूल धातु, बिजली, कपड़ा आदी की कीमतों में पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में तेजी है.’’
खाद्य वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति
सितंबर में खाद्य वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति घटकर 11.03 प्रतिशत हो गई जो अगस्त में 12.37 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. समीक्षाधीन महीने में सब्जियों के दाम बढ़कर 39.66 प्रतिशत पर आ गए, जो अगस्त में 22.29 प्रतिशत थे. ईंधन और बिजली में महंगाई दर सितंबर में 32.61 प्रतिशत रही, जो अगस्त में 33.67 प्रतिशत थी. मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्ट्स और तिलहन की मुद्रास्फीति क्रमशः 6.34 प्रतिशत और नकारात्मक 16.55 प्रतिशत थी.
खुदरा महंगाई 5 माह के उच्च स्तर पर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुख्य रूप से मौद्रिक नीति के जरिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखता है. खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय छह प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर रही. सितंबर में यह 5 माह के उच्च स्तर 7.41 प्रतिशत पर रही है. यह अगस्त में 7 प्रतिशत और सितंबर, 2021 में 4.35 प्रतिशत थी. खाद्य वस्तुओं की खुदरा मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 7.62 प्रतिशत थी. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस साल प्रमुख ब्याज दर को चार बार बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले महीने के आंकड़े और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति से तय होगा कि दिसंबर में RBI, ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत या 0.50 प्रतिशत, कितनी बढ़ोतरी करेगा. इसके अलावा विनिर्माण और खनन जैसे क्षेत्रों में गिरावट के कारण देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अगस्त में 0.8 प्रतिशत घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया. एक साल पहले समान महीने में औद्योगिक उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़ा था.
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Edited by Ritika Singh