दो साल के निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई दर, खुदरा महंगाई में भी आई गिरावट
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, "डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर जनवरी, 2023 में 2.95 प्रतिशत से घटकर फरवरी, 2023 में 2.76 प्रतिशत हो गई."
भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 4 प्रतिशत से नीचे आ गई और 3.85 प्रतिशत दर्ज की गई. मंगलवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला. यह जनवरी 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2.51 प्रतिशत थी. जनवरी में डब्ल्यूपीआई महंगाई का आंकड़ा 4.73 फीसदी था.
मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज में कहा, 'फरवरी, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, खनिजों, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली के उपकरण और मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमीट्रेलर की कीमतों में गिरावट से हुई है.'
माह-दर-माह (MoM) आधार पर, WPI में 0.20 प्रतिशत का परिवर्तन हुआ है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, "डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर जनवरी, 2023 में 2.95 प्रतिशत से घटकर फरवरी, 2023 में 2.76 प्रतिशत हो गई."
खुदरा मुद्रास्फीति में फरवरी में मामूली गिरावट
इससे पहले, सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला कि खाने का सामान एवं ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में मामूली गिरावट के साथ 6.44 प्रतिशत पर रही.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 प्रतिशत जबकि फरवरी, 2022 में 6.07 प्रतिशत थी.
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर फरवरी में घटकर 5.95 प्रतिशत रही जो जनवरी के छह प्रतिशत से कम है. यह पिछले साल फरवरी में 5.85 प्रतिशत थी.
आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतें सालाना आधार पर 11.61 प्रतिशत तक कम हुई हैं. हालांकि मसालों की मूल्य वृद्धि (20.20 प्रतिशत) और अनाज की कीमत 16.73 प्रतिशत बढ़ी है. मांस, मछली, अंडे, दाल, चीनी व मिठाई के उत्पाद और गैर-मादक पेय जैसे क्षेत्रों में मूल्य वृद्धि कम रही.
दूसरी तरफ, ईंधन और प्रकाश खंड में मुद्रास्फीति फरवरी में 9.90 प्रतिशत रही. दूध और दूध उत्पाद, कपड़ा और जूता-चप्पल माह के दौरान महंगे हुए.
आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई इस महीने 6.72 प्रतिशत रही जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6.10 प्रतिशत रही. नवंबर और दिसंबर, 2022 को छोड़कर खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी, 2022 के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजक दायरे की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर रही है.
आरबीआई ने 2022-23 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रस्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. आरबीआई बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए पिछले साल मई से अब तक नीतिगत दर में 2.5 प्रतिशत वृद्धि कर चुका है.
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘लगातार दो बार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही है. ऐसे में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति एक बार और नीतिगत दर में वृद्धि कर सकती है….’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, अगले तीन सप्ताह वैश्विक गतिविधियां मौद्रिक नीति समिति के निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं.’’ केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष 2023-24 के लिये द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा छह अप्रैल को करेगा.
साल भर में महंगाई कम होने की उम्मीद
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने रविवार को कहा कि इस साल मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि एक लचीली मुद्रास्फीति लक्षित व्यवस्था के साथ-साथ आपूर्ति-पक्ष की कार्रवाई ने दूसरे देशों की तुलना में कीमतों में वृद्धि की दर को कम रखा है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले साल मई से अपनी प्रधान रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है. जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.52 प्रतिशत थी.
Edited by Vishal Jaiswal